Kesar Singh

टिकाऊ खेती एवं बेहतर मृदा स्वास्थ्य हेतु जैविक उर्वरक (भाग 2)
"टिकाऊ खेती" का अंग्रेजी में अर्थ "Sustainable Agriculture" होता है. यह एक ऐसी कृषि प्रणाली है जो पर्यावरणीय सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए पौधों और जानवरों के उत्पादन को समन्वित करती है। भाग 2 में जानिए कैसे करें इस्तेमाल जैविक उर्वरकों का Kesar Singh posted 3 months ago
टिकाउ खेती ही भविष्य है
टिकाऊ खेती एवं बेहतर मृदा स्वास्थ्य हेतु जैविक उर्वरक (भाग 1)
टिकाऊ खेती और मृदा स्वास्थ्य के लिए जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल हमेशा बेहतर परिणाम देता है। जैविक उर्वरकों यानी जैविक खादों के इस्तेमाल से खेत को कई तरह के फ़ायदे होते हैं। जानिए विस्तार से Kesar Singh posted 3 months ago
जैविक खेती में ही बेहतरी छिपी है
हरित छत से पर्यावरण संरक्षण
हरित छतें (ग्रीन रूफ्स) पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस मुद्दे पर डॉ. दीपक कोहली का एक विस्तृत आलेख।


Kesar Singh posted 3 months ago
हरित छतों वाली बिल्डिंग (courtesy - needpix.com)
जल संकटः जिम्मेदार कौन
अगर एक लिस्ट बनाई जाए तो यह बनती है पहली - तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण से जल निकायों का प्रदूषण बढ़ा है। दूसरी - अकुशल कृषि पद्धतियों और ज़्यादा भूजल दोहन से महत्वपूर्ण जल स्रोतों का दोहन हो रहा है। तीसरी जलवायु परिवर्तन से अनियमित वर्षा पैटर्न हो रहे हैं, जिससे नदियों और जलभृतों का पुनर्भरण प्रभावित हो रहा है, इसके साथ ही खराब जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की कमी भी जल संकट को बढ़ा रही है, इस मुद्दे पर लेखक की एक टिप्पणी Kesar Singh posted 3 months ago
पानी की सततता (साभार - विकिपीडिया)
वन महज़ कार्बन सिंक नहीं हैं
लेखिका सीमा मुंडोली वन के महत्व को व्यापक दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता पर जोर देती हैं। वन केवल कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने वाले कार्बन सिंक नहीं हैं, बल्कि वे जैव विविधता के संरक्षण, जलवायु संतुलन, और स्थानीय समुदायों के जीवनयापन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। Kesar Singh posted 3 months ago
जंगल (फोटो साभार - needpix.com)
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के ऊँ पर्वत पर लुप्त होती ॐ की आकृति
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले के धारचूला तहसील में व्यास घाटी में स्थित ओम पर्वत पर 'ओम' अक्षर की आकृति दिखती है। यह पर्वत समुद्र तल से 5,900 मीटर की ऊंचाई पर है. ओम पर्वत को हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों में पवित्र माना जाता है। बढ़ते तापमान से ऊँ ग्लेशियर की बर्फ गायब हो गई है, पढ़िए एक टिप्पणी Kesar Singh posted 3 months ago
ओम पर्वत (साभार - विकिपीडिया)
जहरमुक्त खेती : अजोला, फसल के लिए एक जैविक वरदान
अजोला एक जलीय पौधा है जो जहरमुक्त खेती के लिए एक जैविक वरदान साबित हो सकता है। यह पौधा न केवल पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट चारा है, बल्कि फसलों के लिए भी उर्वरक के रूप में काम करता है। पढ़िए अजोला के बारे में विस्तार से Kesar Singh posted 3 months ago
धान के खेत में अजोला डालो, यूरिया भूल जाओगे। फोटो साभार - कृषक जगत
