लेस्टर आर ब्राऊन

लेस्टर आर ब्राऊन
जल और जमीन के लिए लड़ाई
Posted on 17 Mar, 2011 09:11 AM

पानी को लेकर देशों के बीच लड़ाई तो सुर्खियां बनेंगी, लेकिन शहरों और खेतों के बीच पानी की लड़ाई चुपचाप चल रही है। पानी का अर्थशास्त्र किसानों के पक्ष में नहीं है।

 

पानी और अनाज के संकट का चोली-दामन का साथ है। आज जहां पानी का संकट है, कल वहां अनाज का संकट भी होगा। जब भारत और चीन जैसे बड़े देशों में पानी का संकट और बढ़ेगा और उन्हें दूसरे देशों से अनाज मंगवाना पड़ेगा, तब वे क्या करेंगे?

वह दिन दूर नहीं, जब खेती के लिए जमीन और पानी को लेकर समाज में एक नई लड़ाई छिड़ेगी। विश्व में प्रति व्यक्ति जल की मात्रा तेजी से घट रही है। उस पर जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। दोनों ही बातें आने वाले दिनों में दुनिया में विस्फोटक हालात का निर्माण कर देंगी। एक समय दस-दस कमरों की आलीशान कोठियां तो लोगों के पास होंगी, लेकिन पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। जेब में पैसा तो इफरात होगा, लेकिन खरीदने के लिए मंडियों में अनाज नहीं होगा।

विश्व में 1975 से 2000 के बीच कुल सिंचित क्षेत्र में तीन गुना बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन उसके बाद विस्तार की गति मंद हो गई। संभव है जल्द ही सिंचित क्षेत्र घटना शुरू हो जाए। कई देशों में जलस्तर मानक से काफी नीचे जा चुका है।

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