हर साल 4 जुलाई को विद्यालय सुरक्षा जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जायेगा
पटना। बिहार अद्भुत राज्य है, जहाँ बाढ़ और सूखा दोनों का सामना एक साथ करना पड़ता है। यहाँ बाढ़ एवं सूखा के भिन्न-भिन्न कारण है। वर्षा नहीं हुई, अगर वर्षा हुई तो समय पर नहीं हुई, अगर वर्षा हुई तो समय के बाद हुई और बहुत कम हुई, ऐसी स्थिति में सूखा आ जाता है। नेपाल में बारिश होती है तो बिहार में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ एवं सूखा के साथ-साथ बिहार को अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, तूफान, चक्रवाती तूफान एवं बवंडर का भी सामना करना पड़ता है। बिहार का पूरा का पूरा इलाका सर्वाधिक संवेदनशील इलाका है। भूकम्प के मामले में बिहार के उतरी भाग जोन- 4 में आता है, जबकि दक्षिणी भाग जोन- 5 में आता है। गंगा नदी के उस पार के जोन को भी जोन- 4 मानकर उसके बचाव की तैयारी शुरू की है। यह बात मुख्यमन्त्री श्री नीतीश कुमार ने गाँधी मैदान, पटना में मुख्यमन्त्री विद्यालय सुरक्षा योजना के तहत विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा का शुभारम्भ करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि आज से चार साल पूर्व बिहार के पूर्वोत्तर इलाके पूर्णिया में बवंडर आया। 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ज्यादा तेज हवायें चली। यहाँ बवंडर से बचाव के लिये तैयारी नहीं थी। यह आश्चर्य की बात है कि बवंडर अमेरिका के उतरी इलाके से आती है। मई महीने में अग्निकाण्डों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने घोषणा की कि हर साल 4 जुलाई को विद्यालय सुरक्षा जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। मुख्यमन्त्री ने कहा कि आज बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है, आपदाओं के बारे में जानकारी देना। आपदा अगर आ जाये तो क्या करना है, इसे समझ लेना है। आपदा के बारे में बिहार के सभी नागरिकों को जागरूक करना है। यह अभियान तभी कारगर साबित हो सकता है, जब हम सरकारी एवं गैर सरकारी सभी स्कूली बच्चों को जागरूक कर सकें। कम उम्र में बच्चों को जो सिखाया जाता है, उन्हें जीवन भर याद रहता है। आपदा से किस प्रकार बचना है, भूकम्प आने पर क्या करना है, यह जानने के बाद बच्चे न सिर्फ अपनी रक्षा कर सकते हैं बल्कि वे दूसरों को भी बतायेंगे कि आपदा से कैसे बचा जा सकता है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा का मुख्य लक्ष्य बिहार के सभी नागरिकों को जागरूक करना है। इस कार्यक्रम में सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों के बच्चों को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि राज्य के एक लाख पन्द्रह हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर मास्टर ट्रेनर बनाया गया है। ये मास्टर ट्रेनर दो करोड़ से ज्यादा बच्चों को आपदा से बचाव की जानकारी देंगे। राज्य, जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर प्रशिक्षण का आयोजन कर इन्हें प्रशिक्षित किया गया है। आज पूरे बिहार में यह कार्यक्रम हो रहा है। दो करोड़ से ज्यादा बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं। इतने लोगों को आपदा से बचने का उपाय सीखा दें तो राज्य को बहुत अधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा कि हमारे बिहार में 28 जिले बाढ़ प्रवण हैं। सोलह जिले पूर्णतः बाढ़ से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में मानसून की स्थिति अच्छी है लेकिन बिहार में मानसून कमजोर पड़ा हुआ है। कभी बारिश हो रही है, कभी बारिश नहीं हो रही है। जो सूखे की स्थिति की ओर राज्य को ले जा रहा है। एक साथ यहाँ बाढ़ एवं सुखाड़ होता है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि 25 अप्रैल, 26 अप्रैल एवं 12 मई 2015 को बिहार के लोगों को भूकम्प के झटकों का सामना करना पड़ा। 