ग्रामीण क्षेत्रों से भूख, गरीबी तथा बेरोजगारी उन्मूलन की दिशा में हाल के वर्षों में सरकार द्वारा उठाये गये कदमों में सबसे महत्वपूर्ण कदम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का शुरू किया जाना है। यह योजना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। यह मात्र योजना नहीं, बल्कि वैसे सभी व्यक्तियों को जो रोजगार पाना चाहते हैं, उन्हें रोजगार की कानूनी गांरटी देती है। सरकार की यह योजना इस मान्यता पर आधारित थी कि विकास में तेजी लाने के साथ ही विकास के लाभ को उन लोगों तक पहुंचाना, जो अभी तक इससे वंचित हैं। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर सीधे ग्रामीण बेरोजगारी पर चोट की गई।
यह योजना प्रत्येक ग्रामीण परिवार के कम से कम एक सदस्य को वर्ष में 100 दिनों का रोजगार प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देती है। यह योजना अकुशल श्रम की गारंटी देती है तथा इसके लिए वैधानिक न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है जो 60 रूपये से कम नहीं होगी। इस योजना की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, नरेगा के तहत उपलब्ध रोजगार में 33 फीसदी महिलाओं को उपलब्ध कराना। इस योजना के तहत कोई भी इच्छुक व्यक्ति अपना पंजीकरण करा सकता है, और पंजीकरण के 15 दिनों के अंदर रोजगार नहीं दिये जाने पर निर्धारित दर से बेरोजगारी भत्ता सरकार द्वारा प्रदान किये जाने का प्रावधान है। कार्य सामान्यत: गांव के 5 कि.मी. क्षेत्र के भीतर उपलब्ध कराया जाएगा अन्यथा 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी देय होगी।
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मुख्य तथ्य:-
. 1 अप्रैल 2008 से सभी ग्रामीण क्षेत्रों में लागू
. ग्रामीण परिवार के एक सदस्य को 100 दिन के अकुशल रोजगार की गारंटी
. देय वैधानिक मजदूरी 60 रूपये से कम नहीं होगी।
. रोजगार के लिए इच्छुक परिवार के सदस्य ग्राम पंचायत मे मौखिक या लिखित आवेदन कर सकते हैं।
. जॉब कार्ड नि:शुल्क होगा।
. रोजगार मांगे जाने पर 15 दिन के अंदर काम दिया जाएगा।
. 15 दिन के अंदर रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा।
. कार्य सामान्यत: गांव के 5 किलोमीटर के अंदर उपलब्ध कराया जाएगा अन्यथा 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी देय होगी।
ग्रामीण परिवार के इच्छुक वयस्क सदस्य पंजीकरण के लिए लिखित या मौखिक रूप से स्थानीय ग्राम पंचायत को आवेदन कर सकते हैं। ग्राम पंचायत सत्यापन के बाद परिवार को जॉब कार्ड जारी करती है। यह जॉब कार्ड नि:शुल्क दिया जाता है।
नरेगा जैसी योजना को क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। यह योजना न केवल गरीबी और बेरोजगारी दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि परिसंपत्तियों का सृजन भी कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की उपलब्धता से ग्रामीण क्षेत्रों से मजदूरों का कुछ हद तक पलायन रूका है। इसकी पुष्टि तब हुई, जब पंजाब, हरियाणा में कृषि मौसम के समय पर्याप्त मजदूर नहीं मिले, जबकि यहां के बड़े किसान खेतों में काम करने के लिए अधिक मजदूरी देने को तैयार थे। यह स्वाभाविक ही है कि यदि हमें रोजगार अपने ही क्षेत्र में मिल जाए तो हम बाहर क्यों जाएं।
लेकिन नरेगा जैसी क्रांतिकारी योजना भी अनियमितता और भ्रष्टाचार की बलि न चढ़ जाए, इसके लिए सरकार तथा स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आना चाहिए। यह योजना अपने उद्देश्यों में क्रांतिकारी है, अगर इसका क्रियान्वयन बेहतर ढंग से किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को तेज किया जा सकता है। नरेगा मे अनियमितता और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सोसल ऑडिट के लिए सूचना के अधिकार का उपयोग बेहतर विकल्प बना है। राजस्थान में अरूणा राय सूचना के अधिकार का उपयोग कर सोसल ऑडिट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ज्यां द्रेज ने योजना के संबंध में काफी दौरे किये और इनके अच्छे परिणाम भी निकले। 20 जुलाई से पूरे देश के हर जिले में इसके सामाजिक ऑडिट का काम शुरू हो जाना है और 1 सितंबर तक उसकी पूरी रिपोर्ट राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच जानी है। योजना में पारदर्शिता तथा जबाबदेही कायम करने के लिये सामाजिक लेखा परीक्षण महत्वपूर्ण है। आंध्र प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जो इस मामले में सक्रिय है। नरेगा में फैले भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए कानून के अनुसार त्वरित कार्यवाही की जरूरत है तभी नरेगा जैसी योजना अपने उद्देश्यों में सफल हो पायेगी।
नि:संदेह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना सर्वथा अलग योजना है, तथा रोजगार के माध्यम से गरीबी निवारण की दिशा में महत्वपूर्ण शुरूआत है। अगर यह योजना प्रभावपूर्ण ढंग से क्रियान्वित की जा सके तो अर्थव्यवस्था में सम्पत्ति सृजन के साथ गरीबी और बेरोजगारी भी दूर की जा सकेगी।
/articles/naraegaa-maen-paaradarasaitaa-aura-jabaabadaehai-kaayama-karanae-kae-laiyae-saamaajaika