जल संग्रहण की समझ बढ़ी

कर्नाटक स्थित अनावट्टी के भीमा भट हर्डीकार के पास 25 गुंटा जमीन है। ये नर्सरी के अलावा खेती भी करते हैं। बागवानी के लिए पानी के छिड़काव की जरूरत तो पड़ती है, लेकिन उनके पास इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए 5 फीट व्यास और 40 फीट गहरा कुंआ ही एकमात्र स्रोत था। इस कुंए में एक हॉर्स पावर का मोटर लगा था। सुबह के समय इससे 5 फीट पानी ऊपर खिंचता था। इस समय तक कुंए का पानी सूख जाया करता था। वे शाम को भी इससे इतना पानी ऊपर खींचते थे।

मार्च आते- आते पानी संकट गहराने लगता था। ऐसे में इन्हें पानी की किफायत करनी पड़ती थी। मई में इस पानी का स्तर 6 फीट तक ही बना रह पाता था। ऐसे में ये 1.2 फीट पानी ही ऊपर खींच पाते थे। भट्ट चिंचित थे। उन्हें पानी के और किसी स्रोत का पता नहीं चल पा रहा था। अंतत: वे बोरवेल के बारे में सोचने लगे।

इस बीच उन्हें कई महीनों तक ‘अडिके पत्रिके’ नामक एक कृषि की मासिक पत्रिका में वर्षा जल संग्रहण के संबंध में काफी कुछ पढ़ने को मिला। उन्हें इनमें सुझाई गई तकनीकी काफी व्यावहारिक लगीं।

ये पिछले तीन सालों से कदम-दर-कदम बढ़ते हुए अपने खेत के भीतर और आसपास वर्षाजल संग्रहण कर रहे हैं। आज ये बोरवेल लगवाने के मामले में मुस्कुराते हुए कहते हैं “मुझे नहीं लगता कि अब बोरवेल की आवश्यकता पड़ेगी” लेकिन उनके बेटे नारायण भट्ट ने आगे बात को जोड़ते हुए कहा, “मैं इस बात से सहमत हूँ कि हमें बोरवेल नहीं चाहिए। अगर इस पर आने वाली लागत का रत्ती भर भी पैसा जल संग्रहण तकनीकी में लगा दिया जाए, तो भी हमें बोरवेल से ज्यादा पानी प्राप्त होगा।“

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :
भीमा भट्ट हर्डीकार, ब्राह्मिन स्ट्रीट, पोस्ट-अनावट्टी शिमोगा डीटी-577413, कर्नाटक

फोन : (0818) 467116

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