भूजल

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May 15, 2024 बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है।
भूजल का अत्यधिक दोहन
May 12, 2024 Rethinking community engagement in the Atal Bhujal Yojana
Towards sustainable groundwater management (Image: IWMI)
May 8, 2024 What is the ecosystem based approach to water management? How can it help in solving the water woes of states in the Deccan Plateau?
An ecosystem based approach to water management (Image Source: India Water Portal)
March 13, 2024 As cities such as Bangalore grapple with the water crisis, understanding the value of conserving groundwater to prevent this from happening in the future is urgently needed!
Groundwater, a threatened resource (Image Source: India Water Portal)
December 30, 2023 भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के मामले में एनजीटी ने "जिम्मेदारी से भागने" के लिए 28 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, सीजीडब्ल्यूए को नोटिस जारी किया।
भूजल में आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्व
December 12, 2023 Learnings from India's Participatory Groundwater Management Programme
Launched in 2019, Atal Bhujal Yojana aims to mainstream community participation and inter-ministerial convergence in groundwater management. (Image: Picryl)
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है। Posted on 15 May, 2024 09:10 AM

देहरादून। ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ के वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेटों के टक्कर से उत्पन्न होने वाले भूकंपों के अध्ययन डाटा को एकत्रित किया है और डाटा से उन क्षेत्रों की पहचान की है जो भूकंप से अत्यधिक प्रभावित और जोखिम में हैं। इस अनुसंधान के अनुसार, पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग, सिक्किम, अरुणाचल, असम और भूटान क्षेत्रों में भवि

भूजल का अत्यधिक दोहन
भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के विषाक्तता मामले पर एनजीटी का राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस
भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के मामले में एनजीटी ने "जिम्मेदारी से भागने" के लिए 28 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, सीजीडब्ल्यूए को नोटिस जारी किया। Posted on 30 Dec, 2023 02:13 PM

भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्वों की मौजूदगी, मानव शरीर पर गंभीर विषाक्त प्रभाव डालती है, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने स्वीकार भी किया है, लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर दिनांक 30.11.2023 को हिंदुस्तान ने समाचार प्रकाशित किया था, समाचार का शीर्षक था “25 राज्यों के भूजल में आर्सेनिक, 27 राज्यों में फ्लोराइड पाया गया: सरकार।” एनजीटी ने इस मीडिया

भूजल में आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्व
भारत की भूजल चुनौतियां
भूजल का आपके लिए महत्व तभी होता है जब आप पानी का अभाव भोग रहे होते हैं। इक्कीसवीं सदी का भारत जिन सबसे जटिल व सामाजिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा है उनमें से बहुत से मुद्दे भूजल प्रबंधन से सम्बंधित हैं। इनका निराकरण किस तरह किया जाता है इसका सीधा प्रभाव पर्यावरण और अधिकांश ग्रामीण व शहरी लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर पड़ेगा। Posted on 14 Dec, 2023 10:56 AM

भूजल का आपके लिए महत्व तभी होता है जब आप पानी का अभाव भोग रहे होते हैं। इक्कीसवीं सदी का भारत जिन सबसे जटिल व सामाजिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा है उनमें से बहुत से मुद्दे भूजल प्रबंधन से सम्बंधित हैं। इनका निराकरण किस तरह किया जाता है इसका सीधा प्रभाव पर्यावरण और अधिकांश ग्रामीण व शहरी लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर पड़ेगा। भूजल एक छुपा हुआ संसाधन है। यही कारण है कि इस सं

भारत की भूजल चुनौतियां
भूजल भण्डार
पिछले कुछ सालों में यहां पानी की कमी बहुत गंभीर हो गई है। गांव का मुख्य कुआं गंगाजलिया भी 1993 की गर्मियों में सूख गया था। बाहर से टैंकर बुलवाकर गंगाजलिया में पानी डालना पड़ा था। इस वर्ष से पहले जब गर्मियों में अरलावदा के बहुत सारे कुएं सूख जाते थे तब भी गंगाजलिया में पानी रहता था। इसलिये लोग इस पर बहुत भरोसा करते थे। कुछ साल पहले गंगाजलिया से पास के एक शहर को भी पानी सप्लाई किया गया था। Posted on 12 Dec, 2023 12:12 PM

