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कोलकाता जिला
कहीं जरूरत से ज्यादा तो कहीं कम बारिश ने मुश्किले बढ़ाईं
Posted on 01 Aug, 2012 04:56 PMपश्चिम बंगाल में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच धान के पौधों को खेतों में रोपने का काम पूरा कर लिया जाता है। लेकिन
कोलकाता की ‘किडनी’ को लगा रोग
Posted on 26 Jun, 2012 11:33 AMअंधाधुंध शहरीकरण की वजह से कोलकाता का वेटलैंड क्षेत्र तेजी से घट रहा है। एक अनुमान के अनुसार, अब यह क्षेत्र 10 हजार एकड़ तक सिमट कर रह गया है। इन दिनों सुंदरवन के इलाकों में जिस तरीके से विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ चल रहा है, इस कवायद का खास असर होता नहीं दिख रहा। यहां के पानी में ऑक्सीजन कम हो रहा है। आर्सेनिक की मौजूदगी के संकेत भी मिले हैं। पानी में आर्सेनिक की मात्रा 15 मिली ग्राम तक मिली है।
जंगली बिल्ली, छोटे बंदर, ऊदबिलाव, सफेद गर्दन वाले किंगफिशर, तितलियां और पानी के सांपों की विशेष प्रजातियां, जैसे अभी कल की ही बात लगती हैं। कोलकाता के एक हिस्से में ये वन्य जीव ऐसे दिखते थे, जैसे प्रकृति की किसी वीरान और हरी-भरी गोद में सांस ले रहे हों। हाल तक वन्य जीवों की ये विशेष प्रजातियां कोलकाता के पूर्वी छोर के किनारे से गुजरती बड़ी सड़क यानी ‘ईस्टर्न मेट्रोपोलिटन बाईपास’ के किनारे के तालाबों, दलदलों और छोटी झीलों के इर्द-गिर्द फैली हरियाली की विशेषता हुआ करती थी। वजह वन्य जीवों की ऐसी ढाई सौ से अधिक प्रजातियां सिर्फ और सिर्फ कोलकाता के जलभूमि क्षेत्र (वेटलैंड्स) में पाई जाती थी। लेकन अब भूमि के इस्तेमाल के कानूनों को तोड़-मरोड़ कर वेटलैंड्स पाटे जा रहे है और उन पर कॉलोनियां विकसित करने की होड़ लगी है, उससे प्रकृति का यह वरदान नष्ट हो रहा है। इससे भी कहीं ज्यादा रफ्तार से यहां की लुप्तप्राय प्रजातियों का रहा-सहा अस्तित्व भी संकट में है।धंसती धरती जहर मिला जल
Posted on 08 Jun, 2012 09:29 AMजादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल स्टडीज की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता के 114 में से 78 वार्ड इलाकों के नलकूपों के पानी में आर्सेनिक पाया गया है। 32 वार्ड इलाकों के नलकूपों में आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित मानक से बहुत अधिक प्रतिलीटर 50 माइक्रोग्राम पाई गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक प्रति लीटर 10 माइक्रोग्राम है। आर्सेनिक-दूषण दक्षिण कोलकाता, दक्षिण के उपनगरीय इलाके और मटियाबुर्ज के इलाकों में ज्यादा मिला है।
अंग्रेजों के जमाने में बसाए गए पूरब के महानगर कोलकाता का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। शहर अब अपने ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग कर रहा है। अंग्रेजों के जमाने में विकसित की गई ढांचागत सुविधाओं पर निर्भर इस शहर के प्रशासन को इन दिनों बड़ी दो चुनौतियों की चेतावनी मिल रही है। एक ओर कोलकाता की धरती धंस रही है और दूसरी ओर, यहां से पानी में आर्सेनिक जहर घुलने लगा है। धरती इसलिए धंस रही है, कि जमीन के भीतर का पानी सूख रहा है। अंग्रेजों के जमाने में बनी सीवर लाइनें भीतर-भीतर टूट रही हैं। पेयजल में आर्सेनिक इसलिए घुल रहा है, कि महानगर में कंक्रीट का जंगल बढ़ने के साथ ही भूगर्भ जल का दोहन बढ़ा, जलस्तर नीचे पहुंचा और गहरे नलकूपों (ट्यूबवेल) से पानी निकालने की प्रक्रिया में आर्सेनिक भी पानी के साथ आने लगा। महानगर में धरती के धंसान की समस्या ने पिछले दो- एक वर्षों में बड़ा रूप ले लिया है।देशी मछलियां बचाने की मुहिम
