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दुनिया
ग्रेफीन जल से आर्सेनिक हटाता है
Posted on 16 Sep, 2010 01:03 PMग्रेफीन कार्बन का एक द्वि-आयामी अपरूप है जिसकी खोज सन् 2004 में हुई थी। ग्रेफीन एक-परमाणु मोटाई की, द्वि-आयामी, विस्तृत, कार्बन परमाणुओं की समतल शीट होती है। ग्रेफीन कार्बन परमाणुओं की समतल, षट्भुजाकार संरचनाएं होती हैं जिनको ऐसा माना जा सकता है कि जैसे त्रि-आयामी ग्रेफाइट क्रिस्टल की एकल परत को उतार लिया गया हो। ग्रेफीन की यह एकल परत संरचना, जो मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखाई पड़ती है, सभी कार
संकट में खेती का मित्र मेढक
Posted on 13 Sep, 2010 02:04 PMमेढ़क एक ऐसा जन्तु है जो प्रतिदिन अपने वजन के बराबर नुकसानदेह कीटों को खा जाता है। यह खेती और मनुष्य का बड़ा अच्छा मित्र है।
कैसे बचे रूस की वन संपदा
Posted on 13 Sep, 2010 01:49 PMहाइड्रो कार्बन के बाद रूस की सबसे बड़ी पूंजी जंगल हैं। यहां दो तिहाई भूमि वनों से ढकी है लेकिन इस वर्ष भारी गर्मी के कारण वहां तापमान काफी ऊंचा रहा और सूखे की मार भी।
एक बाली में छिपी क्रांति
Posted on 26 Aug, 2010 11:09 AMकोई 250 बरस पहले अंग्रेजी लेखक जॉनाथन स्विफ्ट ने एक कहानी लिखी थी ‘गुलिवर्स ट्रेवल्स’। तब से अब तक इसके अनगिनत अनुवाद हुए हैं। इस सुंदर कथा के एक प्रसंग में एक ऐसे साधारण आदमी को बड़े से बड़े राजा, महाराजा से भी बड़ा बताया गया है जो फसल की एक बाली को, घास के एक तिनके को दो बालियों, दो तिनकों में बदल दे। लगता है बाद में कृषि वैज्ञानिकों ने इसी कहानी को पढ़कर सभी तरह की फसलें दुगुनी करने के
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां-2
Posted on 07 Aug, 2010 01:59 PMआज हमारे जीवन का हर पहलू जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहा है, चाहे वो पानी की सप्लाई हो या कृषि, प्रकृति में मौजूद पेड़ पौधे हो या फिर पक्षी और जानवर। यहाँ तक कि हमारी खाद्य सुरक्षा और स्वास्थय भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। हर किसी को जलवायु परिवर्तन से नुकसान पहुंचा है।

श्रीलंका में सूझबूझ का सबूत
Posted on 06 Aug, 2010 09:18 AM1933 में प्रकाशित ए.एल. ब्रोहियर की पुस्तक ‘एन्सिएंट इरिगेशन वर्क्स इन सिलोन’ की प्रस्तावना में डी.एस. सेनानायके ने लिखा था।पारसियों का बांध
Posted on 05 Aug, 2010 09:31 AMगबरबंध के नाम से ही पता लगता है कि ये पारसियों या अग्निपूजकों का बांध था। पत्थर के इन बांधों का आकार और मजबूती ढलान के हिसाब से होती थी। दर्रों में ऊंचे और मजबूत बांध बनाए गए, तो सामान्य ढलानों पर संकरे और कम ऊंचे बांध बनाए गए। इन गबरबंधों का मकसद था- “शुष्क, बंजर पत्थरों पर कछारी मिट्टी की सतह बैठाना और बाढ़ के पानी को फायदेमंद उपयोग के लिए जमा करना।” कहीं-कहीं इसका मकसद जलाशयों में पानी जमा र

भगवान बचाएं परमाणु ऊर्जा से !
Posted on 01 Aug, 2010 09:00 AMजिस पदार्थ की राख या बचा हुआ हिस्सा रेडियोधर्मी होकर अगले ढाई लाख वर्षों तक जहरीला बना रहे, ऐसे पदार्थ के जहरीलेपन की सीमा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारत में पिछले कुछ वर्षों से ऊर्जा के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा को लेकर सुनहरे सपने दिखाए जा रहे हैं। यह आलेख परमाणु ऊर्जा के खतरों के बारे में है। पानी-पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों को सामने लाने का प्रयास यहां किया गया है।
ग्रीनपीस की सह संस्थापक डोरोथी स्टोव के जीवन का सफरनामा
Posted on 30 Jul, 2010 08:05 AM
नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस की सह संस्थापक, डोरोथी स्टोव का 23 जुलाई को कनाडा के वैंकूवर में निधन हो गया। वह 89 वर्ष की थीं।