दिल्ली

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भूमिका : बेसेल संधि
Posted on 10 Jul, 2017 04:14 PM

2.1 उद्देश्य


जलपोतों के सम्पूर्ण एवं आंशिक विखण्डन के पर्यावरणीय दृष्टि से समुचित प्रबन्ध हेतु इस तकनीकी मार्गदर्शक सिद्धान्त का उद्देश्य है उन देशों को दिशा-निर्देश देना जो जलपोतों के विखण्डन की सुविधाएँ चलाने वाले हैं।
बढ़ती आबादी के कारण जीना होगा मुहाल
Posted on 10 Jul, 2017 03:25 PM


विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई पर विशेष

.आज दुनिया बढ़ती आबादी के विकराल संकट का सामना कर रही है। यह समूची दुनिया के लिये भयावह चुनौती है। असलियत यह है कि इस सदी के अंत तक दुनिया की आबादी साढ़े बारह अरब का आंकड़ा पार कर जायेगी। विश्व की आबादी इस समय सात अरब को पार कर चुकी है और हर साल इसमें अस्सी लाख की बढ़ोत्तरी हो रही है। शायद यही वजह रही है जिसके चलते दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि पृथ्वी पर टिके रहने में हमारी प्रजाति का कोई दीर्घकालिक भविष्य नहीं है। यदि मनुष्य बचे रहना चाहता है तो उसे 200 से 500 साल के अंदर पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में नया ठिकाना खोज लेना होगा। बढ़ती आबादी समूची दुनिया के लिये एक बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है। सदी के अंत तक आबादी की भयावहता की आशंका से सभी चिंतित हैं। दरअसल आने वाले 83 सालों के दौरान सबसे ज्यादा आबादी अफ्रीका में बढ़ेगी।

world population day
मन्दिरों से जुड़ा जल प्रबन्ध
Posted on 09 Jul, 2017 04:40 PM दक्षिण भारत में खेतों की सिंचाई पारम्परिक रूप में पानी के छोटे-छोटे स्रोतों से की जाती थी। सिंचाई के संसाधनों के संचालन में मन्दिरों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। हालांकि चोल (9वीं से 12वीं सदी) और विजयनगर दोनों ही साम्राज्यों ने कृषि को बढ़ावा दिया, फिर भी इनमें से किसी ने भी सिंचाई और सार्वजनिक कार्यों के लिये अलग से विभाग नहीं बनाया। इन कार्यों को सामान्य लोगों, गाँवों के संगठनों और मन्दिरों
गाद का साध
Posted on 09 Jul, 2017 04:31 PM
नदी केवल बहता पानी नहीं है। गाद इसका अविभाज्य अंग है। गंगा और डॉल्फिन पर काफी शोध कर चुके जीव विज्ञानी रविन्द्र कुमार सिन्हा कहते हैं, “गाद के बिना तो नदियाँ मर जाएँगी। गाद नहीं होगी तो जैवविविधता भी नहीं होगी।” गाद और रेत से बने टापुओं पर कई तरह के पक्षी और जलीय जीव रहते हैं। मछलियाँ जब धारा के विपरीत चलती हैं तो जरूरत पड़ने पर इन टापुओं के पी
थार मरुभूमि (Thar Desert)
Posted on 09 Jul, 2017 03:48 PM
थार क्षेत्र की खेती और जमीन का अन्य उपयोग बरसात पर ही टिका है
स्वास्थ्य और पर्यावरण की चुनौतियाँ (Health and Environmental Challenges)
Posted on 08 Jul, 2017 11:51 AM
भारत के 20 राज्यों के लगभग 6 करोड़ लोग फ्लोराइड सन्दूषण के का
विपरीत परिस्थितियों में चौर क्षेत्र के पानी का समुचित उपयोग
Posted on 07 Jul, 2017 01:17 PM
ब्रह्मांड में हो रहे अप्राकृतिक क्रियाकलापों के कारण पानी की समस्या बढ़ रही है। जहाँ वर्षा चाहिए वहाँ अकाल है, जहाँ कम पानी चाहिए वहाँ बादल फट रहे हैं। इससे हमारी दैनिक क्रियाओं के साथ कृषि क्रियाएँ भी ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। पिछले कुछ वर्षों से बिहार में कम वर्षा हो रही है जिससे सूखे की समस्या बढ़ रही है। अतः पानी का समुचित उपयोग कर हमें तात्कालिक परिस्थिति से उभरने की आवश्यकता है जिसके ल
एकीकृत (समन्वित) मछली पालन
Posted on 07 Jul, 2017 01:03 PM
चौर का विकास करने के लिये उसके अगल-बगल के लोगों के लिये भी सम
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