पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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नीचन से ब्योहार बिसाहा
Posted on 25 Mar, 2010 10:21 AM
नीचन से ब्योहार बिसाहा, हँसि के मांगे दम्मा,
आलस नींद निगोड़ी घेरे, घघ्घा तीनि निकम्मा।


भावार्थ- जो लोग बुरे लोगों से मित्रता करते है, हँसकर अपना पैसा माँगते हैं और जिन्हें आलस्य या नींद हर समय घेरे रहती है, ये तीनों निकम्मे यानी बेकार होते हैं।

निहपछ राजा मन हो हाथ
Posted on 25 Mar, 2010 10:19 AM
निहपछ राजा मन हो हाथ, साधु परोसी नीमन साथ।
हुकुमी पूत धिया सतवार, तिरिया भाई रखे विचार।।
कहै घाघ हम करत विचार, बड़े भाग से दे करतार।।


शब्दार्थ- निहपछ-निष्पक्ष। नीमन-अच्छा। धिया-पुत्री। सतवार-अच्छे स्वभाव। तिरिया-पत्नी।
नारि करकसा कटहा घोर
Posted on 25 Mar, 2010 10:11 AM
नारि करकसा कटहा घोर, हाकिम होइके खाइ अँकोर।
कपटी मित्र पुत्र हो चोर, घग्घा इनको गहिरे बोर।।


शब्दार्थ- करकसा-झगड़ालू, प्रपंची। घोर-घोड़ा। कटहा-काट खाने वाला। अँकोर-घूसखोर।
नसकट पनहीं बतकट जोय जो पहिलौंठी बिटिया होय
Posted on 25 Mar, 2010 10:06 AM
नसकट पनहीं बतकट जोय जो पहिलौंठी बिटिया होय।
पातर खेत बौरहा भाय, घाघ कहै दुख कहां समाय।।


शब्दार्थ- पनहीं-जूता। जोय-पत्नी। पहिलौंठी-पहले पहल। बौरहा-सनकी, पागल।
धौले भले हैं कपड़े
Posted on 25 Mar, 2010 10:04 AM
धौले भले हैं कपड़े, धौले भले न बार।
आछी काली कामरी, काली भली न नार।।


भावार्थ- वस्त्र सफेद अच्छे लगते हैं पर सफेद बाल नहीं, कम्बल काला अच्छा लगता है पर काली नारी नहीं।

तपै मृगसिरा बिलखे चार
Posted on 25 Mar, 2010 10:03 AM
तपै मृगसिरा बिलखे चार।
बन बालक औ भैंस उखार।।


भावार्थ- मृगशिरा के तपने से कपास, बालक, भैंस और ईख ये चारों सबसे अधिक कष्ट पाते हैं।

तीन बैल घर में दो चाकी
Posted on 25 Mar, 2010 10:01 AM
तीन बैल घर में दो चाकी।
पूरब खेत राज की बाकी।।

तीन बैल दो मेहरी
Posted on 25 Mar, 2010 09:59 AM
तीन बैल दो मेहरी।
काल बैठल बा डेहरी।।


भावार्थ- यदि किसान के पास तीन बैल और दो पत्नियाँ हों, तो समझो उसकी देहरी पर अकाल या मृत्यु बैठी है।

ताका भैंसा गादर बैल
Posted on 25 Mar, 2010 09:57 AM
ताका भैंसा गादर बैल। नारि कुलच्छनि बालक छैल।।
इनसे बाँचें चातुर लोग। राज छाड़ि के साधै जोग।।

शब्दार्थ- ताका-जिसकी आँखे दो तरह की हो। गादर-आलसी।

भावार्थ- ताका भैंसा, आलसी बैल, कुलक्षणा स्त्री और शौकीन बेटे से सदैव चतुर लोगों को बचना चाहिए। इनकी संगति में यदि राजमुख हो तो उसे छोड़कर फकीरी करना अधिक श्रेष्ठ है।

ढिलमिल बेंट कुदारी
Posted on 25 Mar, 2010 09:54 AM
ढिलमिल बेंट कुदारी, हँसि के बोलै नारी।
हँसि के माँगै दामा, तीनो काम निकामा।।


भावार्थ- यदि कुदाल की बेंट ढीली हो, स्त्री हँस-हँस कर बात कर रही हो और व्यक्ति हँस कर दाम माँग रहा हो तो तीनों अच्छे नहीं होते ।

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