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निखर गया यमुना का आईटीओ घाट
Posted on 18 Mar, 2010 08:15 AM
नई दिल्ली। बुधवार सुबह यमुना के आईटीओ घाट का नजारा देखने लायक था। 'मेरी दिल्ली मेरी यमुना' कैंपेन के लिए करीब 1500 वॉलंटियर्स इकट्ठा हुए थे। ये दिल्लीवाले ठान कर आए थे कि यमुना के इस घाट को साफ करके ही रहेंगे। श्री श्री रविशंकर खुद नाव में सवार होकर यमुना के दोनों किनारों के चक्कर लगा रहे थे और नदी की गंदगी निकालकर बोरों में भरवा रहे थे। नतीजा कुछ ही देर में सामने था, इस घाट को एक नई शक्ल मि
धरती की किस्मत का फैसला
Posted on 15 Mar, 2010 07:18 PM क्योतो के धरती सम्मेलन में प्रस्ताव हुआ था कि चालीस सबसे बड़े औद्य
आई बरखा बहार
Posted on 08 Mar, 2010 07:47 AM

छह ऋतुओं का देश है भारत। प्रत्येक ऋतु का अपना अलग ही सौंदर्य है, उसकी अपनी प्राकृतिक पहचान है जिससे प्रभावित होकर कवियों ने अनेक छंद रचे तो चित्रकारों एवं संगीतकारों की भी सदैव प्रेरणा स्त्रोत रही है। छह ऋतुओं के अंतर्गत जो ऋतुएं प्रकृति में स्पष्ट परिवर्तन लातीं है तथा जिनके आगमन से जनमानस आनंदातिरेक के कारण फाग तथा कजरी–जैसे गीत प्रकारों को शब्द–बद्ध एवं स्वरबद्ध करता है, वह हैं – वसंत तथा वर

एक हजार वाटरलेस यूरिनल बनाए जाएंगे
Posted on 02 Mar, 2010 09:44 PM कामनवेल्थ गेम्स के दौरान आपको लघुशंका के लिए बदबूदार यूरिनल्स में नहीं जाना पड़ेगा। चमचमाते यूरिनल्स नजर आएंगे और करोड़ों रुपये के पानी की बचत अलग होगी। यानी लुघशंका के बाद फ्लश करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एमसीडी गेम्स से पहले विदेशों की तर्ज पर राजधानी में एक हजार वाटरलेस यूरिनल्स लगाने जा रही है। इस पर करीब 45 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और रखरखाव का खर्चा निजी कंपनियां वहन करेंगी जिन्हें इसके बद
सरिता संगम-संस्कृति
Posted on 28 Feb, 2010 07:48 AM जो भूमि केवल वर्षा के पानी से ही सींची जाती है और जहां वर्षा के आधार पर ही खेती हुआ करती है , उस भूमि को ‘देव मातृक’ कहते है, इसके विपरीत, जो भूमि इस प्रकार वर्षा पर आधार नहीं रखती, बल्कि नदी के पानी से सींची जाती है और निश्चित फसल देती है, उसे ‘नदी मातृक’ कहते हैं। भारतवर्ष में जिन लोगों ने भूमि के इस प्रकार दो हिस्से किए, उन्होंने नदी को कितना महत्व दिया था, यह हम आसानी से समझ सकते है। पंजाब का
वाटरलेस यूरिनल टैक्नोलॉजी विकास पर कार्यशाला
Posted on 27 Feb, 2010 03:55 PM तिथिः 6 मार्च 2010, दिन शनिवार

समयः प्रातः 10 बजे से सांय 4 बजे तक

आईआईटी दिल्ली वाटरलेस यूरिनल टैक्नोलॉजी में विकास पर, 6 मार्च 2010, दिन शनिवार को माइक्रो मॉडल कॉम्प्लेक्स, आईआईटी दिल्ली में, एक कार्यशाला का आयोजन कर रही है।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नीतिनिर्माताओं, प्रयोक्ताओं, निर्माताओं और साधारण जनता के बीच वाटरलेस यूरिनल टैक्नोलॉजी की क्षमता और संभावनाओं पर जागरूकता पैदा करना है।
कार्यशाला में भाग लेने वालों में सरकारी कर्मी और नीतिनिर्माता, प्रयोक्ता, तकनीकी विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और निर्माता सभी शामिल होंगे।
बरसाती गीत
Posted on 27 Feb, 2010 08:25 AM पेली पोथी रे बीमा खोली के राखी
दूजली हांता का मांय म्हारा वीरा
आवो म्हारा मेव राजा बरसो नी बरसो
बरसो नी बरसो, बरसो नी बरसो.........आवो

राम लखन जाग्या, जाग्या सीत मरूर
खेड़ा-खेड़ा पे जाग्या हे हनुमान्या
आवो म्हारा मेव राजा बरसो नी बरसो
बरसो नी बरसो, बरसो नी बरसो.........आवो

तमारा बर्स्या से धरती मां निबजे
लोकगीतों में वर्षा
Posted on 25 Feb, 2010 04:48 PM ग्रीष्म के प्रचंड आतप से झुलसती धरा पावसी झड़ी से उल्लसित हो उठती है। गगन में घहराते बादल उमड़-घुमड़ जब झूम-झूम बरसने लगते हैं तो बड़े सुहावने लगते हैं और वनस्पतियों की सृष्टि के कारण बनते हैं। शीतल बयार के झोंके तन-मन को आह्लादित कर जाते हैं। पर्वत, खेत-खलिहान, मैदान जहाँ तक दृष्टि जाती है, प्रकृति धानी परिधान में सुसज्जित दिखाई पड़ती है। नदी-नाले उमड़ पड़ते हैं। ऐसे मनभावने, सुखद-सुहावने, मौसम म
ए मेघा तू पानी दे
Posted on 22 Feb, 2010 07:08 PM लोक ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छककर जिया है। हास-परिहास के क्षण, आनन्द-उल्लास के क्षण, सुख-दुख के क्षण सब को कभी हँसकर जीया है, कभी रोकर, तो कभी गाकर। आदमी कुछ जीता है कुछ भोगता है और कुछ झेलता है। लोक इससे परे नहीं। जो कुछ आया उसे सहा और जो कुछ कहते बना, कहा।
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