जब कई महीनों वर्षा नहीं होती, तालाब और छोटी नदियां सूख जाती हैं तब भी हमें कुओं से पानी मिलता रहता है।तब यह भी देखा होगा कि किसी साल बरसात कम हो तो बहुत से कुएं भी सूख जाते हैं। जब वर्षा होती है, तब कुएं में फिर से पानी आ जाता है। यही नहीं, कुओं को लेकर अलग-अलग जगहों के हालात भी अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए मालवा के पठार में एक गांव है, अरलावदा। पिछले कुछ सालों में यहां पानी की कमी बहुत गंभीर हो

भूजल भण्डार
सहभागी भूजल प्रबंधन की अवधारण, आवश्यकता एवं औचित्य 
सहभागी भूजल प्रबंधन का अर्थ है भूजल प्रणाली के प्रत्येक स्तर पर भूजल प्रबंधन में किसानों एवं विभाग की वित्तीय, प्रशासनिक तथा तकनीकी भागीदारी । प्रत्येक स्तर से अर्थ है कि डिमाण्ड को कम करना जैसे कृषि में स्प्रिंकलर, ड्रिप, अन्डर ग्राउन्ड पाइप, पाइप से सिंचाई तथा घरेलू कार्यों में पानी को बचाना जैसे गाड़ी को साफ करने के लिए पाइप के स्थान पर कपड़े का उपयोग, औद्योगिकों में पानी का कम उपयोग आदि । Posted on 11 Dec, 2023 11:52 AM

सहभागिता क्या है ?

सहभागिता व सहयोग परस्पर समानार्थी हैं लेकिन हैं एकदम अलग-अलग । सहयोग की प्रक्रिया में जहां व्यक्ति एक-दूसरे की सहायता करते हैं जो क्षणिक भी हो सकता है, वहीं सहभागिता मिलजुलकर जिम्मेदारियां बांटकर निर्णय लेने और साथ काम करने की प्रक्रिया है, इसमें सभी पक्षों की जिम्मेदारियां, अधिकार व लाभ तय होते हैं। सहभागिता में सभी पक्ष एक साझे और सकारात्मक

सहभागी भूजल प्रबंधन की अवधारण
अटल भूजल योजना कब, क्यों और क्या (When, why and what of Atal Bhujal Yojana in Hindi) 
अटल भूजल योजना को स्थायी भूजल प्रबंधन पर लक्षित किया गया है, मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों और हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न चालू योजनाओं के बीच अभिसरण से यह सुनिश्चित होगा कि योजना क्षेत्र में, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आवंटित धन विवेकपूर्ण तरीके से भूमिगत जल संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए खर्च किए जायेगें। अभिसरण के परिणामस्वरूप उपयुक्त निवेश के लिए राज्य सरकारों को योजना को पायलट भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत करने के प्रमुख उद्देश्य के साथ पायलट के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन लाना और भाग लेने वाले राज्यों में स्थायी भूजल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण करना है। इस योजना में प्रोत्साहन मिलेगा, मजबूत आधार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामुदायिक भागीदारी सम्मिलित है। Posted on 08 Dec, 2023 04:38 PM
1 - अटल भूजल योजना का प्राथमिक उद्देश्य

इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य चयनित क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना। केन्द्र / राज्य सरकार स्तर पर विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से समुदाय के नेतृत्व में भूजल प्रबंधन में उचित सुधार करना तथा प्रबंधन कार्यों को लागू करना।अटल भूजल योजना को स्थायी भूजल प्रबंधन पर लक्षित किया गया है, मुख्य रूप से स

अटल भूजल योजना
भूजल की खोज और अवधारणा (Discovery and concept of groundwater in Hindi)
वर्षा के द्वारा प्राप्त सतही जल का कुछ भाग धीरे-धीरे संचारित होकर गुरुत्वाकर्षण के कारण भूमि के नीचे चला जाता है। अतः भूजल बनने की यह क्रिया जलभृत कहलाती है और संचित जल भूजल कहलाता है। गुरुत्व प्रभाव के फलस्वरूप भूमिगत जल धीरे-धीरे मृदा के भीतर चला जाता है। निचले क्षेत्रों में यह झरनों एवं धारा के रूप में बाहर आ जाता है। Posted on 08 Dec, 2023 03:32 PM

