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कैसे-कैसे पेड़
Posted on 15 Oct, 2010 01:58 PM पेड़ों के बारे में आपने बहुत सी बातें सुनी होंगी कि फलां पेड़ की ये खूबियां हैं तो दूसरे पेड़ की ये खूबियां हैं। यहां पर आज आपको ढेर सारे ऐसे अजब-गजब पेड़ों के बारे में जानने को मिलेगा, जो कि अपनी खास वजह से देश-दुनिया में बहुत ही प्रसिद्ध हैं।

बच्चो, वृक्षों की दुनिया बहुत बड़ी होने के साथ अजूबी भी है। संसार में एक से बढ़कर एक विचित्र वृक्ष पाए जाते हैं, जिनके बारे मे सुनकर ही आश्चर्य होता है, किन्तु यह भी सत्य है कि इन वृक्षों के अद्भुत करिश्मे सुनकर इन्हें एक बार देखने की इच्छा जरूर होती है। तो आइए कुछ विचित्र वृक्षों के अद्भुत कारनामों पर एक नजर डालते हैं।

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सागर मंथन और जीवों की गणना
Posted on 13 Oct, 2010 03:07 PM
इनसानों के लिए पहेली रही समुद्री दुनिया अब खंगाल ली गई है। पिछले एक दशक के दौरान उसमें रहने वाले जीवों की न सिर्फ गिनती पूरी की गई है, बल्कि उनकी गतिविधियां भी दर्ज कर ली गई हैं। द अलफ्रेड पी. स्लॉन संस्था के नेतृत्व में हुई इस गणना के दौरान वैज्ञानिकों ने इस बात का भी पता लगा लिया कि मानव जीवन किस तरह समुद्री जीवों पर आश्रित है।
शताब्दी विकास लक्ष्य: महान विचार की वस्तुस्थिति
Posted on 19 Sep, 2010 11:27 AM शताब्दी विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी) के महत्व को ध्यान में रखते हुए इनके क्रियान्वयन की समीक्षा करना आवश्यक है। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के दोहरे व्यक्तित्व पर भी विचार करते हुए इसमें सुधार के लिए उठने वाली आवाजों को मजबूती प्रदान की जाना चाहिए। विश्व में विद्यमान विरोधाभासी परिस्थितियों को रेखांकित करता आलेख।संयुक्त राष्ट्र शताब्दी विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी) को जिस उम्मीदों के साथ घोषित किया गया था, उसके एक दशक पश्चात सभी सरकारी दावों के बावजूद नजर आता है कि विकास की प्रवृत्ति प्रारंभ से ही त्रुटिपूर्ण थी। पिछले दस वर्षों में असंख्य समितियों, अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय संगठनों एवं स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने दिन रात एक कर के चरम गरीबी और भूख, सभी को उपलब्ध प्राथमिक शिक्षा, लैंगिक समानता, शिशु मृत्यु आदि से संबंधित सभी प्रकार के सूचकांक, संख्या, तालिका और आंकड़े इकठ्ठा किए हैं।

आवश्यक नहीं है कि इन आंकड़ों से निकाले गए सभी निष्कर्ष भयंकर ही निकले हों। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सभी 192
बाह्यग्रह में जल
Posted on 17 Sep, 2010 09:45 AM अमेरिकी खगोलवैज्ञानिकों के एक दल ने केवल 40 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक लाल-वामन तारे की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी जैसे ग्रह की खोज की है जिस पर जल के महासागरों की संभावना है। यह ग्रह, जिसे ‘जीजे1214बी’ (GJ1214b) नाम दिया गया है, पृथ्वी से मात्र लगभग 2.7 गुना बड़ा और लगभग 6.5 गुना भारी है।अमेरिकी खगोलवैज्ञानिकों के एक दल ने केवल 40 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक लाल-वामन तारे की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी जैसे ग्रह की खोज की है जिस पर जल के महासागरों की संभावना है। यह ग्रह, जिसे ‘जीजे1214बी’ (GJ1214b) नाम दिया गया है, पृथ्वी से मात्र लगभग 2.7 गुना बड़ा और लगभग 6.5 गुना भारी है। इसके घनत्व के आधार पर वैज्ञानिकों का विचार है कि ‘जीजे1214बी’ का लगभग तीन चैथाई भाग जल से बना है। उसमें ठोस आयरन (लोहे) और निकिल का क्रोड तथा हाइड्रोजन एवं हीलियम का वायुमंडल है। इसके खोजकर्ताओं के अनुसार ‘जीजे1214बी’ पृथ्वी की अपेक्षा अधिक गर्म है और उसका वायुमंडल हमारे वायुमंडल की अपेक्षा 10 गुना अधिक सघन है (नेचर, 17 दिसंबर 2009)।

