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सूखा और बाढ़
कार्रवाई का सूखा
Posted on 30 Apr, 2016 04:10 PMदेश एक बार फिर भयंकर सूखे की चपेट में है। सरकार मान रही है कि 10 राज्यों में सुखाड़ है और कोई 33 करोड़ आबादी के सामने रोजी-रोटी का संकट है। गैर सरकारी स्रोतों के अनुसार 14 राज्यों और 56 करोड़ आबादी इसकी जद में है। जाहिर है कि ये स्थितियाँ मानवीय अस्तित्व पर खतरे और देश की अर्थव्यवस्था के लिये नुकसानदेह हैं। तब जबकि यह स्थिति देश के बड़े हिस्से में सालाना घटित होती है, जो जल संसाधनों के प्
ढूंढने होंगे आपदा से निपटने के जरुरी उपाय
Posted on 30 Apr, 2016 03:06 PMनेपाल में पिछले साल 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकम्प को याद करते ही हमारी रूह काँप जाती है। इस भयंकर त्रासदी को सोमवार (25 अप्रैल) को एक साल हो गया है। वहाँ तबाही के निशान अब भी ताजा हैं। जो लोग बेघर हो गए थे, उन्हें आज तक पक्के मकान नसीब नहीं हुए हैं और उनके सामने रोटी का संकट बना हुआ है। इस त्रासदी में तबाह हुई इस देश की अर्थ व्यवस्था आज तक पटरी पर नहीं लौट सकी है। ऐसे में नेपाल सरकार के स
सूखी धरती, प्यासा किसान
Posted on 21 Apr, 2016 12:28 PMकुछ दिन पहले यह खबर आई कि बुन्देलखण्ड में एक किसान ने ‘मेरा चोला हो लाल बसन्ती, सूख रही है बुन्
हम अभी भी नहीं सुधर रहे हैं
Posted on 16 Apr, 2016 12:50 PMबुन्देलखण्ड में लागातर सूखे के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। य
गाँव सरकार, सबसे निकम्मी
Posted on 28 Mar, 2016 11:31 AM
पंचायत राज दिवस यानि 24 अप्रैल 2016 को ‘ग्रामोदय से भारत उदय अभियान’ का नारा दिया गया। झारखण्ड के जमशेदपुर के जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाँव पंचायतों को खुद अपनी योजना बनाने और लागू करने को ललकारा। पीएम ने दिल्ली की संसद से बड़ी गाँव की ग्रामसभा को बताते हुए कहा कि अब गाँवों के लिये अलग बजट आता है इसलिये गाँवों के लिये पैसों की कमी नहीं है।
केन्द्र सरकार की ‘ग्रामोदय से भारत उदय’ अभियान के तहत संकल्पना है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही ‘गाँव सरकार’ का चेहरा सबको दिखने लगे यानि उनके अधिकार को और स्पष्ट किया जाये। जिससे गाँव सरकार अपने निर्णय खुद करने लगें।