दरवाजे-खिड़कियाँ
कुर्सी की पट्टी डालने के पश्चात अब दीवाल खड़ी करनी है। पर इससे पहले दरवाजों की चौखटों को अपनी जगह पर सुतली की मदद से खड़ा करना होगा। इसके लिए 6x3 फिट की चौखट तैयार करें। यह ध्यान रहे कि चौखट में होल्ड फास्ट जरूर लगा हो। इससे चौखट दीवाल के साथ अच्छी तरह पकड़ बनाता है। खिड़की की चौखट में भी होल्ड फास्ट जरूर लगाएँ।
यह ध्यान रखें कि भूकम्प में कोनों पर ज्यादा बल आता है। इसलिए मकान में खुले हिस्से जैसे खिड़की व दरवाजे हमेशा दीवाल के कोनों से कम से कम 4 फिट दूर रखें (ईंट या ब्लाॅक के मकानों में यह दूरी 3 फिट की हो सकती है)।
आर-पार पत्थर
दीवाल की चिनाई 1.5 फिट चौड़ी होनी है। इसे ज्यादा मोटा करने से दीवाल का वजन बढ़ेगा और भूकम्प में मकान को ज्यादा नुकसान हो सकता है। आर-पार पत्थर दीवाल की चौड़ाई के बराबर लम्बा होता है। इसके इस्तेमाल से भूकम्प में दीवाल बीच से नहीं फटती। इनके अभाव से ही उत्तरकाशी और लातूर के भूकम्प में दीवालें बीच से फट गई और भारी छत नीचे आ गईं।

1. जहाँ तक सम्भव हो बड़े और चपटे पत्थरों का इस्तेमाल करें।
2. ऊपर दिए गए चित्र के अनुसार हर 2 फिट की ऊँचाई के बाद दीवाल पर, हर 4 फिट की दूरी पर, कम से कम एक आर-पार पत्थर का इस्तेमाल करें। यदि इससे ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं तो जरूर करें।
3. हर एक या दो रद्दे के बाद चिनाई थर (या लेवल) कर लें। इससे दीवाल अधिक स्थिर होती है।
ईंट की चिनाई
ईंट या ब्लाॅक की दीवाल में दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिएः
1. जोड़ अच्छी तरह कटने चाहिए अर्थात जोड़ एक के नीचे एक नहीं होना चाहिए।
2. दो ईंट के बीच में करीब आधा ईंच (या एक उंगली) का मसाला ही होना चाहिए। नीचे दिए गए चित्र में दिखाए दो में से किसी एक तरह की चिनाई की जा सकती है।

कांक्रीट-ब्लाॅक की चिनाई
ब्लाॅक की दीवाल ईंट की दीवाल जैसी ही बनती है। कोनों पर लगाने के लिए लम्बे ब्लाॅक बना सकते हैं। देखिए परिशिष्ट II। ये ब्लाॅक यदि लम्बाई में 15 ईंच या 18 ईंच के होंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। कोने पर ब्लाॅक को नीचे दिए गए चित्र की तरह रखा जा सकता है। रिक्त स्थानों में 1:2:4 का मसाला भरना चाहिए। ब्लाॅक की दीवाल 8 ईंच की बन सकती है।


कोनों की मजबूती
जैसा कि पहले बताया गया है कि कोनों पर बल ज्यादा आता है इसलिए यह जरूरी है कि कोनों को ज्यादा मजबूत बनाया जाए। कोनों पर भूकम्प में, ज्यादा तनाव आता है। कोनों पर आर.सी.सी. मुर्गा जाली, वेल्ड मेश, लकड़ी की शहतीर, बैटन या सिर्फ सरिये का इस्तेमाल हो सकता है। इनका इस्तेमाल कोनों से कम से कम 4 फिट दूर तक करना चाहिए। ईंट या ब्लाॅक के मकान में ये कोनों से 3 फिट दूर भी हो सकते हैं।


सिल तक की चिनाई और कोनों की मजबूती हो जाने के पश्चात खिड़कियों को दीवाल पर सुतली की मदद से यथास्थान रखें। इसके पश्चात लिंटल लेवल तक पहले की तरह ही चिनाई करें।
लिन्टल की पट्टी
लिन्टन लेवल पर एक लगातार पट्टी डालनी बहुत जरूरी है। यह पट्टी आर.सी.सी. या लकड़ी की हो सकती है। आर.सी.सी. की पट्टी के लिए प्लिंथ की पट्टी की तरह ही शटरिंग लाल ईंट की लें। परन्तु दरवाजे, खिड़की व अन्य खुली जगहों पर शटरिंग करनी ही पड़ेगी। यदि पट्टी में लकड़ी की शहतरी या बैटन का इस्तेमाल करते हैं तो शटरिंग की जरूरत नहीं होगी।

आर.सी.सी. की पट्टी में कोने का सरिया मोड़ लें। इससे लिन्टल की पट्टी अच्छी तरह दीवाल से बँधी रहेगी। लिन्टल से ही 18 ईंच का बोल्ट 4 फिट से 5 फिट की दूरी पर चित्र 30 की तरह निकाल लें।
यदि पट्टी के लिए लकड़ी के शहतीर का इस्तेमाल करना है तो उसके कोनों में छेद कर के सरिये को उसमें घुसा कर मोड़ सकते हैं। शहतीर में पहले से निश्चित दूरी पर छेद कर बोल्ट बाहर निकाले जा सकते हैं।


गेबल की दीवाल
पट्टी पड़ जाने के बाद दीवालों को एक फुट और ऊँचा उठाएँ। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मकान जितना ऊँचा होगा भूकम्प में उतना ही नुकसान ज्यादा होगा। इस एक फुट की चिनाई में, बरामदे की तरफ खम्बों पर, कड़ियों के लिए खाली स्थान छोड़ दें। फिर गेबल की दीवाल बनाएँ।
गेबल की दीवाल बीच में ऊँची होगी और आगे व पीछे की ओर ढाई में एक के ढाल में होगी। गेबल की दीवाल पर भी पट्टी डाल सकते हैं। गेबल की दीवाल में परलिन के लिए दोनों तरफ 3 बोल्ट (1 फुट के) लगाने होंगे। इसके लिए चिनाई में करीब 6 इंच बाई 6इंचx6इंच का रिक्त स्थान छोड़ें। फिर बोल्ट को उल्टा डालकर 1:2:4 के मसाले से भर दें।

इतना बनाने पर मकान नीचे दिए गए चित्र जैसा दिखेगा।

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