पटना जिला

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बिहार की सिंचाई परियोजनाओं पर केन्द्र का बयान
Posted on 22 Aug, 2015 03:13 PM बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में 39 जलाशयों के लिये प्रस्ताव भेजे थे। क
irrigation
बिहार सरकार के सभी बाढ़ निरोधक प्रस्ताव स्वीकृत
Posted on 22 Aug, 2015 02:09 PM

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि सप्त-काशी हाईडैम के निर्माण हेतु विचार-विमर्श में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इससे बिहार में बाढ़ की विभीषिका को अत्यधिक कम किया जा सकेगा। भारत सरकार ने इसके लिये नेपाल सरकार से सार्थक बातचीत की है।

bihar flood
बिहार में हरित आवरण पन्द्रह फीसदी करने का लक्ष्य : मुख्यमन्त्री
Posted on 11 Aug, 2015 09:32 AM

मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को कम करने के मक्सद से पर्यावरण सनतुलन बनाये रखने हेतु राज्य में हरित आवरण को 9 से बढ़ाकर 15 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया गया है तथा मौजूदा उपलब्ध आकड़ों के आधार पर हरित आवरण 13 फीसदी हो चुका है। विकास के मॉडल को समझना होगा। समावेशी विकास का मतलब है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा करें और उसके सन्तुलन को कायम रखें

Nitish Kumar
कोसी के लिए समझदारी और सावधानी
Posted on 08 Aug, 2015 01:53 PM जल-विद्युत विशेषज्ञ दीपक ग्यावली, नेपाल के पूर्व जल संसाधन मन्त्री रह चुके हैं तथा नेपाल के जल संरक्षण फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं। कोसी की बाढ़ और भविष्य की तैयारियों पर दीपक ग्यावली के बेबाक विचार :-
प्रकृति सम्मत एकीकृत जल प्रबन्धन का बेहतरीन नमूना
Posted on 07 Aug, 2015 01:39 PM जल प्रबन्धन का सर्वोत्तम व एकत्रि ढँग यही हो सकता है कि गाँवों में
rainwater harvesting
तालाबों के पुनरुद्धार से मिली विकास की राह
Posted on 23 Jul, 2015 11:27 AM पचास साल पहले तक इन गाँवों में जरूरत के मुताबिक तालाब होते थे। पोखर ग्राम्य जीवन के अभिन्न अंग होते थे। इनसे कई प्रयोजन सिद्ध होते थे। बरसात के मौसम में वर्षाजल इनमें संचित होता था। बाढ़ आने पर वह पानी पहले तालाबों को भरता था। गाँव और बस्ती डूबने से बच जाते थे। अगर कभी बड़ी बाढ़ आई तो तालाबों के पाट, घाट मवेशियों और मनुष्यों के आश्रय स्थल होते थे। अगर बाढ़ नहीं आई तो अगले मौसम में सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध होता था। कोसी तटबन्धों के बीच फँसा एक गाँव है बसुआरी। तटबन्ध बनने के बाद यह गाँव भीषण बाढ़ और जल-जमाव से पीड़ित हो गया। यहाँ भूतही-बलान नदी से बाढ़ आती थी जो अप्रत्याशित और भीषण बाढ़ के लिये बदनाम नदी है। अचानक अत्यधिक पानी आना और उसका अचानक घट जाना इसकी प्रकृति रही है। पर तटबन्ध बनने के बाद बाढ़ के पानी की निकासी में अवरोध आया और पानी अधिक दिन तक जमने लगा।

तटबन्ध बनने के पहले भी इस क्षेत्र में बाढ़ आती थी। कई बार पानी अधिक दिनों तक लगा रहता था और कई बार साल में पाँच-सात बार बाढ़ आ जाती थी। जिससे धान की फसल भी नहीं हो पाती थी या लहलहाती फसल बह जाती थी। धान का इलाक़ा कहलाने वाले इस क्षेत्र में ऐसी हालत निश्चित रूप से बहुत ही भयावह होती थी। पर धान की फसल नहीं हो, तब भी दलहन की उपज काफी होती थी। मसूर, खेसारी और तिसी की फसल में कोई खर्च भी नहीं होता था। गर्मी अधिक होने पर सिंचाई करनी पड़ती थी। जिसके लिये गाँव-गाँव में बने तालाब काम में आते थे।
pond
सरकारी भूमि अधिग्रहण का आधार ​हिंसा : शुभमूर्ति
Posted on 06 Jul, 2015 09:57 AM वर्तमान का भूमि-अधिग्रहण बिल अमेरिकी पैटर्न पर बना है। अमेरिका में
Nitish Kumar
आपदा के संदर्भ में बच्चों को जागरूक करना जरूरी: नीतीश
Posted on 04 Jul, 2015 10:18 AM

हर साल 4 जुलाई को विद्यालय सुरक्षा जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जायेगा

Nitish Kumar
भू-अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
Posted on 22 Jun, 2015 04:18 PM

आन्दोलन के कई प्रमुख साथीगण अभी भी जेल में हैं और अदालती कार्रवाई को प्रशासन के हस्तक्षेप के का

Land acquisition
कृषि के विकास के बिना बिहार का विकास सम्भव नहीं: मुख्यमन्त्री
Posted on 22 Jun, 2015 01:46 PM मुख्यमन्त्री ने कहा कि बिहार में प्रोसेसिंग की अपार सम्भावनायें हैं
Agriculture
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