जिन खेतों के नलकूप का पानी सूख गया था, वहां बने तालाब में संग्रहित वर्षा का पानी खुशहाली लाया है। खाली पड़ी कृषि भूमि में खोदे गए छोटे-छोटे लगभग तीन हजार तालाबों ने मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के खेतों में हरियाली फैला दी है। जल संरक्षण का नया आयाम गढ़ने के साथ ही भूजल स्तर बढ़ा रहे इन तालाबों से स्वरोजगार के रास्ते भी खुल रहे हैं। वर्ष 2024 में 3,419. खेत तालाब निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद वर्षाऋतु से पहले 2,944 किसानों ने अपने खेतों में तालाब का निर्माण मनरेगा से पूरा किया है। मानसून की वर्षा से लबालब तालाब सिंचाई के अलावा मछली पालन में भी उपयोगी साबित हो रहे हैं। जिले में जहां सिंचाई के सीमित संसाधन हैं, उन आदिवासी क्षेत्र में सबसे अधिक तालाब बनाए गए हैं।
साल भर हो सकेगी उन्नत खेती
पानी की कमी के कारण इस क्षेत्र के किसानों को साल में एक फसल मिलती थी। अब किसान वर्ष में कम से कम दो फसलों का उत्पादन कर सकेंगे। जिले के लखनादौन विकासखंड की ग्राम पंचायत घोघरी सहसना के डुंगरिया गांव निवासी पूर्व सरपंच डिल्ली सिंह कुमरे बताते हैं कि चट्टानी क्षेत्र होने के कारण यहां भूजल स्तर काफी नीचे था। बीते चार-पांच वर्ष में अलग-अलग स्थान पर आधा दर्जन नलकूप खोदे गए जो कुछ समय बाद सूख गए। ऐसे में उन्होंने मनरेगा से अपने खेत में वर्षाऋतु के पूर्व तालाब बना लिया था। आगामी रबी सीजन में इस तालाब से फसल की सिंचाई हो सकेगी।
नहीं होगी पानी की कमीः
ग्राम पंचायत डुंगरिया के किसान रघुनाथ मरावी के ढाई एकड़ खेत में तालाब बनाया गया है। वह कहते हैं कि हर साल पानी की कमी से जूझना पड़ता था। रबी सीजन में सूखती फसलों को पानी देने के लिए पड़ोसी किसानों पर आश्रित होना पड़ता था। खेत में बना कुआं भी सूख जाता था। तालाब बनने से खेत में भरपूर पानी है, कुआं भी लबालब भर गया है। अगले साल से तालाब में मछली पालन भी प्रारंभ हो जाएगा जिससे आय का नया माध्यम बनेगा। पंचायत सचिव जितेश अहरवार बताते हैं कि तालाब बनाने का काम बगैर मशीन के किया गया जिसमें क्षेत्र 150 से ज्यादा मजदूरों को 50-50 दिनों का रोजगार भी मिला।
सिवनी में छोटे व मध्यम किसानों के सामने सिंचाई की समस्या को देखते हुए इस योजना पर कार्य किया गया। इन किसानों की भूमि पर इस योजना के तहत तीन मीटर गहरे तालाब खोद गऐ हैं। कुछ किसानों की सुविधानुसार बड़े तालाब भी बनाए गए हैं, जिनमें 800 से 1,200 घनमीटर तक पानी संचय किया जा सकता है। इस मानसून में अच्छी वर्षा के कारण ये तालाब लबालब भरे हैं। सिंचाई विभाग के आंकडे के अनुसार इस योजना के तहत खोदे गए तालाबों में वर्षा में खेत से बहकर बेकार होने वाला लगभग 26 लाख घनमीटर पानी संरक्षित हुआ है। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता राहुल रोकड़े बताते हैं कि तालाब में पानी एकत्रित होने से आसपास के जल स्रोत भी रिचार्ज हो रहे हैं।
जरूरतमंद किसानों के खेतों में छोटे- छोटे तालाबों का निर्माण होने से वर्षा का पानी संरक्षित हो रहा है। सिंचाई के साथ किसान मछली पालन भी कर पाएंगे। तालाबों में सिंचित पानी से भूजल स्तर भी बढ़ा है। - विजय नवजीवन पंवार, सीईओ, जिला पंचायत सिवनी
स्रोत - सिवनी जागरण से संजय अग्रवाल
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