25 अप्रैल की रात में गाँधी मैदान सहित पटना के सभी पार्कों में लोग घर से निकलकर शरण लिये हुये थे। लोग सजग एवं सचेत थे, जिसके कारण बहुत अधिक नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा कि आपदाओं के मामले में हम बहुत ही संवेदनशील एवं सचेत है। मैं हमेशा से लोगों को आगाह करता रहा हूँ कि बिहार भूकम्प के दृष्टिकोण से संवेदनशील है। बिहार में भूकम्परोधी मकान बनना चाहिये। सरकारी भवनों को भूकम्परोधी बनाया जा रहा है। अगर सरकारी मकान भूकम्परोधी नहीं बना है तो उसमें रेक्टोफीटिंग किया जायेगा। निजी एवं बहुमंजिला मकान भी भूकम्परोधी मकान बने। भूकम्प के समय हमलोगों ने इंजीनियरों एवं विशेषज्ञों की एक टीम बनाई, जो दीवार में दरार को जाँचकर अपना प्रतिवेदन दिया। उन्होंने कहा कि पक्के एवं बहुमंजिले मकान जो क्षतिग्रस्त हुये थे या जिनके भवनों के दीवारों एवं छतों में दरार आ गई थी, ऐसे भवनों को सर्वेक्षण इंजीनियरों की सिविल टीम ने किया था। ऐसे भवनों को जी-1, जी-2, जी-3, जी-4, जी-5 श्रेणी में चिह्नित किया गया। जी-1, जी-2 श्रेणी के मकानों में लोग रह सकते हैं। जी-3, जी-4 एवं जी-5 के मकानों से कुछ सामान निकालना था, लोगों ने निकाला, ऐसे भवनों को नहीं रहने लायक घोषित किया गया।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि भूकम्प की स्थिति में भी शैतान प्रवृत्ति के लोगों ने कई प्रकार की अफवाहें फैलाई। छतीसगढ़ के मौसम विभाग के हवाले से वाट्सएप पर अफवाह फैलाया गया कि रिक्टर पैमाने पर 12 तीव्रता का भूकम्प आयेगा, जबकि रिक्टर पैमाने पर 12 तीव्रता होता ही नहीं है। शैतानी प्रवृत्ति के लोगों ने बेचैनी एवं हलचल फैलाने का काम किया। उन्होंने कहा कि मीडिया ने ऐसे अफवाहों के खण्डन में भरपूर सहयोग दिया तथा तथ्यहीन अफवाहों का तत्काल खण्डन किया। उन्होंने कहा कि आपदा से बचाव की तैयारी अगर पूर्व से की गई है तो आपदा से बचाव करने में कठिनाई नहीं होती है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा कार्यक्रम में सरकारी एवं गैर सरकारी विभिन्न विद्यालयों के पाँच हजार से अधिक बच्चे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बिहार पहला ऐसा राज्य है, जहाँ इस तरह का कार्यक्रम हो रहा है। विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा में सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालय के बच्चे शामिल हैं। इस कार्यक्रम के लिये शिक्षा विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, एन.डी.आर.एफ., एस.डी.आर.एफ. के साथ भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया, इसके लिये मैं सभी को बधाई देता हूँ।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि आपदाओं के मामले में हमें बहुत ही संवेदनशील एवं सचेत रहना चाहिये। गुजरात के भूज में जब भूकम्प आया था, उस समय में मैं केन्द्रीय कृषि मन्त्री था। कृषि मन्त्रालय के अधीन ही आपदा प्रबंधन का कार्य आता था। उस समय श्री अनिल कुमार सिन्हा संयुक्त सचिव थे। गुजरात में भूकम्प का रिक्टर पैमाना 6 से 8 था। जब हम भूज के दौरे पर गये, विशेषज्ञों ने बताया था कि अगर इसी पैमाने पर बिहार में भूकम्प आयेगा और इसका ए.पी. सेन्टर पटना हुआ तो पाँच लाख से अधिक लोग काल कल्वित होंगे। हम विशेषज्ञों की बातों से लोगों को आगाह करते रहते हैं। इस बार आये भूकम्प के कारण लोग संवेदनशील हैं। 25 अप्रैल, 26 अप्रैल एवं 12 मई 2015 के भूकम्प का ए.पी. सेन्टर हिमालय का पहाड़ी इलाका था। अगर भूकम्प का ए.पी. सेन्टर मैदानी इलाका रहता तो प्रलय होता। उन्होंने कहा कि हम एक-एक व्यक्ति को जागरूक एवं संवेदनशील बनाना चाहते हैं। बच्चों के माध्यम से एक-एक नागरिक को प्रशिक्षित करना चाहते हैं। पहले से अगर भूकम्प की जानकारी हो तो नुकसान कम होता है। उन्होंने कहा कि 2007 में बिहार के 22 जिलों में बाढ़ आई थी। 2007 की बाढ़ में जान-माल की व्यापक क्षति हुई थी। कोसी आपदा के बाद ही एन.