पथरी पीड़ितों का जिला ‘बेमेतरा’

छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग हुए 15 वर्ष पूरे हो गए हैं। अभी हाल ही में यानि एक नवम्बर को सूबे में ‘राज्योत्सव’ के रूप में स्वतंत्र राज्य बनने का जश्न भी मनाया गया। जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य बनने से लेकर अब तक की विकासगाथा पर रोशनी डाली, लेकिन रमन सिंह यह भूल गए कि बेमेतरा के खारे पानी की समस्या उस वक्त से है, जब छत्तीसगढ़ की परिकल्पना भी नहीं की गई थी।

छत्तीसगढ़ का नया बना जिला है बेमेतरा। इसके बाशिन्दे अपने जिले को ‘पथरी पीड़ितों’ का जिला कहने से भी नहीं चूकते। यह केवल मज़ाक की बात नहीं, बल्कि बेमेतरा की हकीक़त है। यहाँ के हर तीसरे घर में एक पथरी से पीड़ित मरीज़ मिल ही जाएगा। इसका कारण है यहाँ पाया जाने वाला खारा पानी। खारे पानी की समस्या से बेमेतरा के तीन विकासखण्ड बेमेतरा, साजा और नवागढ़ सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

बेमेतरा ब्लॉक के 57, नवागढ़ के 54, साजा ब्लॉक के 41 गाँवों के ग्रामीण वर्षों से खारा पानी पीने को मजबूर हैं। राज्य सरकार ने समय-समय पर समस्या को दूर करने की योजनाएँ तो बहुत बनाई हैं, लेकिन अभी तक बेहतर नतीजे हासिल करने में नाकाम रही है।

साजा में रहने वाले भानू चौबे बताते हैं कि उनकी कई पीढ़ियाँ खारा पानी पीते ही गुजर गईं। इस पानी ने हमारा सुख-चैन सब छीन लिया। परिवार में हर दूसरे पुरुष सदस्य को पथरी की शिकायत है। लेकिन हमारी सुध जब तक सरकार लेगी, तब तक तो हम शरीर के कष्ट से ही मर जाएँगे।

बेमेतरा में रहने वाले संजय साहू कहते हैं कि हम पानी का तो क्या दाल का भी असली स्वाद भूल गए हैं। खारे पानी में बनने वाली दाल आप खा नहीं सकते। एक तो वह ढंग से गल नहीं पाती, दूसरे उसके स्वाद भी किरकिरा हो जाता है। जब हम दूसरे शहरों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के घर जाते हैं, तो उनके खाने का स्वाद हमारे घरों से बिलकुल अलग होता है, मतलब स्वादिष्ट होता है। लेकिन हम लाख चाहने पर भी अपने घरों में उस स्वाद का खाना नहीं बना सकते।

बेमेतरा जिला अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनय ताम्रकार बताते हैं कि सटीक आँकड़े तो हमारे पास नहीं है, लेकिन यह सच है कि खारे पानी के कारण ज्यादातर लोगों में गुर्दे की पथरी, पेशाब नली, लीवर में पथरी होने की शिकायत है। ऐसे मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

लोक निर्माण यांत्रिकी विभाग के उप एस. आर. नारनौरे कहते हैं कि शिवनाथ नदी के अमोरा घाट से पानी शहर की टंकियों में पहुँचाने की योजना है। इसके लिये नदी में इंटकवेल बनाया जाना है। वहाँ से गन्दा पानी कोबिया चौक के पास फिल्टर प्लांट तक पहुँचेगा, जो शहर में मीठे पानी की सप्लाई करेगा। इसके लिये 47 हजार 282 मीटर पाइप लाइन बिछाई जानी है।
 

12 गाँवों में लगाए हैं आरो प्लांट


लोक निर्माण यांत्रिकी विभाग ने फिलहाल बेमेतरा ब्लॉक के 57 गाँवों में 12 गाँवों में आरो प्लांट लगाया गया है। इनमें ग्राम भुरकी, नवागाँव, मुरकी, आंदू, झूडा, झिरीया, तुमा, जगमड़वा, खुड़मुड़ी, सांवलपुर, सेमरिया, सिरवाबांधा शामिल हैं। आरो प्लांट में प्रति घंटा 500 लीटर पानी उपलब्ध हो जाता है।

 

 

2016 तक मिलेगी खारे पानी से निजात


पी.एच.ई. विभाग के स्थानीय अधिकारियों की मानें तो बेमेतरा जिले के 152 गाँवों में खारे पानी की समस्या से निजात दिलाने शिवनाथ नदी पर सामूहिक नल-जल योजना के लिये शासन द्वारा 192 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।

इस योजना के तहत जिले के विकासखण्ड बेमेतरा के 57, नवागढ़ के 54, और साजा के 41 गाँवों को मिलाकर लगभग एक लाख 74 हजार की जनसंख्या को फायदा पहुँचेगा। योजना के तहत 751 किलोमीटर की पाइप लाइनों और 139 ओवर हैण्डटैंकों के माध्यम से लोगों के घरों तक स्वच्छ जल पहुँचाया जाना है।

योजना के तहत इंटकवेल, ओवर हैण्ड टैंक निर्माण कार्य तथा पाइप लाइन विस्तार का कार्य जारी है। शिवनाथ नदी के खम्हरिया इंटकवेल से साजा ब्लॉक के खारे पानी प्रभावित ग्रामों, बावनलाख इंटकवेल से बेमेतरा के प्रभावित ग्रामों तथा नांदघाट इंटकवेल से नवागढ़ विकासखण्ड के प्रभावित गाँवों को मीठे पानी आपूर्ति की जाएगी। इस निर्माण कार्य जून 2016 तक पूर्ण किया जाना है।

छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग हुए 15 वर्ष पूरे हो गए हैं। अभी हाल ही में यानि एक नवम्बर को सूबे में ‘राज्योत्सव’ के रूप में स्वतंत्र राज्य बनने का जश्न भी मनाया गया। जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य बनने से लेकर अब तक की विकासगाथा पर रोशनी डाली, लेकिन रमन सिंह यह भूल गए कि बेमेतरा के खारे पानी की समस्या उस वक्त से है, जब छत्तीसगढ़ की परिकल्पना भी नहीं की गई थी।

कहने का आशय यह कि यदि राज्य सरकार पन्द्रह साल बीत जाने के बाद भी यदि लोगों को पेयजल मुहैया न करवा पाये तो सारे विकास के दावे झूठे से प्रतीत होते हैं। निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ में विकास का पहिया तेजी से घूमा है, लेकिन बेमेतरा जैसे जिले आज भी मौजूद हैं, जहाँ लोग पीने के पानी तक को तरस रहे हैं।

बहरहाल, देर से सही राज्य सरकार ने खारे पानी प्रभावित गाँवों की सुध ली तो है, लेकिन बावजूद इसके शिवनाथ नदी का पानी पीने के लिये अभी बेमेतरावासियों को इन्तजार करना पड़ेगा।

 

 

 

 

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Post By: RuralWater
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