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तेल ने किया पर्यावरण का तेल
Posted on 18 Mar, 2011 10:27 AM

जिस पेट्रोलियम को आधुनिक सभ्यता का अग्रदूत कहा जाता हैं, वह वरदान है अथवा अभिशाप है, क्योंकि इस

जितना बचाएंगे उतना ही पाएंगे
Posted on 18 Mar, 2011 09:40 AM

बर्बादी का एक बड़ा कारण यह है कि पानी बहुत सस्ता और आसानी से सुलभ है। कई देशों में सरकारी सब्सि

सुरक्षित-ऊर्जा तथा पर्यावरण
Posted on 17 Mar, 2011 04:49 PM

हाल की एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की ओर से हो रही ग्लोबल वॉर्मिंग या वै

जल और जमीन के लिए लड़ाई
Posted on 17 Mar, 2011 09:11 AM

पानी को लेकर देशों के बीच लड़ाई तो सुर्खियां बनेंगी, लेकिन शहरों और खेतों के बीच पानी की लड़ाई चुपचाप चल रही है। पानी का अर्थशास्त्र किसानों के पक्ष में नहीं है।

 

पानी और अनाज के संकट का चोली-दामन का साथ है। आज जहां पानी का संकट है, कल वहां अनाज का संकट भी होगा। जब भारत और चीन जैसे बड़े देशों में पानी का संकट और बढ़ेगा और उन्हें दूसरे देशों से अनाज मंगवाना पड़ेगा, तब वे क्या करेंगे?

वह दिन दूर नहीं, जब खेती के लिए जमीन और पानी को लेकर समाज में एक नई लड़ाई छिड़ेगी। विश्व में प्रति व्यक्ति जल की मात्रा तेजी से घट रही है। उस पर जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। दोनों ही बातें आने वाले दिनों में दुनिया में विस्फोटक हालात का निर्माण कर देंगी। एक समय दस-दस कमरों की आलीशान कोठियां तो लोगों के पास होंगी, लेकिन पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। जेब में पैसा तो इफरात होगा, लेकिन खरीदने के लिए मंडियों में अनाज नहीं होगा।

विश्व में 1975 से 2000 के बीच कुल सिंचित क्षेत्र में तीन गुना बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन उसके बाद विस्तार की गति मंद हो गई। संभव है जल्द ही सिंचित क्षेत्र घटना शुरू हो जाए। कई देशों में जलस्तर मानक से काफी नीचे जा चुका है।

लघु ही सुंदर है
Posted on 14 Mar, 2011 09:12 AM

जापान की आपदा का पहला सबक यह है कि विज्ञान और तकनीकी के दंभ में हम प्रकृति विजेता होने का भ्रम न पालें। इस सृष्टि में मृत्यु के बाद भूकंप ही ऐसा सत्य है, जिसे रोका नहीं जा सकता। फर्क सिर्फ इतना है कि मौत से बचा नहीं जा सकता, लेकिन भूकंप से बचा जा सकता है।

जब भूकंप या सुनामी से दुनिया का कोई एक कोना दहलता है, तो दूसरा कोना उससे कतई अछूता नहीं रह सकता। आज अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई थरथराहट सुदूर एशिया को झकझोर देती है, तो जापान की प्राकृतिक आपदा का तात्कालिक प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। जापान के पास भूकंप के प्रभावों से निपटने की सर्वश्रेष्ठ युक्ति है। लेकिन यह भूकंप और उसके फलस्वरूप आई सुनामी जापान को बुरी तरह तोड़-मरोड़ गई। बेशक रिक्टर पैमाने पर 8.9 का भूकंप भयावह होता है। लेकिन जापान के विज्ञानियों और तकनीशियनों ने इस ओर इससे भी बड़े भूकंप की आशंका के आधार पर अपने भवनों, पुलों और ओवर ब्रिजों के ढांचे तैयार किए थे। पर उद्वेलित प्रकृति के कोप को किसी भी प्रकार का तकनीकी लाघव नहीं झेल पाया।

जापान की आपदा का पहला सबक यह है कि विज्ञान और तकनीकी के दंभ में हम प्रकृति विजेता होने का भ्रम न पालें। इस सृष्टि में मृत्यु के बाद भूकंप ही ऐसा सत्य है,

संकट में भूजल
Posted on 10 Mar, 2011 01:16 PM

1970 तक तेल निर्यातक देश सऊदी अरब विदेशी खाद्यान्न पर निर्भर था। अचानक उसने तेल निकालने वाली तकनीक से रेगिस्तान के नीचे से पानी खींचकर सिंचाई सुविधा के बल पर खेती करने का निश्चय किया। यह नीति कामयाब रही और कुछ ही वर्षों में सऊदी अरब गेहूं के मामले में आत्मनिर्भर बन गया। लेकिन जनवरी 2008 में सऊदी अरब ने घोषणा की कि जल भंडारों के खत्म होने के कारण वह अब गेहूं उत्पादन से तौबा कर रहा है। 2007 से 20

मुनाफे की ‘प्यास’
Posted on 10 Mar, 2011 10:50 AM विश्वबैंक का आंकलन है कि दुनिया में पानी का बाजार 34,400 अरब रुपए के बराबर है।
जल के निजीकरण का अन्तर्राष्ट्रीय षड्यंत्र
Posted on 10 Mar, 2011 10:30 AM वित्तीय क्षेत्र पर लगभग पूर्ण नियंत्रण के बाद अब इस पूँजी ने मुनाफ
पानी के निजीकरण के खतरे
Posted on 09 Mar, 2011 04:49 PM कनाडा की स्वच्छ जल की झीलों और नदियों में दुनिया के कुल ताजे पानी
नेपाल की बाघमती
Posted on 25 Feb, 2011 12:12 PM
कश्मीर की जैसे दूधगंगा है, वैसे नेपाल की वाघमती या बाघमती है। इतनी छोटी नदी की ओर किसी का ध्यान भी नहीं जायेगा। किन्तु बाघमती ने एक ऐसा इतिहास-प्रसिद्ध स्थान अपनाया है कि उसका नाम लाखों की जबान पर चढ़ गया है। नेपाल की उपत्य का अर्थात अठारह कोस के घेरेवाला और चारों ओर पहाड़ों से सुरक्षित रमणीय अण्डाकार मैदान। दक्षिण की ओर फरपिंग-नारायण उसका रक्षण करता है। उत्तर की ओर गौरीशंकर की छाया के नीचे
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