डी.आर.एफ. की बटालियन की स्थापना बिहार में हुई। बिहार में एन.डी.आर.एफ. बटालियन के गठन के बाद आपदाओं से निपटने में हमें बहुत अधिक मदद मिली। हमने एन.डी.आर.एफ. की तर्ज पर एस.डी.आर.एफ. का गठन किया।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि आपदा के सम्बन्ध में हमलोगों को जापान से सबक सीखना चाहिये। जापान का एक-एक नागरिक आपदा से बचने के लिये प्रशिक्षित है। वहाँ का हर मकान भूकम्परोधी है। वहाँ भूकम्प आती भी है तो नुकसान नहीं होता है। वहाँ की बहुमंजिली इमारतें भूकम्परोधी होने के कारण भूकम्प के समय पेंडूलम की तरह डोल जाती है। रिक्टर पैमाने पर 8 भूकम्प आने पर भी मीडिया में खबर नहीं बनती है। उन्होंने कहा कि मैंने मानक संचालन प्रक्रिया का निर्धारण कर दिया है। बाढ़ में राहत के लिये क्या करना है, सुखाड़ में राहत के लिये क्या करना है एवं भूकम्प के बाद राहत के लिये क्या करना है। 2007 में बाढ़ के समय मानक संचालन प्रक्रिया निर्धारित नहीं थी। उन्होंने कहा कि बाढ़, चक्रवाती तूफान, ओलावृष्टि एवं भूकम्प से हुये जान-माल की हानि होने के बाद तीन घंटे के अंदर ही मृतक के परिजनों के दरवाजे पर प्रशासनिक पदाधिकारी अनुदान की राशि का चेक लेकर पहुँच जाते हैं। पहले इन्तजार करना पड़ता था।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का होता है। आपदा पीड़ितों को तत्काल सहायता वितरण किया जाता है तथा उन्हें सरकार द्वारा हर तरह की सुविधायें मुहैया की जाती है। उन्होंने कहा कि इससे भी महत्त्वपूर्ण है, यह जानना कि अगर आपदा आ जाय तो क्या करना है। उन्होंने कहा कि विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा का शुभारंभ होने से हमें आत्म संतुष्टि हुई है। यह कार्य अब शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि अगर आपदा आयेगा तो हम उसका मुकाबला करने के लिये तैयार रहेंगे। आपदा से बचने की जानकारी प्राप्त करें, उसे दूसरे लोगों को भी बतायें। उन्होंने कहा कि हमें स्कूली बच्चे, एस.डी.आर.एफ. एवं एन.डी.आर.एफ. का माॅकड्रील देखकर काफी प्रसन्नता हुई। मैं शिक्षा विभाग, सभी सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूल के बच्चों एवं शिक्षकों,एस.डी.आर.एफ. एवं एन.डी.आर.एफ., आपदा प्रबंधन एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पदाधिकारियों तथा कर्मियों को बधाई एवं शुभकामनायें देता हूँ।
इस अवसर पर शिक्षा मन्त्री श्री पी.के. शाही ने कहा कि एक लाख पन्द्रह हजार से अधिक शिक्षक, मास्टर ट्रेनर बने हैं, एक पखवाड़ा तक यह कार्यक्रम चलता रहेगा। बिहार हिमालय से सटा हुआ राज्य है, जिसके कारण यहाँ भूकम्प की सम्भावनायें बनी रहती है। प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है। आपदा की घड़ी में जान-माल की क्षति को कैसे कम किया जाए, इसकी जानकारी आवश्यक है। भूकम्प के समय में भवन के गिरने से एवं भगदड़ मचने से जान-माल की क्षति होती है। विद्यालय सुरक्षा जागरूकता पखवाड़ा कार्यक्रम पूरे राज्य में चल रहा है। इस कार्यक्रम का लाभ राज्यवासियों को निश्चित रूप से मिलेगा। इस अवसर पर उपाध्यक्ष बिहार राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण श्री अनिल कुमार सिन्हा, डी.जी. एन.डी.आर.एफ. श्री ओम प्रकाश सिंह, प्रधान सचिव आपदा प्रबन्धन श्री ब्यासजी ने भी सभा को सम्बोधित किया। इस अवसर पर सदस्य बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण श्री उदय कान्त मिश्रा, प्रबंध निदेशक शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड श्री संजीवन सिन्हा सहित शिक्षा विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे। स्वागत भाषण प्रधान सचिव शिक्षा श्री आर.के. महाजन ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन निदेशक प्राथमिक शिक्षा श्री श्रीधर सी. ने किया।
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