पंजाब के भूमिगत पानी की 10 वर्ष की रिपोर्ट तलब

राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई
चण्डीगढ़, 21 मार्च (भुल्लर) : पंजाब में भूमिगत पानी प्रदूषित होने के कारण ट्यूबवेल कनेक्शनों पर लगे प्रतिबन्ध के सम्बन्ध में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई चल रही है। एक एन.जी.ओ. की याचिका को चुनौती देते हुए भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) पंजाब इसका विरोध कर रही है। इसके अलावा राज्य व केन्द्र सरकार के अधिकारी भी अपना पक्ष रख रहे हैं। इसी के तहत पिछले दिनों पंजाब के मुख्य सचिव ने राज्य का पक्ष पेश किया था।

इस मामले में गत दिवस हुई सुनवाई में जस्टिस स्वतन्त्र कुमार ने पंजाब में भूमिगत पानी की स्थिति को लेकर पिछले 10 वर्ष की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही अलग-अलग श्रेणियों को दी जाने वाली बिजली व ट्यूबवेल कनेक्शनों का भी ब्यौरा माँगा है। इसके अलावा धान की बिजाई से भूमिगत पानी और जमीन पर पड़ने वाले प्रभावों के सम्बन्ध में भी सम्बन्धित विभागों से रिपोर्ट माँगी है।

जस्टिस स्वतन्त्र कुमार ने सुनवाई की अगली तारीख 27 मार्च निर्धारित की है। यह सुनवाई ट्रिब्यूनल का फुल बैंच करेगा।

पंजाब के किसानों की ओर से लाभ सिंह व गुलजार सिंह ने कहा कि भूमिगत पानी के प्रदूषित होने व जमीन पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों के लिए सिर्फ किसान जिम्मेदार नहीं बल्कि अन्य श्रेणियों के लोग भी ट्यूबवेल के माध्यम से पानी प्राप्त करके इसका इस्तेमाल करते हैं।

उल्लेखनीय है कि मामला ग्रीन ट्रिब्यूनल में होने के कारण बीते 1 वर्ष से पंजाब में ट्यूबवेल कनेक्शन पर पाबन्दी लगी हुई है।

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