जसविंदर शर्मा

जसविंदर शर्मा
बिन पानी सब सून
Posted on 23 Aug, 2011 10:36 AM

'यहां तक आते-आते कई नदियां सूख जाती हैं, हमें मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा, कवि ने राजनैतिक भेदभाव की तुलना नदियों से कर डाली। ठहरा हुआ पानी सड़ती हुई व्यवस्था का प्रतीक है। जल हमें ताजगी देता है, हमें साफ रखता है तथा सदियों से हमारी प्यास बुझाता आ रहा है। यही जल एक जगह ठहर जाए तो सड़ने लगता है। जल परिवर्तन का दूसरा रूप है।' आदमी ने समूचे सौरमंडल को खंगाल डाला, उसे कहीं जल की छोटी-सी धारा न

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