मध्य प्रदेश

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मुआवजा तो मिला पर क्या इंसाफ मिला
Posted on 12 Mar, 2017 11:21 AM
सुप्रीम कोर्ट से एक ऐतिहासिक फैसला आया है जिससे छोटी-बड़ी तमाम विकास परियोजना के चलते विस्थापित होने वालों की उम्मीदें बढ़ी हैं। सरदार सरोवर परियोजना के चलते चालीस साल के संघर्ष के बाद अब उन्हें मुआवजा देने का फैसला हुआ है।
विस्थापितों को मुआवजे का फैसला पाने में लगी देर
Posted on 12 Mar, 2017 11:10 AM
तकरीबन चालीस साल बाद सुप्रीम कोर्ट से सरदार सरोवर परियोजना के चलते मध्य प्रदेश के विस्थापित आदिवासियों को मुआवजा देने की व्यवस्था हुई। अब देखना है कि अदालती आदेश लागू हो पाता है या नहीं?
ग्रामीण विकास नियोजन में प्राथमिकताओं का निर्धारण
Posted on 06 Mar, 2017 04:50 PM

राजकीय कोष से उदारता-पूर्वक राशि के आवंटन मात्र से न तो निर्धनता मिटती है और न ही ग्रामीण

50 साल से सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में पाट पद्धति से हो रही है सिंचाई
Posted on 06 Mar, 2017 12:21 PM
धार। डही से 7 किमी दूर ग्राम करजवानी में 50 साल से पाट पद्धति द्वारा सौ एकड़ से अधिक क्षेत्र में बिना विद्युत पम्प से सिंचाई आज भी हो रही है। ग्राम कातरखेड़ा, छाछकुआँ, दसाणा, पन्हाल में भी कई गरीब किसान पाट पद्धति से वर्षों से बिना बिजली के सिंचाई कार्य करते आ रहे हैं। इसमें बिजली आने-जाने या बिजली नहीं होने का कोई झंझट नहीं है।
पाट पद्धति सिंचाई के लिये बनाई गई नाली
कुशल इंजीनियरिंग की मिसाल भोज के साढ़े बारह तालाब
Posted on 05 Mar, 2017 12:13 PM


धार। साढ़े बारह तालाबों की नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले धार नगर से तालाब एक-एक करके मिटते जा रहे हैं। वर्षों पूर्व किसी समय जब इस शहर की जनसंख्या वर्तमान से करीब एक चौथाई थी तब यहाँ 12 बड़े तालाब व एक छोटी तलैया थी। तभी से धार को साढ़े बारह तालाबों का नगर कहा जाने लगा था। ये तालाब धार का सौन्दर्य तो बढ़ाते ही थे लेकिन भूजल स्तर को बढ़ाए रखने में भी सहायक होते थे।

धार जिले का भोज तालाब
हनुमंतिया के बाद अब धाराजी और कावड़िया जल पर्यटन के नक्शे पर
Posted on 04 Mar, 2017 04:04 PM

डूब में आने से पहले धाराजी पूरे मध्य प्रदेश में भूतड़ी अमावस्या पर यहाँ भरने वाले मेले को

Manish Vaidya
मध्य प्रदेश के 45 लाख कुपोषित बच्चों की तस्वीर
Posted on 20 Feb, 2017 01:56 PM
मध्य प्रदेश में कुपोषण को लेकर मचे शोरगुल के बीच एक महत्त्वपूर्ण पहलू नजरअंदाज हो रहा है। बच्चों के कद में वृद्धि बाधित करने वाला कुपोषण यानी स्टंटिंग!
सदियों का सधा जादू
Posted on 19 Feb, 2017 12:38 PM
उस समय न तो भारी-भरकम डिग्रियों वाले इंजीनियर थे और न ही बड़ी-बड़ी मशीनें। लेकिन उस दौर का समाज पानी, मौसम और मिट्टी के मिजाज को बखूबी समझता था। तभी साढ़े तीन सौ साल पहले विकसित की गई जल वितरण प्रणाली आज भी काम कर रही है। इसमें अगर कहीं व्यवधान है भी तो वह आधुनिक समाज की देन है न कि उस जल प्रबन्धन की कोई खामी
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