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भूजल
भूजल
Posted on 16 Feb, 2014 03:44 PMभूजल एक गतिशील स्रोत है। लेकिन यह असीमित नहीं है इसकी मात्रा तथा गुणवत्ता एक स्थान से दूसरे स्थान तथा जलवायु के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। जल पटल का उतार-चढ़ाव भूजल भंडारों में परिवर्तन को दर्शाता है। भूजल भंडारों में वर्षा उपरांत पुनर्भरण से तथा तालाबों, नहरों तथा सिंचाई से रिसाव द्वारा वृद्धि होने पर जल पटल ऊपर आ जाता है। इसी प्रकार भूजल भंडारों से पम्पों द्वारा पानी निकालने से तथा भूजल के बाह्य प्रवाह के कारण जल पटल में गिरावट हो जाती है। धरती की सतह के नीचे भूजल लगभग हरेक जगह पर कम या अधिक मात्रा में उपलब्ध है। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 20 लाख घन मील आयतन में भूजल समाया हुआ है और इसका लगभग आधा भाग पृथ्वी की सतह से केवल एक मील की गहराई में ही व्याप्त है। वर्षा के मौसम के बाद जल का एक भाग जमीनी सतह के नीचे विभिन्न प्रकार की कठोर और नरम चट्टानों में दरारों, तरेड़ों तथा चट्टानों के कणों के मध्य रिक्त स्थानों में एकत्र हो जाता है। यह जल ही भूजल कहलाता है।भूजल का विश्लेषण
पृथ्वी की सतह के नीचे चट्टानों में उपलब्ध समस्त रिक्त स्थान जब जल से पूर्ण रूप से भर जाते हैं तो वह क्षेत्र संतृप्त क्षेत्र कहलाता है। इस संतृप्त क्षेत्र की ऊपरी सतह ‘जल पटल’ (वाटर टेबल) कहलाती है।
संकट में भारत का भूमिगत जल
Posted on 25 Jan, 2013 10:17 AMइसे भारत की कुछ अनजानी विडंबनाओं में से एक कह सकते हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय राज्य ने सार्वजनिक सिंचाई एजेंसियों के माध्यम से सतही जल प्रणाली का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है। इसने सिंचाई प्रणालियों-बांध, तालाब, नहर आदि कमाइक नहीं, फावड़ा उठाने का दिन -भूजल दिवस
Posted on 24 May, 2012 05:27 PMभूजल संरक्षण संबंधी शासकीय निर्देशों को मानने की समझदारी उत्तर प्रदेश के प्रशासन व समाज दोनों ने दिखाई होती, तो
भूजल प्रबंधन- वर्तमान एवं भविष्य की महती आवश्यकता
Posted on 28 Dec, 2011 11:59 AMपृथ्वी पर पाये जाने वाले प्रत्येक जीव का जीवन जल पर ही निर्भर होता है। अतः इसकी उपलब्धता नितान्त आवश्यक है। पानी को हम प्रकृति का मुफ्त या निशुल्क उपहार समझते हैं, जब वस्तुस्थिति यह है कि पानी प्रकृति का मुफ्त नहीं वरन् बहुमूल्य उपहार है। अतः यदि हमने जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग एवं संरक्षण नहीं किया तो हमारे अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा। प्रकृति ने हमें सभी वस्तुएं पर्याप्त मात्रा
भूजल प्रदूषण नियंत्रण के लिए कब बनेगी राष्ट्रीय योजना
Posted on 10 Oct, 2011 12:40 PMसमिति का मानना है कि सरकार को इस योजना का विस्तार उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड जैसे द
गर्माते जल स्त्रोत
Posted on 21 Jul, 2011 01:54 PMनासा की ताजा रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2060 तक धरती का औसत तापमान चार डिग्री बढ़ जाएगा, जिससे एक तरफ प्राकृतिक जलश्रोत गर्माने लगेंगे, वहीं लोगों का विस्थापन भी बढ़ेगा। पर्यावरण में आ रहे बदलावों से जूझने के लिए हर तरफ प्रयास हो रहे हैं। ऐसे ही कुछ प्रयासों से रूबरू पिछले दिनों अमरीकी वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार चौंकाती रिपोर्ट प्रस्तुत की है कि लगातार बढ़ता ताप धरती की अपेक्षा उसके जल श्रोतों को
गिरता जा रहा भू-जल स्तर
Posted on 20 Jun, 2011 04:00 PMकिसानों द्वारा पानी के अंधाधुंध प्रयोग पर रोक लगाने का एक उपाय यह है कि नए ट्यूबवेल लगाने के लि
फिर तो भू-जल भी एक दिन खत्म हो जाएगा!
Posted on 07 Mar, 2011 10:15 AMअजमेर के आठों ब्लॉक अब भू-गर्भीय जल की मौजूदगी के मामले में अत्यधिक दोहित ब्लॉक्स बन गए हैं। यह कहना है केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक एमएन खान का। उन्होंने बताया कि साल 2000 में इनकी संख्या 6 थी, लेकिन पिछले 10 सालों में बिगड़े हाल तो सुधरे नहीं, लेकिन दो और ब्लॉक भिनाय और केकड़ी में भी हालात परम-चरम पहुंच गए हैं। खान गुरुवार को अजमेर में बोर्ड द्वारा आयोजित जल चेतना समारोह में आ
‘‘राजस्थान में भू-जल’’
Posted on 18 Jan, 2011 03:01 PM‘‘भूजल राजस्थान की है, एक जीवित-जागरूक सी तस्वीर।समय पर जल मरू भूमि को दो, वरना प्यासे मर जायेंगे थार के वीर।।’’