Posted on 15 May, 2012 12:24 PMबारिश के मौसम में जब खेत-खलिहान डूब जाते हैं, तब धान के चीकट मिट्टी वाले खेतों में देशी मछलियां दिखती हैं- पूंटी
सुंदरवन पर प्रकृति और प्रगति का प्रकोप
Posted on 22 Mar, 2012 03:30 PMअभी हाल ही में यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत की पीठ ठोकी है कि उसने सुरक्षित जल
गंगा के लिए पांच संत देंगे जान
Posted on 16 Jan, 2012 12:45 PMकोलकाता : गंगा को स्वच्छ बनाने के संकल्प के साथ रविवार से गंगा तपस्या शुरू हुई। सागरद्वीप से श्री शंकराचार्य गंगा सेवा न्यास के तत्वावधान में पांच संतों ने तपस्या का शंखनाद किया। जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर व द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के निर्देश पर देशभर में यह अभियान चलाया जा रहा है। उक्त अभियान के सार्वभौम संयोजक अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती सहित स्वामी ज्ञानस्वरूप ‘सानंद’ (प्रो. गुरूदास अग्रवाल परिवर्तित नाम), गंगा नदी घाटी प्राधिकरण कमेटी के सदस्य राजेंद्र सिंह, श्याम ब्रह्मचारी कृष्ण प्रियानंद, गंगा प्रेमी भिक्षु स्वामी ने सागरद्वीप में गंगा अराधना के बाद संकल्प लिया। सर्वप्रथम स्वामी ज्ञानस्वरूप तपस्या करेंगे। आमरण। उनके बाद दूसरे संत तपस्या शुरू करेंगे। यह प्रक्रिया ऐसे ही जारी रहेगी। पर, संतों की संख्या पांच ही रहेगी।बंगाल से बांग्लादेश तक हिल्सा डिप्लोमेसी
Posted on 22 Aug, 2011 03:09 PMबंगाल और बांग्लादेश की नदियों में विचरतीं हिल्सा मछलियाँ स्थानीय जनमानस को गहरे स्तर पर प्रभाव
क्या कह रहे हैं ये मैनग्रोव
Posted on 14 Aug, 2011 09:10 AMखारे और दलदली सुंदरवन के डेल्टा में उगने वाले मैनग्रोव एप्पल यानी चाक केवड़ा की एक प्रजाति के पौधे कोलकाता में गंगा तट पर दिखे हैं। विशेषज्ञ इसे प्रकृति की नाराजगी का संकेत मानकर शोध में जुट गए हैं ….
मीठे पानी की गंगा और गंगा के किनारे उगते मैनग्रोव एप्पल यानी चाक केवड़ा ! यह कैसे संभव है? खारे पानी वाले दलदली क्षेत्र में उगने वाला पेड़ मीठे पानी के दलदल में आखिर क्यों उग रहा है? कोलकाता में गंगा के किनारे हाल में उगे ढेरों मैनग्रोव के पेड़ दिखे हैं। फौरी तौर पर वैज्ञानिकों का यह मानना है कि चूंकि सुंदरवन के डेल्टा इलाकों में समुद्र के पानी का जलस्तर 33 सेंटीमीटर सालाना की दर से बढ़ रहा है और संभव है कि समुद्र का खारा पानी ज्वार के समय गंगा के पानी में घुल रहा हो। इसका प्रतिफल हो सकता है कि मैनग्रोव की प्रजाति कोलकाता में उगने लगी है। अगर ऐसा है तो इसके दूरगामी खतरों का अंदाजा भर लगाया जा सकता है।सुंदरवन के डेल्टा क्षेत्र से लगभग सौ-सवा सौ किलोमीटर दूर कोलकाता के गंगा तट पर पिछले दो सौ वर्षों के शोध इतिहास में कभी मैनग्रोव दिखने की चर्चा नहीं आई। समुद्र
आंकड़ों में सिमट कर रह गई सारी कवायद
Posted on 20 Jun, 2011 11:23 AMबंगाल में हुगली बनकर प्रवेश करने वाली गंगा, खा़ड़ी के पास डेल्टा क्षेत्र में वन माफिया हावी है और पारिस्थिकी असंतुलन के ढेर सारे संकेत भविष्य के किसी ब़ड़े खतरे की चेतावनी दे रहे हैं। सरकारी स्तर पर डेल्टा क्षेत्र के संकट को अभी तक अनदेखा किया जाता रहा है। कोलकाता और आसपास के उपनगरों से लगभग 5270 लाख लीटर कचरा रोजाना गंगा की गोद में बहाया जा रहा है, जिसमें से 80 फीसदी कचरे की सफाई भी नहीं हो पा र