कर्नाटक

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द बेस्ट प्रैक्टिस: हुबली-धारवाड़
Posted on 12 Jan, 2014 04:11 PM वर्ष 2008 से 2011 के दौरान धारवाड़ जिला प्रशासन ने हुबली-धारवाड़ में खुली भूमि, झीलों-तालाबों, पहाड़ियों और सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित व संरक्षित करने का काम कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि इसके प्रभाव अद्भुत हैं। इस कार्य को वर्ष 2011-12 में व्यक्तिगत श्रेणी के प्रधानमंत्री पुरस्कार से नवाजा गया। इस कार्य में प्रशासन द्वारा सभी सूचनाओं को साझा करने की पहल निर्णायक भूमिका रही। प्रस्तुत है इस
jalashaya
कचरे का पूर्ण प्रबंधन ही पर्यावरण को बेहतर ढंग से सुरक्षित रखता है
Posted on 09 Nov, 2013 12:59 PM एमयूटीबीटी ने कुछ समय पहले एक राष्ट्रीय स्तर का बिजनेस प्लान कंपीटिशन आयोजित किया था। इसमें पेपरट्री को तीसरा स्थान मिला। इनाम के तौर पर दो लाख रुपए नकद दिए गए। एक अन्य राष्ट्रीय स्तर के ही ग्रीन बिजनेस प्लान कंपीटिशन में कंपनी को पहला स्थान मिला। यह कंपनी दुनिया की उन 50 कंपनियों में भी शुमार हो चुकी है, जिन्हें शुरुआत में ही बड़े-बड़े इनाम मिल गए। पेपरट्री के बारे में सबसे खास बात ये है कि वे कचरे से क्रिएशन कर रहे हैं। जिस चीज को ज्यादातर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, कंपनी उसे फिर काम का बना रही है। हम भारतीय अब भी कागज़ की रद्दी के बारे में पूरी तरह सचेत नहीं हैं। हालांकि हम सब जानते हैं कि कागज़ पेड़ों को काटने के बाद बनाया जाता है। इसके बावजूद हम कागज़ की बर्बादी रोकने के लिए ज्यादा जागरूक नहीं हैं और अगर बात किसी शैक्षणिक संस्थान की हो तो वहां कुछ ज्यादा ही कागज़ बर्बाद होता है। न सिर्फ स्टूडेंट बल्कि टीचर भी इसमें शामिल होते हैं। चूंकि कागज़ पढ़ने-पढ़ाने के काम की मूलभूत आवश्यकता है इसलिए कोई इसकी बर्बादी को लेकर चिंता नहीं करता।
तीर्थोद्भव के नाम से विख्यात है कावेरी का उद्गम स्थल
Posted on 15 Oct, 2010 09:42 AM

भारतीय संस्कृति में नदियों को पवित्र तथा जीवनदायिनी माना गया है। उनके उद्गम स्थलों पर, विशेष अवसरों पर लगने वाले मेलों को भी एक पर्व या उत्सव के रूप में करते हैं। भारत की प्रत्येक नदी के उद्गम स्थल का अपना एक धार्मिक महत्त्व है तथा वे एक तीर्थ के रूप में स्थापित हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध स्थल है, दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के ‘कोडमू’ जिले में कावेरी नदी के उद्गम स्थल तला कावेरी का।

Kaveri udgam
गिरजाघर का तरल आशीष
Posted on 27 Aug, 2010 03:12 PM
अपने पड़ोसी को प्यार करो। कर्नाटक में एक गिरजाघर ने ईसा मसीह की इस उक्ति को बड़े ही अच्छे तरीके से व्यवहार में उतारा है, खारे पानी के इस इलाके में मीठा पानी उतार कर। अपने लिए नहीं अपने पड़ोसियों के लिए। कुंदायू के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-17 से लगे समुद्र किनारे के गांव तल्लूर में बने सेंट फ्रांसिस असीसी नामक इस चर्च ने अपने पड़ोस के पांच सूखे पड़े कुओं को फिर से जीवंत बना दिया है। वर्षों पहले
नवदर्शनम् : एक गृहस्थ की ऋषि खेती
Posted on 16 Aug, 2010 04:18 PM

ऐसा नहीं कि जैविक खेती में कोई परेशानियां नहीं होतीं। इनसे बचने के जैविक खेती के अपने तरीके हैं, जो आश्चर्यकारक ढंग से कारगर हैं। उनमें भी अहिंसा भाव है। नहीं तो क्या यह संभव है कि जहां सामान्य खेती में कीट-खरपतवारनाशक हैं, जैविक खेती में यही काम करने वाले पदार्थ को जीवामृत कहा जाए?

