कर्नाटक

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कर्नाटक में सूखे ने ढाया कहर
Posted on 03 May, 2016 03:33 PM

इन्द्र देवता ने दो साल से फेरा हुआ है मुँह


Water Crisis in Karnataka
Posted on 19 Apr, 2016 01:31 PM
Karnataka is facing the worst kind of water crisis. A survey has revealed that as many as 50 percent of the respondent’s felt that supply of drinking water is the major challenge that the government has to face (Deccan Herald 2004).
ਦੇਸੀ ਚੌਲਾਂ ਦੀ ਵਾਪਸੀ
Posted on 01 Apr, 2016 12:03 AM
ਟਿਕਾਊ ਖੇਤੀ ਬਾਰੇ ਵਿਚ ਜਾਣਕਾਰੀਆਂ, ਬੀਜਾਂ, ਵਿਚਾਰਾਂ ਦੇ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ
सेव वाटर, सेव लाइफ
पानी सहेजने का पाठ पढ़ाता रेनबो ड्राइव
Posted on 09 Feb, 2016 03:05 PM


इलेक्ट्रानिक सिटी और व्हाइट फील्ड के बीच ​का इलाका बंगलुरु का आईटी कॉरीडोर कहलाता है, सरजापुर इसी कॉरीडोर के बीच में तेजी से विकसित हुआ इलाका है। दस-पन्द्रह साल पहले तक यहाँ धान के खेत और नारियल के बाग हुआ करते थे लेकिन आज ऊँची इमारतें, मॉल, ढेरों अपार्टमेंट क्लस्टर, विला और गेटेड कम्यूनिटी वाले रिहायशी टाउनशिप हैं।

सरजापुर रोड पर स्थित 'रेनबो ड्राइव' कॉलोनी भी इन्हीं में से एक है लेकिन इन सबसे बहुत अलग है, 360 प्लाट वाले इस रिहायशी कॉलोनी के 250 घरों में जो लोग रहते हैं वो बगैर बंगलुरु नगर निगम से पानी लिये हुए या बगैर पानी का टैंकर मंगवाए ना सिर्फ पानी की अपनी-अपनी जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भर हैं बल्कि अति​रिक्त पानी दूसरों को भी देते हैं। और ये सम्भव हुआ है उनके पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः इस्तेमाल लायक साफ करने से।

सूखे में त्यौहार
Posted on 06 Nov, 2015 12:07 PM
पूरे देश में इस साल अब तक मानसून औसत से 15 फीसद कम रहा है और
drought
हमने पानी में आग लगा ही दी
Posted on 02 Oct, 2015 11:32 AM

स्वच्छता दिवस, 02 अक्टूबर 2015 पर विशेष


ओ नई आई बादरी, बरसन लगा संसार, उठिठ् कबीर धाह दे, दाझत है संसार। कबीर

.‘‘बादल घिर आये तो लोगों ने सोचा पानी बरसेगा। इससे तपन मिटेगी, प्यास बुझेगी, पृथ्वी सजल होगी, जीवन का दाह मिट जाएगा, किन्तु हुआ ठीक उलटा। यह दूसरे तरह के बादल हैं, इनसे पानी की बूँदे नहीं, अंगारे बरस रहे हैं। संसार जल रहा है। कबीर ऐसे छल-बादल से संसार को बचाने के लिये बेचैन हो उठते हैं।” पानी में आग लगाना एक मुहावरा है और इसे एक अतिशयोक्ति की तरह अंगीकृत भी कर लिया गया। लेकिन विकास की हमारी आधुनिक अवधारणा और उसके क्रियान्वयन ने इस मुहावरे को अब चरितार्थ भी कर दिया है।

पता चला है कि पिछले दिनों कर्नाटक की राजधानी और भारत की कथित सिलिकान वेली, बैंगलुरु (बैंगलोर) की सबसे बड़ी झील, बेल्लांडुर झील में आग लग गई। इस आग की वजह उस झील में फैला असाधारण प्रदूषण था। इतना ही नहीं इस प्रदूषण की वजह से इस झील में जहरीला झाग (फेन) भी निर्मित हो जाता है, जो इसके आस-पास चलने वाले राहगीरों और वाहनों तक को अपनी चपेट में ले लेता है।
मवेशियों के लिये पोखर-गोकट्टी
Posted on 02 Jul, 2015 11:54 AM पूरे कर्नाटक में धरती पर छोटे-छोटे ताल बिखरे पड़े हैं। गोकट्टी कहे जाने वाले यह ताल मवेशियों के लिये बनाए गए हैं। गोकट्टी जानवरों को पीने के लिये पानी और आराम के लिये स्थल प्रदान करते हैं। बारिश के पानी से भरने वाले यह ताल पूरे वर्ष जानवरों के लिये पानी के स्रोत और समुदाय की सम्पत्ति के रूप में काम करते हैं।
हर घर में एक कुआँ : रावुर गाँव की कथा
Posted on 02 Jul, 2015 11:47 AM

पिछले दशक में कुछ कुएँ गर्मियों में सूखने लगे। लेकिन गाँव इस बात के लिये सचेत है कि कठोर और निय

कुएँ में खजाना
Posted on 02 Jul, 2015 11:11 AM कर्नाटक राज्य के कोने-कोने में सर्वव्यापी सामुदायिक कुएँ पाए जाते हैं। कुओं के निर्माण में तरह-तरह की डिज़ाइन और तकनीकों का इस्तेमाल होता है। पानी का मुख्य स्रोत समझे जाने वाले कुओं से ग्रामीण समुदायों का अपने–अपने इलाके में दीर्घकालिक रिश्ता है। यह लेख राज्य में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कुओं में से कुछ कुओं का खाका खींचने के साथ उनसे जुड़ी आदतें और रीति रिवाजों का वर्णन करता है।
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