नारि करकसा कटहा घोर


नारि करकसा कटहा घोर, हाकिम होइके खाइ अँकोर।
कपटी मित्र पुत्र हो चोर, घग्घा इनको गहिरे बोर।।


शब्दार्थ- करकसा-झगड़ालू, प्रपंची। घोर-घोड़ा। कटहा-काट खाने वाला। अँकोर-घूसखोर।

भावार्थ- घाघ का कहना है कि यदि स्त्री कर्कशा हो, घोड़ा काटने वाला हो, हाकिम घूसखोर हो, मित्र कपटी हो और पुत्र चोर हो, तो इन सबको पकड़कर गहरे पानी में डुबो देना चाहिए अर्थात् ऐसे लोगों से मुक्ति ले लेनी चाहिए।

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Post By: tridmin
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