अब उनके हाथ-पैर में खेत की मिट्टी लगी रहती है। अभी कुछ ही बरस पहले तक वे अमेरिका की कंप्यूटर कंपनियों में तरह-तरह के यंत्रों से घिरे रहते थे। नाम है इनका टी.एस. अनंतू। देश के सबसे ऊंचे माने गए तकनीक संस्थान आई.आई.टी. से कंप्यूटर का पूरा व्यवहार और दर्शन पढ़कर वे निकले थे। कोई 30 बरस पुरानी बात होगी यह। उन दिनों देश में कंप्यूटर की कोई खास जगह थी नहीं। इक्के-दुक्के कंप्यूटर एक अजूबे की तरह कुछ गिनी-चुनी जगहों पर रहे होंगे। ऐसे में अनंतूजी यहां
हम कावेरी के बेटे-बेटी
Posted on 08 May, 2010 08:40 AM

प्रकृति ने नदियों को बनाते, बहाते समय देश-प्रदेश नहीं देखे थे। लेकिन अब देश-प्रदेश अपनी नदियों के टुकड़े कर रहे हैं। कावेरी का विवाद तो कटुता की सभी सीमाएं पार कर गया है। यह झगड़ा आज का नहीं, सौ बरस पुराना है। लेकिन नया है इस कटु प्रसंग में सख्य, सहयोग और संवाद का प्रयास। इसे बता रहे हैं महादेवन रामस्वामि।

विश्व की सभी महान नदियां मानव-जाति की अनेक सुविख्यात सभ्यताओं की जन्म-भूमि रही हैं। इन नदियों के किनारे उभरी और विकसित हुई इन सभ्यताओं का अस्तित्व बस नदी से जुड़ा रहा है। नदी ने उन्हें दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए जल प्रदान किया है। पीने का पानी, निस्तार के लिए पानी, सिंचाई के लिए पानी, पशुओं के लिए पानी, ऊर्जा के लिए पानी क्या नहीं दिया इनने। नदी पर नाव द्वारा प्रयाण करके उन्होंने अपनी आसपास की दुनिया के बारे में जाना और अन्य क्षेत्रों, पास और दूर के समाजों के साथ संबंध बनाया। मौसम व समय के अनुसार बदलती नदी की प्रणाली को आधार बनाकर इन सभ्यताओं ने अपनी जीवन-शैली, अपने रीति-रिवाज, लोक-कथाओं व मान्यताओं को ऐसे सुंदर तरीके से रचाया कि नदी का प्रवाह जीवन के हर काम में
धरती की गोद में पानी उतारने का एक जादू
Posted on 27 Apr, 2010 08:54 AM
श्रीपति भट कडाकोलि कर्नाटक के उत्तर कन्नड जिले के सिरसा गाँव के किसान हैं। भट परिवार के पास कुल 15 एकड़ जमीन है जिसमें से 4 एकड़ पर सुपारी और एक एकड़ में नारियल की फसल है। सन् 1999 तक उन्हें पानी की कोई समस्या महसूस नहीं हुई। लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे दिक्कत शुरु हुई जो कि 2002 आते-आते बढ़ गई। इनके खेतों में स्थित एक बड़ा कुंआ भी सूख गया। इलायची के पौधों की फसल पानी पर 5000 रुपये खर्च करने के
वन
Posted on 12 Feb, 2010 10:09 AM
उपग्रहों के ताजे चित्र बताते हैं कि देश में हर साल 13 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो रहे हैं। वन विभाग की ओर से प्रचारित सालाना दर के मुकाबले वह आठ गुना ज्यादा है।

छठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वनीकरण पर खर्च की गई राशि पिछले 30 सालों में खर्च कुल राशि से 40 प्रतिशत ज्यादा थी। फिर भी वन-क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हो पाया है।
नेशनल सेमिनार ऑन क्लाइमेट चेंज
Posted on 21 Jan, 2010 01:21 PM नेशनल सेमिनार ऑन क्लाइमेट चेंज (18-20 फ़रवरी 2010)
(from Satish kumar Umapathy, University of Agricultural University, Raichur, Karnataka)
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