सहजन के बीजों का जल परिशोधन हेतु उपयोग
Posted on 16 Sep, 2010 04:23 PM
मोरिंगा ओलीफ़ेरा जिसे सामान्य भाषा में सहजन कहा जाता है, एक वृक्ष है जो अफ्रीका, केंद्रीय तथा दक्षिणी अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है। सहजन के बीजों में 30 से 50 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है जो बढ़िया खाद्य तेल भी है और उसका उपयोग बायोडीज़ल बनाने के लिए भी किया जाता है जिसमें NOX उत्सर्जन कम होते हैं और ईंधन में भी स्थायित्व होता है।
‘नीला सोना’ पर अब सबका अधिकार
Posted on 30 Aug, 2010 02:25 PM इक्कीसवीं सदी का ‘नीला सोना’ कहे जाने वाले पानी का करोबार एक खरब डॉलर तक पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र ने साफ पानी और सफाई को बुनियादी अधिकार माना है। पानी को सार्वजनिक धरोहर मानने वालों और उसे अपनी जागीर समझने वाली कंपनियों के बीच तनातनी लगातार बढ़ रही है। इससे उपजे हालात का जायजा ले रहे हैं अफलातून। स्कूलों में पढ़ाया जाता है कि पृथ्वी का जल-चक्र एक बंद प्रणाली है। यानी वर्षा और वाष्पीकरण की प्रक्रिया के जरिए पानी पृथ्वी के वातावरण में जस का तस बना रहता है। पृथ्वी के निर्माण के समय इस ग्रह पर जितना पानी था, अभी भी वह बरकरार है। यह कल्पना दिलचस्प है कि जो बूंदें हम पर गिर रही हैं वे कभी डाइनॉसोर के खून के साथ बहती होंगी या हजारों बरस पहले के बच्चों के आंसुओं में शामिल रही होंगी।

पानी की कुल मात्रा बरकरार रहेगी, फिर भी मुमकिन है कि इंसान उसे भविष्य में अपने और अन्य प्राणियों के उपयोग के लायक न छोड़े। पेयजल संकट की कई वजहें हैं। पानी की खपत हर बीसवें साल में प्रतिव्यक्ति दोगुनी हो जा रही है। आबादी बढ़ने की रफ्तार से भी यह दोगुनी है। अमीर औद्योगिक देशों की तकनीकी और आधुनिक स्वच्छता प्रणाली ने जरूरत से कहीं ज्यादा पानी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है। दूसरी ओर घर-गृहस्थी और नगरपालिकाओं के तहत दस फीसद पानी की खपत
कितने पानी में
Posted on 26 Aug, 2010 08:16 PM
बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहे पाकिस्तान में अंदरूनी खींचतान थमी नहींपाकिस्तान इन दिनों भयानक बाढ़ की चपेट में है। खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और उत्तरी क्षेत्र में तबाही मचाने के बाद बाढ़ का कहर सिंध और बलूचिस्तान प्रांत पर टूट पड़ा है। बाढ़ ने लगभग 2,000 लोगों को लील लिया है। फसलें तबाह हो गई हैं। पुलों, सड़कों, स्कूलों और दूसरी इमारतों को भारी क्षति पहुंची है। खरबों रुपये का नुकसान हुआ है। वहां लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इस बाढ़ ने पाकिस्तान को कम से कम एक दशक पीछे धकेल दिया है।

शुरू-शुरू में पाक अधिकारियों ने भारत पर आरोप लगाया था कि चेनाब में भारत द्वारा ज्यादा पानी छोड़ने से सियालकोट शहर के कई सीमावर्ती गांव जलमग्न हो गए हैं। लेकिन जब पाकिस्तान की दूसरी नदियों में उफान आया,
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां
Posted on 07 Aug, 2010 01:22 PM

हाल ही में 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर दुनिया भर में अनेक चर्चाएं और गतिविधियां आयोजित की गईं। इसी कड़ी में विभिन्न विद्वानों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा की। कि आखिर कौन से काऱण और हमारे काम जिम्मेदार हैं इस जलवायु परिवर्तन के लिये। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि क्या हम अपने घरेलू और व्यक्तिगत स्तर पर कुछ ऐसा कर सकते हैं कि जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने में हम कुछ योगदान दे सक

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