कर्नाटक

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जल संग्रहण की समझ बढ़ी
Posted on 21 Dec, 2009 03:41 PM कर्नाटक स्थित अनावट्टी के भीमा भट हर्डीकार के पास 25 गुंटा जमीन है। ये नर्सरी के अलावा खेती भी करते हैं। बागवानी के लिए पानी के छिड़काव की जरूरत तो पड़ती है, लेकिन उनके पास इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए 5 फीट व्यास और 40 फीट गहरा कुंआ ही एकमात्र स्रोत था। इस कुंए में एक हॉर्स पावर का मोटर लगा था। सुबह के समय इससे 5 फीट पानी ऊपर खिंचता था। इस समय तक कुंए का पानी सूख जाया करता था। वे शाम को भी इसस
बोरवेल जिंदा किया
Posted on 21 Dec, 2009 03:29 PM कर्नाटक में डिग्री कॉलेज के प्रधानाचार्य शिवानाजय्या को प्राकृतिक खेती करने वाले किसान और एक लेखक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने प्राकृतिक खेती पर दो पुस्तकें भी लिखी हैं, जिसे लोगों ने काफी सराहा है।
गोकक में हरियाली लौटी
Posted on 21 Dec, 2009 12:37 PM गोकक कर्नाटक स्थिति बेलगांव से 70 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक छोटा औद्योगिक नगर है, जहां के लोगों ने अपनी पानी की समस्या का खुद समाधान खोजा। फिर क्या था इस शहर में फिर से पानी आ गया और हरियाली भी लौट आई। पिछले एक दशक में 340 हेक्टेयर बंजर भूमि को वृक्षारोपण के दायरे में लाया गया, जिसमें 8.5 लाख पौधे उगे। इस काम में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार उत्पन्न हुए। एपी गोयनका मेमोरियल एवार्ड ने सन् 1988 में
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह
Posted on 02 Sep, 2009 06:24 PM

पानी पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

तिथिः 4-7 सितम्बर, 2009, बंगलौर
बंगलौर में पर्यावरण के मुद्दे पर केंद्रित चौथा फिल्म समारोह होने जा रहा है। फिल्म समारोह के साथ ही पानी पर पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है।

बंगलौर के कलाकारों और समुदाय से निवेदन है कि वें इस अवसर पर भाग लें।
किरादल्ली टाण्डा (बीजापुर) क्षेत्र के पानी में आर्सेनिक
Posted on 24 Aug, 2009 02:18 PM
कर्नाटक के गुलबर्गा जिले स्थित सुरपुर तालुका के किराडल्ली टाण्डा गाँव में पेयजल के स्रोतों के पानी के चार नमूनों में से तीन नमूनों में आर्सेनिक की मात्रा मानक स्तर से काफ़ी ज्यादा पाई गई है। यह मानक भारतीय पेयजल मानकों के तय बिन्दुओं IS 10500 के अनुसार जाँचे गये। भूगर्भ और खान विभाग की मुख्य केमिस्ट शशि रेखा द्वारा अधिकारी द्वारा जिला परिवार कल्याण अधिकारी नलिनी नामोशी को सौंपी गई रिपोर्ट में इस
तीर्थ का एक अनमोल प्रसाद
Posted on 19 Oct, 2008 10:26 AM

जल मंदिर का प्रसादजल मंदिर का प्रसादश्री पद्रे

कर्नाटक राज्य के गडग में स्थित वरी नारायण मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि कुमार व्यास ने इसी मंदिर में बैठकर महाभारत की रचना की। यह ऐतिहासिक मंदिर आज एक बार फिर से इतिहास रच रहा है। कई वर्षों में इस मंदिर के कुंए का पानी खारा हो गया था। इतना खारा कि यदि उस पानी में ताबें का बरतन धो दिया जाए तो वह काला हो जाता था। तब मंदिर के खारे पानी के निस्तार के लिए वहां एक बोरवैल खोदा गया। उस कुंए में पानी होते हुए भी उसका कोई उपयोग नहीं बचा था। बोरवैल चलता रहा। और फिर उसका पानी भी नीचे खिसकने लगा। कुछ समय बाद ऐतिहासिक कुंए की तरह यह आधुनिक बोरवैल भी काम का नहीं बचा। कुंए में कम से कम खारा पानी तो था। इस नए कुंए में तो एक बूंद पानी नहीं बचा। मंदिर में न जाने कितने कामों के लिए पानी चाहिए। इसलिए फिर एक दूसरा बोरवैल खोदा गया। कुछ ही वर्षों में वह भी सूख गया।

बराबरी, पहुंच और वितरण
Posted on 14 Oct, 2008 02:58 PM भवानी में टकराव तमिलनाडु में भवानी नदी के संग्रहण क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि, अनियोजित विस्तार और घरेलू और औद्योगिक स्तर पर पानी की बढ़ती मांग ने नदी के बेसिन में पानी का इस्तेमाल करने वालों के बीच प्रतियोगिता को बढ़ा दिया है। आर राजगोपाल, एन जयकुमार तमिलनाडु के बीचों-बीच से होकर बहने वाली कावेरी नदी की मुख्य सहायक नदी है भवानी। यह केरल के शांत वन क्षेत्र से उत्पन्न होकर दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर 217 किमी का सफर तय करते हुए भवानी शहर के पास ही कावेरी नदी में मिल जाती है।
भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
Posted on 13 Oct, 2008 01:21 PM

भारत के पास विश्व की समस्त भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही है जबकि विश्व की जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत जनसंख्या भारत वर्ष में निवास करती है। जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ रहा है। जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेयजल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लोग वांचित होते जा रहे हैं आईये देखें - भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच

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