राजस्थान

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आकार का व्याकरण
Posted on 23 Jan, 2017 02:04 PM
संसोलाव तालाब के बीचोंबीच यह छतरी तलाब के स्थापत्य को अप्रतिम
आगोर से आगार तक
Posted on 23 Jan, 2017 01:59 PM

तालाब का ढलान गऊ घाट, पणयार घाट की ओर रखा जाता था, ताकि पशु-पक्षी आसानी से पानी पी सकें व

इतिहास के झरोखों में बीकानेर के तालाब
Posted on 23 Jan, 2017 11:13 AM
जैसा कि प्रायः होता है कि हर संस्कृति के किसी विशिष्ट कालखण्ड
सन 2000 में तीन शून्य भी हो सकते हैं
Posted on 22 Jan, 2017 03:51 PM

कुछ समर्पण, कुछ अकल, कुछ पसीना चाहिए देश का पर्यावरण सुधारने के लिये। कैलेंडर के पन्ने भी

saaf mathe ka samaj
पुरोवाक्
Posted on 21 Jan, 2017 04:16 PM
जब वाचिक परम्परा अतीत की चीज होती चली जा रही हो तब सीमित दाय
सामाजिक एवं सांस्कृतिक इतिहास
Posted on 21 Jan, 2017 04:11 PM

तालाब एवं समाज के अन्तः सम्बन्धों, रखवाली से लेकर इसकी व्यवस्था में जन-भागीदारी ने इन जला

जल और समाज
Posted on 21 Jan, 2017 03:40 PM
जहाँ पानी को एक अधिकार की तरह नहीं एक कर्तव्य की तरह देखा जात
Jal aur samaj
थार के प्रेरणा स्रोत
Posted on 21 Jan, 2017 12:05 PM
कम बरसात के बावजूद चतर सिंह जाम ने परम्परागत जल व्यवस्थाओं को पुनर्जीवित कर जैसलमेर के कई गाँवों को आत्मनिर्भर बनाया है

चतर सिंह जामचतर सिंह जाम“क्या तुम्हें भी आसमान में सफेद और काली पट्टियाँ दिख रही हैं,” चतर सिंह ने मुझसे पूछा। मेरे हाँ कहने पर वह बोले, “यह मोघ है। अभी जहाँ सूरज छिप रहा है वहाँ बादल है। अगर इस तरफ की हवा चले तो यह रात तक यहाँ पहुँच कर बरस सकते हैं। रेगिस्तान में लोग इन्हीं प्राकृतिक चिन्हों पर निर्भर रहते हैं।”

हम रामगढ़ में थे, जैसलमेर से 60 किमी दूर भारत-पाक सीमा की तरफ। इस क्षेत्र की सालाना औसतन बारिश 100 मिमी है और वह भी हर साल नहीं। दस साल में तीन बार सूखे का सामना करना पड़ता है। पर थार रेगिस्तान के इन गाँवों में पानी है, पलायन नहीं। इस उपलब्धि का बहुत बड़ा श्रेय 55 साल के चतर सिंह जी को जाता है। उन्हें लोग उनकी पारिवारिक पदवी ‘जाम साहब’ से भी बुलाते हैं।
कीकर-आक के पार, काचरी-काकडी का स्वाद
Posted on 16 Jan, 2017 04:47 PM
राजस्थान के रेतीले इलाके में देसी फल-सब्जियों का स्वाद टटोलती एक दिलचस्प यात्रा
माटी, जल और ताप की तपस्या
Posted on 16 Jan, 2017 04:42 PM
राजस्थान की कुण्डली कम-से-कम जल के मामले में ‘मंगली’ रही है।
saaf mathe ka samaj
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