भूमि के नीचे पाये जाने वाले जल को ही भूजल कहते हैं। वर्षा के जल अथवा बर्फ के पिघलने से पानी का कुछ भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है या कुछ जलराशि भूजल की ऊपरी परत से रिस-रिसकर जमीन के नीचे चली जाती है और यही जल भूमि जल बनता है।

भूजल की खोज और अवधारणा
तीन गुणा बढ़ जाएगी भूजल में गिरावट की दर
भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में पहले ही कहीं ज्यादा तेजी से अपने भूजल का दोहन कर रहा है। आंकड़ों से पता चला है कि भारत में हर साल 230 क्यूबिक किलोमीटर भूजल का उपयोग किया जा रहा है, जो कि भूजल के वैश्विक उपयोग का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। देश में इसकी सबसे ज्यादा खपत कृषि के लिए की जा रही है। देश में गेहूं, चावल और मक्का जैसी प्रमुख फसलों की सिंचाई के लिए भारत बड़े पैमाने पर भूजल पर निर्भर है। Posted on 25 Nov, 2023 03:42 PM

भूजल-आपदा

दुनियाभर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है। इस बारे में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते तापमान और गर्म जलवायु के चलते भारत आने वाले दशकों में अपने भूजल का कहीं ज

भूजल आपदा-कल का भविष्य
भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण (Methods of artificial recharge of groundwater in hindi)
गुजरात के सौराष्ट्र में लगातार तीन वर्षों के सूखे के जवाब में 1980 के दशक के अंत में भूजल पुनर्भरण एक जन आंदोलन के रूप में शुरू हुआ। फसलों को बचाने के लिए कुछ किसानों ने बारिश के पानी और आस-पास की नहरों और नालों के पानी को अपने कुओं में मोड़ना शुरू कर दिया । कुछ ही समय में सौराष्ट्र के सात जिलों के हजारों किसानों ने अपने कुओं को पुनर्भरण संरचनाओं में परिवर्तित कर दिया । Posted on 18 Nov, 2023 04:28 PM

भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल को विभिन्न प्रकार की संरचनाओं के माध्यम से होकर भूजल स्तर तक ले जाना होता है। ऐसा करने से सतही अपवाह जो बहकर अन्यत्र चला जाता है उसे कम किया जा सकता है जिससे भूजल स्तर में वृद्धि होती है। कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा मृदा के कटाव एवं सूखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण
मध्य गंगा घाटी में घटता भू-जल विकास स्तर : समस्याएं एवं समाधान
भारत भू-जल का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, जो कुल वैश्विक भू-जल निर्यात का 12 प्रतिशत है। विश्व में प्राप्त कुल भू-जल का 24 प्रतिशत अकेले भारत उपयोग करता है। इस प्रकार भू-जल उपयोग में विश्व में भारत का प्रथम स्थान है अपने देश के लगभग 1 अरब लोग पानी से कमी वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से 60 करोड़ लोग तो गम्भीर संकट वाले क्षेत्रों में हैं। उनके लिए 88 प्रतिशत घरों के निकट स्वच्छ जल प्राप्त नहीं है, जबकि 75 प्रतिशत घरों के परिसर में पीने का पानी नहीं है। 70 प्रतिशत पीने का पानी दूषित है और तय मात्रा से 70 प्रतिशत अधिक जल का उपयोग किया जा रहा है। सन् 2030 तक 21 नगर डेन्जर जोन में आ जायेंगे अपने देश में 1170 मिलीमीटर औसत वर्षा होती है, जिसमें से 6 प्रतिशत ही हम संचित कर पाते हैं और 91 प्रमुख जलाशयों में क्षमता का 25 प्रतिशत ही जल बचा है। Posted on 17 Nov, 2023 12:53 PM

सारांश

पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भूगर्भिक स्तर की सभी रिक्तियों में विद्यमान जल को भू-जल कहा जाता है। अपने देश में लगभग 300 लाख हेक्टोमीटर भू-जल उपलब्ध है, जिसका लगभग 80 प्रतिशत हम उपयोग कर चुके हैं। यदि भू-जल विकास स्तर की दृष्टि से देखा जाए तो अपना देश घूमिल सम्भावना क्षेत्र से गुजर रहा है, जो शीघ्र ही सम्भावनाविहीन क्षेत्र के अन्तर्गत आ जायेगा। यही स्थिति

मध्य गंगा घाटी में घटता भू-जल विकास स्तर : समस्याएं एवं समाधान
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