अगहन में ना दी थी कोर।
तेरे बैल क्या ले गये चोर।।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि हे किसान! तूने अगहन में अपने ईख के खेतों की जुताई क्यों नहीं की? क्या तेरे बैल चोर चुरा ले गये थे?
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