दुनिया

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कुछ भी नहीं यह संसार
Posted on 13 May, 2011 10:28 AM

मेरा मुख्य काम बाहर से आने वाले तथा जाने वाले पौधों का निरीक्षण करके यह पता लगाना था कि उन्हें

देखो इस अनाज के दाने को
Posted on 12 May, 2011 10:31 AM

खेती का यह तरीका आधुनिक कृषि की तकनीकों के सर्वथा विपरीत है। यह वैज्ञानिक जानकारी तथा परम्पराग

एक तिनके से आई क्रांति
Posted on 10 May, 2011 03:15 PM

प्रस्तावना

इस नदी में जंग लगेगी
Posted on 09 May, 2011 01:56 PM

लेकिन यह नदी या कहें विशाल नद बहुत ही विचित्र है। इसके किनारे पर आप बैठकर इसे निहार नहीं सक

river
बोझ ढोती धरती
Posted on 22 Apr, 2011 11:53 AM

पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत अमेरिका में आज से 41 साल पहले हुई।
इसका लक्ष्य है जीवन को बेहतर बनाया जाय। सवाल है कि जीवन बेहतर कैसे बने। साफ हवा और पानी बेहतर जीवन की पहली प्राथमिकता है लेकिन आज हवा और पानी ही सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। प्रकृति से अंधाधुंध छेड़छाड़ के चलते पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। वातावरण में कार्बन की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है।

खतरे में नदियां
Posted on 11 Apr, 2011 08:58 AM

विकसित देशों में नदियां सर्वाधिक खतरे में हैं। एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में आ रहे लगातार अवरोधों के कारण नदियों और उसके सहारे चल रहा जीवन और जैव विविधता सभी कुछ संकट में पड़ गए हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम पुनः नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को सुनिश्चित करें। सिर्फ मनुष्यों के लिए पानी उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु नदियों के प्रवाह पर लगती रोक अंततः विनाशका

<strong>भरतलाल सेठ</strong>
डूब रहा है सुंदरवन
Posted on 07 Apr, 2011 12:07 PM बहत्तर साल के जलालुद्दीन ने ग्लोबल वार्मिंग का नाम तक नहीं सुना है। वे नहीं जानते कि यह किसी बला का नाम है। वे बस एक बात जानते हैं और यह कि दुनिया में होने वाले अत्याचारों और प्रकृति से छेड़छाड़ की वजह से अब बंगाल की खाड़ी के बढ़ते जलस्तर ने उनके पुरखों की पांच बीघे जमीन लील ली है। भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर बसे सुंदरवन के घोड़ामारा नामक जिस द्वीप पर जलालुद्दीन अपनी
विश्व जल दिवस पर बान की मून का संदेश
Posted on 19 Mar, 2011 04:20 PM

विश्व जल दिवस 22 मार्च 2011 पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून का संदेश

वर्षाजल संचयन पर संयुक्त अपील
Posted on 19 Mar, 2011 02:58 PM

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने सुरक्षित पेयजल की मानव अधिकार के रूप में पुष्टि की है।

पानी की हर बूंद मांगेगी हिसाब
Posted on 19 Mar, 2011 09:33 AM

घरों में भी पानी बचाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे शॉवर, डिश वॉशर और क्लॉथ वॉशर इत्यादि। कुछ देशों में पानी की रक्षा के लिए कठोर मानकों पर आधारित घरेलू उपकरण ही बेचने व प्रयोग करने का प्रावधान किया गया है।

शहरों में घरों से निकलने वाली गंदगी हो या फिर कारखानों का कचरा, उसे पानी में बहाकर नष्ट करना हमारी पुरानी आदत और व्यवस्था रही है। हम शहरों में नदियों का पानी लाते हैं और उसे कूड़े-करकट से प्रदूषित कर दोबारा नदियों में छोड़ देते हैं। कारखानों से निकलने वाला विषैला कूड़ा न सिर्फ नदियों व कुओं को प्रदूषित बना रहा है, बल्कि भूगर्भ जल को भी पीने लायक नहीं रहने दे रहा है।

वर्तमान में शहरों में मानव मल को साफ करने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, उसमें अत्यधिक मात्रा में पानी का प्रयोग किया जाता है।

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