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संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता
नहीं बीते भोपाल गैस कांड से पीड़ितों के बुरे दिन
Posted on 03 Dec, 2015 04:32 PMसाधो ये मुरदों का गांवपीर मरे, पैगम्बर मरिहैं
मरिहैं जिन्दा जोगी
राजा मरिहैं परजा मरिहै
मरिहैं बैद और रोगी...
-कबीर
2 दिसम्बर,1984 की रात यूनियन कार्बाइड से रिसी जहरीली गैस ने हजारों को मौत की नींद सुला दिया था। जो लोग बचे हैं वे फेफड़े, आँख, दिल, गुर्दे, पेट और चमड़ी की बीमारी झेल रहे हैं। सवा पाँच लाख ऐसे गैस पीड़ित हैं, जिन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी गई है। साथ ही 1997 के बाद से गैस पीड़ितों की मौत दर्ज नहीं की जा रही है।
सरकार भी यह मान चुकी है कि कारखाने में और उसके चारों तरफ तकरीबन 10 हजार मीट्रिक टन से अधिक कचरा ज़मीन में दबा हुआ है। अभी तक सरकारी स्तर पर इसे हटाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। खुले आसमान के नीचे जमा यह कचरा बीते कई सालों से बरसात के पानी के साथ घुलकर अब तक 14 बस्तियों की 40 हजार आबादी के भूजल को जहरीला बना चुका है।
अमरीकी कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई में केन्द्र सरकार विफल
Posted on 01 Dec, 2015 10:10 AMभोपाल गैस कांड पर विशेष
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 31वीं बरसी पर गैस पीड़ित मशाल जुलूस लेकर यूनियन कार्बाइड कम्पनी का विरोध करेंगे। हर बार की तरह इस बार भी गैस पीड़ित मुफ्त इलाज, मुआवजा के साथ-साथ जन्मजात विकलांगता वाले बच्चों की पुनर्वास सुविधाओं की भी माँग करेंगे।
इस तरह का विरोध पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि लगातार 30 वर्षों से गैस पीड़ित इसी तरह यूनियन कार्बाइड के खिलाफ अपना विरोध जताते आ रहे हैं। लेकिन इस दफा मामला इसलिये भी गम्भीर है, क्योंकि पेरिस में 125 देश मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के चलते हो रहे जलवायु परिवर्तन पर बहस और दिशा तय करेंगे।
भयावह रिसाव
Posted on 30 Nov, 2015 03:27 PMभोपाल गैस कांड पर विशेष
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की पॉल्युशन मॉनिटरिंग लैब (पीएमएल) ने विषैले रसायनों की उपस्थिति का पता लगाने के लिये यूनियन कार्बाइड इण्डिया लिमिटेड (यूसीआईएल) फ़ैक्टरी के भीतर और इसके आसपास पानी और मिट्टी के नमूनों की जाँच की।
पीएमएल ने यूसीआईएल में विभिन्न कीटनाशकों के उत्पादन के लिये इस्तेमाल की जा रही प्रक्रियाओं की जाँच की और इनके आधार पर मिट्टी तथा पानी के नमूनों की जाँच के लिये रसायनों के चार समूहों का चयन किया। इसने क्लोरिनेटेड बेंज़ीन कम्पाउंड में 1,2 डाइक्लोरोबेंज़ीन, 1,3 डाइक्लोरोबेंज़ीन, 1,4 डाइक्लोरोबेंज़ीन तथा 1,2,3 ट्राइक्लोरोबेंज़ीन की जाँच की।
जानलेवा कचरे का अधूरा निपटान
Posted on 29 Nov, 2015 01:29 PMभोपाल गैस कांड पर विशेष
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने का घातक कचरा पीथमपुर में निपटाया जाना शुरू कर दिया गया है लेकिन पर्यावरणविद और विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कचरा स्थानीय पर्यावरण को बहुत अधिक हानि पहुँचा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का विषाक्त कचरा निपटाने की प्रक्रिया इन्दौर के निकट पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में शुरू कर दी गई है। लेकिन विषय विशेषज्ञों का कहना है कि कचरा निपटाने के लिये समुचित मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है जो आसपास की आबादी के लिये घातक हो सकता है।
दरअसल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा तीन दशक बाद भी विवाद का विषय बना हुआ है। इस कचरे को दुनिया का कोई भी देश अपने यहाँ निपटाने को तैयार नहीं है। हालांकि बीच में जर्मनी की एजेंसी जीईजेड इस कचरे को जर्मनी ले जाकर कुशलतापूर्वक नष्ट करने को तैयार थी लेकिन बाद में अज्ञात कारणों से उससे करार नहीं हो सका।
यूनियन कार्बाइड के कचरे से प्रदूषित भूजल
Posted on 29 Nov, 2015 12:33 PMभोपाल गैस कांड पर विशेष
आज से 31 साल पहले दुनिया की सबसे भीषणतम औद्योगिक दुर्घटना (भोपाल गैस कांड) में हजारों लोगों की मौतें हुई थीं और हजारों लोग जिन्दगी भर पीछा न छोड़ने वाली बीमारियों से पीड़ित हो गए लेकिन अब भी हालात नहीं सुधरे हैं।
यूनियन कार्बाइड कारखाने में जमा कई टन कचरे की वजह से आसपास (करीब चार किमी की परिधि) में रहने वाले लोगों के जिन्दगी पर अब भी इसका बुरा साया बरकरार है। कचरे के जमीन में रिसने से यहाँ का भूजल इतनी बुरी तरह प्रदूषित हो चुका है कि यहाँ हर दिन एक व्यक्ति गम्भीर बीमारियों की चपेट में आ रहा है।
यहाँ के पानी की जाँच में खतरनाक तत्व मिले हैं और यह पानी प्रतिबन्धित भी कर दिया है लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से लोगों को यही पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है।
पथरी पीड़ितों का जिला ‘बेमेतरा’
Posted on 24 Nov, 2015 03:06 PMछत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग हुए 15 वर्ष पूरे हो गए हैं। अभी हाल ही में यानि एक नवम्बर को सू
नीली मौत मरती मेघालय की नदियाँ
Posted on 24 Nov, 2015 09:43 AM जहाँ मेघों का डेरा है, वहाँ मेघ से बरसने वाली हर एक अमृत बूँदों को सहेज कर समाज तक पहुँचाने के लिये प्रकृति ने नदियों का जाल भी दिया है। कभी समाज के जीवन की रेखा कही जाने वाली मेघालय की नदियाँ अब मौत बाँट रही हैं। एक-एक कर नदियाँ लुप्त हो रही हैं, उनमें मिलने वाली मछलियाँ नदारत हैं और इलाके की बड़ी आबादी पेट के कैंसर का शिकार हो रही हैं।पंचायत समिति सिणधरी की भूजल स्थिति
Posted on 17 Nov, 2015 11:50 AMपंचायत समिति, सिणधरी (जिला बाड़मेर) संवेदनशील श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा बाड़मेर जिले में 13692 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 11502 मिलियन घनमीटर हो गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।