/regions/delhi
दिल्ली
जलपोत विखण्डन सुविधाओं में पर्यावरणीय नियंत्रण की श्रेष्ठ प्रक्रियाएँ
Posted on 27 Jul, 2017 12:39 PMजलपोत को विखण्डन हेतु तैयार करने की प्रक्रिया
वाटर हार्वेस्टिंग सहेजें बारिश की बूँदें (Rainwater Harvesting Essay In Hindi)
Posted on 25 Jul, 2017 12:37 PM
दुनिया की बड़ी आबादी आज भी पीने के पानी के लिये जद्दोजहद कर रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जल संकट भविष्य में बड़ी समस्या होगी। उस स्थिति से निपटने के लिये अगर अभी से तैयारी नहीं की गई तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग ऐसी ही कोशिश है जिसके जरिए वर्षाजल का संचयन कर उसका इस्तेमाल कर हम अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
आज दुनिया भर में पानी का संकट तेजी से गहराता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्थितियाँ न सुधरीं तो 2025-30 तक विश्व की 50 फीसदी आबादी भयंकर जलसंकट झेलने को मजबूर होगी। जलसंकट से निपटने का सबसे कारगर तरीका है वर्षाजल संचयन। ‘बूँद-बूँद से सागर भरता है’, इस कहावत को सच कर दिखाया है रेनवाटर हार्वेस्टिंग तकनीक से बारिश की बूँदों को सहेजने वाली इन सराहनीय कोशिशों ने-
63 वर्षीय श्यामजी जाधव राजकोट (गुजरात) के बहुत कम पढ़े लिखे किसान हैं पर जल संरक्षण को लेकर उनके प्रयास अच्छे अच्छों को मात देते हैं। उनकी सौराष्ट्र लोक मंच संस्था ने साधारण वर्षाजल संरक्षण संयंत्रों का प्रयोग कर समूचे गुजरात के लगभग 3 लाख खुले कुओं और बोरवेलों को बारिश के पानी से पुनर्जीवित कर दिया है।
भारत में भी बड़े पैमाने पर काम करेगा ‘वी आर वाटर फाउंडेशन’
Posted on 25 Jul, 2017 11:07 AMपानी और स्वच्छता पर वैश्विक स्तर पर काम करने वाला ‘वी आर वाटर फाउंडेशन’ भारत में व्यापक स्तर पर काम करने की योजना बना रहा है। इसके लिये फाउंडेशन के बैनर तले भारत में अलग चैप्टर शुरू किया जाएगा।
आगामी 26 जुलाई को नई दिल्ली में केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल व स्वच्छता मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। कार्यक्रम में रोका बाथरूम्स प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर के. ई. रंगनाथन और वी आर वाटर फाउंडेशन के जेवियर टोरस भी उपस्थित रहेंगे।
गौरतलब हो कि फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2010 में रोका बाथरूम प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी सीएसआर एक्टिविटी के लिये की थी।
वर्षा लाती हैं कहानियाँ
Posted on 25 Jul, 2017 10:32 AM
चेरापूँजी निवासियों के पास वर्षा के नामों की बहुतायत है, सबके अपने गुण हैं।
सृजनात्मकता की बूँदाबाँदी
Posted on 25 Jul, 2017 09:53 AM
सोलह सौ वर्ष पहले लिखित ‘यक्ष’ बताता है कि मानसून इस उपमहादेश की सृजनात्मक अभिव्यक्ति को कितना प्रभावित करता है।
सब आकाश पर निर्भर
Posted on 24 Jul, 2017 03:40 PMमौसम का पूर्वानुमान करने में प्राचीन काल से बादलों का उपयोग होता रहा है। इस पद्धति में शोधकर्ताओं की दिलचस्पी फिर से जगी है।
आदिवासी कथा
Posted on 24 Jul, 2017 01:37 PMबस्तर के आदिवासी पौधों और कीड़ों के व्यवहार में वर्षा के लक्षण पहचानते हैं
वर्षा का गायन
Posted on 24 Jul, 2017 01:12 PMतीखी गर्मी के बाद पहली फुहार और प्रेम से सराबोर कविताओं व गीतों का आनन्द
सुखद जीवन की प्रेरणा
Posted on 24 Jul, 2017 12:54 PMसाहित्य ने प्राचीन काल से ही मानसून के जीवनदायी स्वरूप को अभिव्यक्त किया है।
एक बहुश्रुत वैदिक श्लोक है,-
‘‘वर्षा समय पर हों, अन्न की बोझ से धरती झुक जाये,
यह देश सभी कष्टों से मुक्त हो, विद्वान निर्भय हो, विपन्न सम्पन्न हो जाएँ और सभी सौ वर्ष जीवित रहें,
निसन्तानों को बच्चे हों और बच्चों वाले को पोते-पोतियाँ हों,
बढ़ती असुरक्षा
Posted on 24 Jul, 2017 11:39 AMहिमालय सम्भवतः कभी इतना अस्थिर नहीं था जितना आज मानसून के दौरान होता है। अब बरसात के मौसम में इसके शिखरों के बीच से सफर करने में न केवल त्रुटिहीन योजना बल्कि भाग्य पर जबरदस्त भरोसा की जरूरत होती है। भूस्खलन, नदियों की बाढ़ और ध्वस्त पुल तकरीकबन सामान्य घटनाएँ हो गई हैं। हिमालय का सबसे नौजवान पहाड़ होना और आज भी ऊपर उठ रहे होने से खराब मौसम और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और भूकम्प सामान्य ची