मनरेगा
मनरेगा के सामाजिक प्रभाव
Posted on 15 Oct, 2011 11:15 AMजो गाँव आवश्यकता से अधिक होने पर दूध-साग-भाजी आदि को गाँव में बांटकर भी पुण्य कमाने का घमंड नह
मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी का गड़बड़झाला
Posted on 10 Dec, 2010 10:04 AMक्या मनरेगा को जस का तस छोड़ा जा सकता है? मनरेगा के मामले में नागरिक-संगठन आखिर इतना हल्ला किस बात पर मचा रहे हैं? क्या ग्रामीण इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता बहुत ज्यादा की मांग कर रहे हैं? क्या यूपीए- II वह सारा कुछ वापस लेने पर तुली है जो यूपीए- I ने चुनावों से पहले दिया था?नरेगा भर सकता है भू-जल भंडार
Posted on 09 Dec, 2010 03:17 PMआज जल संकट का कारण वर्षा जल को बदलते हालात में संरक्षण के लिये राज-समाज और संगठन अपनी भूमिका भूल गये है। आवश्यकता है कि जहाँ जितनी जल वर्षा हो उसे वहीं समाने हेतु जंगल और धरती की हरियाली बढ़ाने हेतु जोहड़ बनायें । इस कार्य में सबकी भूमिका समान है । राज तो नीति नियम बनाये, जमीन और काम के लिए साधन दे और समाज श्रम दें । जल की एक अच्छी सरकारी नीति बने तभी यह संभव है । यह नीति गांव से लेकर नदी घाटी स्नरेगा में पारदर्शिता और जबाबदेही कायम करने के लिये सामाजिक लेखा परीक्षण महत्वपूर्ण
Posted on 07 Dec, 2010 02:50 PMमनरेगा, जो मन में आए करो!
Posted on 06 Dec, 2010 12:23 PMउत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार योजना (मनरेगा) ग़रीबों के लिए केंद्र सरकार की खास योजना है। लेकिन अधिकारियों ने इसे अपनी तरह से चलाने की मनमानी शुरू कर दी है। इस समय प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों के मन में जो आ रहा है वही, इस योजना के लिए भेजे गए फंड के साथ किया जा रहा है। हालांकि राहुल गांधी द्बारा इसमें हो रही लूट की ओर इशारा करने के बाद मायावती ने कुछ अधिकारियों के ख़ि