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चौंकिए मत! जल की रानी को भी होता है दर्द
Posted on 22 Nov, 2010 08:11 AM

क्या मछलियों को दर्द भी होता है? क्या वह भी आम इंसानों की भांति दर्द होने पर कराहती और चिल्लाती है....इन उलझनों को सुलझाने का दावा किया है पेन स्टेट ने। प्रोफेसर और पर्यावरणविद पेन स्टेट की किताब ‘डू फिश फील पेन?’ के मुताबिक मछलियों में खास किस्म का स्नायु फाइबर्स होता है जो उकसाने वाली गतिविधियों, उत्तकों के नुकसान और दर्द का अहसास कराता है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा ही स्नायु फाइबर्स स्तनपायी जीवों और चिड़ियों में भी पाया जाता है।

स्टेट ने बताया कि 2030 तक इंसान मछलियों की अधिकांश जरूरत फिश फार्म से पूरा करेगा। इसलिए मछलियों के देखभाल और स्वास्थ्य के प्रति जानना बेहद जरूरी है। प्रयोगों से पता चला है कि मछलियां किसी भी प्रतिकूल व्यवहार के प्रति सतर्क रहती है। यदि हम उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं तो वह ही प्रतिक्रिया

ग्‍लोबल वार्मिंग बनाम मानवाधिकार
Posted on 17 Nov, 2010 07:26 AM जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उठाए गए क़दमों की सुस्त चाल से, इससे प्रभावित हो रहे समुदायों में स्वाभाविक रूप से निराशा बढ़ी.
जल अधिकार का वैकल्पिक संसार
Posted on 08 Nov, 2010 11:46 AM ‘पेयजल एवं स्वच्छता का मानवाधिकार जीवन के समुचित स्तर के अधिकार का
ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण प्रभावित हो रही है एशियाई वर्षा
Posted on 06 Nov, 2010 08:34 AM ज्वालामुखी विस्फोट की बढ़ती घटनाओं का मौसम पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। पहले तो इसका प्रकोप पश्चिमी देशों में ज्यादा था, पर इन गतिविधियों की चपेट में अब एशियाई बारिश भी आ चुकी है। यह बात कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में सामने आई है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बहुत-से हानिकारक कण निकलते हैं, जो बहुत तेज गति से जाकर सौर ऊर्जा को ब्लॉक कर देते हैं। इसके कारण आसपास का वातावरण काफी ठंडा हो जाता है।

बनाएं पर्यावरण अनुकूल घर
Posted on 02 Nov, 2010 09:37 AM
प्राचीन काल में हमारी वास्तुकला काफी उन्नत थी।
पर्यावरण ह्रास के 'कुख्यात प्रतीक' बनते जलस्रोत
Posted on 02 Nov, 2010 08:34 AM

जल प्रबंधन पर कोई ठोस नीति नहीं

प्रकृति को पहुँचाई गई सबसे स्पष्ट मानवजनित हानि मध्य एशिया के जमीनों से घिरे 'अराल सागर' में देखी जा सकती है। जल कुप्रबंधन के चलते अराल सागर आज 'पर्यावरण ह्रास' या 'पर्यावरण क्षरण' के एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक के रूप में कुख्यात हो चुका है।

2050 तक आर्कटिक होगा बर्फहीन
Posted on 26 Oct, 2010 09:14 AM
पृथ्वी के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने में आर्कटिक (उत्तरी ध्रुव) और अंटार्कटिक (दक्षिणी ध्रुव) की बहुत बड़ी भूमिका है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों पर दोनों क्षेत्र विपरीत प्रभाव डालते रहे हैं। रूसी मौसम केंद्र ने यह दावा किया है,आर्कटिक पर 21वीं सदी के मध्य की गर्मी तक बर्फ नहीं रहेगी।

केंद्र के प्रमुख अलेक्जेंडर फ्रॉलोव ने जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट पर अंतरसरकारी समूह (आईपीसीसी) के आकड़ों का हवाला देते हुए बताया, 'अगले 30-40 सालों में उत्तरी ध्रुव सहित आर्कटिक पर गर्मी के समय बर्फ नहीं रहेगी।'

पानी की किल्लत, सोमालिया सबसे आगे, आइसलैंड श्रेष्ठ
Posted on 25 Oct, 2010 10:57 AM
एक नए सर्वे से पता चला है कि अफ्रीकी देशों में पानी की भारी किल्लत है और वहाँ अब उद्योग स्थापित करना और भी दुरूह हो गया है। ब्रिटेन की एक रिस्क कंसल्टेंसी फर्म मैपलक्रोफ्ट के सर्वे के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग और बढती हुई जनसंख्या की वजह से दुनिया के कई देशों में पानी की कमी उत्पन्न हो रही है और भविष्य में इसका गहरा असर कृषि और उद्योगों पर पडने वाला है। इस सर्वे से जुडी एन्ना मोस के अनुसार मौसम में बदलाव होते रहने से भविष्य में पानी की भारी तंगी का सामना करना पडेगा। सम्भवत: इससे इंसानों के बीच तनाव बढेगा।

बढ़ रहा है आर्कटिक का तापमान
Posted on 23 Oct, 2010 02:26 PM
आर्कटिक को पृथ्वी का फ्रिज (रेफ्रिजरेटर) भी कहा जाता है, क्योंकि पृथ्वी का ध्रुव यह बहुत अधिक ठंडा है। लेकिन वायुमंडल में प्रदूषण फैलने की वजह से अब यह भी अभूतपूर्व दर से गर्म होता जा रहा है। आर्कटिक का गर्म होना पूरी पृथ्वी के अस्तित्व के लिए खतरे का संकेत है। आर्कटिक के लगातार गर्म होने की घटना के कारण पूरा उत्तरी गोलार्ध सबसे अधिक संकट में है। यह बात अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने
पर्यावरण संरक्षण में अहम रोल निभा रहा है समुद्री शैवाल
Posted on 23 Oct, 2010 11:21 AM मौसम में असमय बदलाव और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोतरी से सभी पर्यावरणविद परेशान हैं। किंतु, इस दिशा में आशा की एक नई किरण दिखी है। कैनबरा यूनिवर्सिटी और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने दावा किया है कि समुद्री पौधों की मदद से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम किया जा सकता है। उनका कहना है कि दुनिया के महासागरों का कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर और जलवायु परिवर्तन पर गहरा प्रभाव पड
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