दिल्ली

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अब सूखे बहते ताल
Posted on 23 Aug, 2011 11:24 AM

गांवों में जो तालाब होते थे उनमें सुंदर और मनमोहक कमल खिला करते थे। ग्रामीणों को इस बात पर गर्व

आब की आबरू अब आपके हाथ
Posted on 23 Aug, 2011 11:06 AM

चुनौती गंभीर है सबको इस आंदोलन से जुड़ना होगा। आज आब की आबरु खतरे में है वह अपने वजूद की भी रक्

कचरे की ऊर्जा से बढ़ेगी समस्याएं
Posted on 23 Aug, 2011 10:52 AM

कचरे से बिजली बनाने के लिए दिल्ली में बनाई जा रही परियोजना समाधान की बजाए समस्याएं अधिक खड़ी क

बिन पानी सब सून
Posted on 23 Aug, 2011 10:36 AM

'यहां तक आते-आते कई नदियां सूख जाती हैं, हमें मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा, कवि ने राजनैतिक भेदभाव की तुलना नदियों से कर डाली। ठहरा हुआ पानी सड़ती हुई व्यवस्था का प्रतीक है। जल हमें ताजगी देता है, हमें साफ रखता है तथा सदियों से हमारी प्यास बुझाता आ रहा है। यही जल एक जगह ठहर जाए तो सड़ने लगता है। जल परिवर्तन का दूसरा रूप है।' आदमी ने समूचे सौरमंडल को खंगाल डाला, उसे कहीं जल की छोटी-सी धारा न

दुनिया का कूड़ाघर बनता भारत
Posted on 23 Aug, 2011 10:10 AM

भारत की छवि दुनिया में सबसे बड़े कबाड़ी के रूप में भी उभर रही है। इसे रोकने के लिए कोई प्रभावी

आखिर कम हुआ यूरिया से याराना
Posted on 23 Aug, 2011 09:18 AM

खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाने और उनका निर्यात करके मलाई काटने के इस शोरगुल में किसी सरकार ने म

कोई तो सुने गंगा की पुकार
Posted on 22 Aug, 2011 06:59 PM

इलाहाबाद में पावन ‘संगम’ पर गंगा को साफ करने के अभियान का नेतृत्व कभी तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम

पर्यावरण मित्र गिद्ध की चिंता
Posted on 19 Aug, 2011 02:27 PM

हमें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन नेचर (आईयूसीएन) का एहसानमंद होना चाहिए जिसने अपनी रेड लिस्ट के जरिये बताया है कि हमारे यहां पक्षियों की 1,228 में से करीब 82 प्रजातियां खत्म हो गई है और अनेक खत्म होने के कगार पर हैं। पक्षी संरक्षण के नाम पर डाक विभाग ने कुछ समय पहले पक्षी दिवस के मौके पर गौरैया पर डाक टिकट जारी कर रस्म निभायी। उत्तर प्रदेश में सारसों की गिनती के बाद अब वहां गिद्ध की गणना करा

पर्यावरण को बचाने वाला गिद्ध अब लुप्त होने के कगार पर हैं
विकास के प्रति सही समझ पैदा करे सरकार
Posted on 18 Aug, 2011 12:34 PM

मेधा पाटकर भूमि अधिग्रहण कानून का नया मसौदा तैयार है लेकिन इस गंभीर मसले को लेकर राजनीतिक पार्टियां और सरकार अभी भी ईमानदार नहीं दिख रहे हैं। इनकी प्राथमिकताओं में अभी भी औद्योगिक घराने हैं। भूमि अधिग्रहण कानून जिस साम्राज्यवादी सोच की उपज रहा है, उससे दिल्ली अब तक नहीं उबर पाई है। हाशिये पर पड़े लोगों की अनिवार्य आवश्यकताओं से अधिक उन्हें औद्योगिक घरानों की पूंजी के विकास की चिंता है। नए मसौदे

कृषि पर संकट गहराता जा रहा है
खेती को नकारती खाद्य सुरक्षा
Posted on 18 Aug, 2011 12:05 PM

खेती पर कंपनियों की दखल से खाद्य सुरक्षा को बड़ा खतरा है। खेतों से भूख शांत करने वाली फसलें उगा

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