बारानी खेती में अधिक पैदावार लेने की तकनीक
कुछ तकनीकों का पालन करके आप बारानी खेती में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। जानिए उन तकनीकों के बारे में Kesar Singh posted 3 months ago
बारानी खेती में काफी उपयोगी हैं, स्प्रिंकलर, फोटो साभार - झारखंड सरकार
मृदा अपरदनः किसानों के लिए अभिशाप
मृदा अपरदन (या मिट्टी का कटाव) किसानों के लिए वास्तव में एक गंभीर समस्या है। यह प्रक्रिया मिट्टी की ऊपरी परत को बहा ले जाती है। पढ़िए इसके विभिन्न पहुलुओं पर टिप्पणी Kesar Singh posted 3 months ago
मिट्टी अपरदन, साभार - https://wikifarmer.com/
कार्बन खेती : कृषि और पर्यावरण में एक क्रांतिकारी परिवर्तन
कार्बन खेती, जिसे कार्बन फार्मिंग भी कहा जाता है, एक ऐसी कृषि पद्धति है जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को मृदा और वनस्पति में संग्रहित करने पर केंद्रित है। पढ़िए इस विषय पर एक आलेख Kesar Singh posted 3 months ago
फोटो साभार - ecocycle.org
बायोप्लास्टिक : हरित पर्यावरण के लिए सतत हरित प्लास्टिक
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक की समस्या के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। आइए जानते हैं इसके बारे में Kesar Singh posted 3 months ago
रीसाइक्लिंग के लिए तैयार प्लास्टिक की बोतलें। साभार -  पिक्साबे, फोटो - हंस ब्रैक्समीयर
जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार पर चर्चा
'क्लाइमेट एंड कॉन्स्टिट्यूशन' को केन्द्र में रखकर जलवायु परिवर्तन से बचने के कानूनी पहलुओं के क्या विकल्प हैं, इस मुद्दे पर चर्चा हुई। कार्यक्रम के प्रमुख अंश पढ़ें। Kesar Singh posted 3 months 1 week ago
जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार मुद्दे पर चर्चा का आयोजन
दो दिवसीय "पानी को जानो" कार्यक्रम प्रारंभ
यूसर्क द्वारा हिमालय दिवस के अंतर्गत राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय "पानी को जानो" कार्यक्रम प्रारंभ  Kesar Singh posted 3 months 2 weeks ago
यूसर्क की दो दिवसीय "पानी को जानो" कार्यक्रम
वायनाड त्रासदी : लालच के परिणाम
केरल के वायनाड ज़िले में हुए भूस्खलन को लेकर केरल हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मानवीय लालच और उदासीनता की वजह से हुआ है। अदालत ने कहा कि इस भूस्खलन के पीछे कई वजहें हैं, जिनमें से एक है विकास के लिए चेतावनी के संकेतों को नज़रअंदाज़ करना। पढ़िए इस पर एक विस्तृत टिप्पणी Kesar Singh posted 3 months 2 weeks ago
त्रासदी के निशान (फोटो साभार - sarvodaya.com)
प्रदेश में धान का रकबा बढ़ने से और बढ़ गया है भूजल का दोहनः मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश
'स्वच्छ जल-स्वच्छ भारत' विषय पर एक दिवसीय वर्कशाप आयोजित Kesar Singh posted 3 months 3 weeks ago
प्रतिकात्मक तस्वीर (courtesy - needpix.com)
सिवनी : खोदे तालाब तो भूजल स्तर को मिला नवजीवन
जहां सिवनी में खोदे गए तालाबों ने भूजल स्तर को पुनर्जीवित किया है। वहीं इस पहल से न केवल जल स्तर में वृद्धि हुई है, बल्कि स्थानीय कृषि और पेयजल आपूर्ति में भी सुधार हुआ है। सिवनी में नए बने तालाबों पर एक टिप्पणी Kesar Singh posted 3 months 3 weeks ago
खेत तालाब (फोटो साभार - बेटर इंडिया )
×