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मट्ठा- एक शीतल पेय
Posted on 26 Aug, 2011 09:30 AM

‘ताहि अहीर की छोकरिया, छछिया अरि छाछ पे नाच नचावे।’ की याद ताजा हो जाती है जब छाछ (मट्ठा) की बात उठती है। श्रीकृष्ण भगवान दही-बेचने के लिये जा रही गोपिकाओं से छाछ मांगते हैं। गोपिकाएं कहती हैं, ‘पहले अपना नाच दिखाओ, फिर छाछ मिलेगा।’ बुरे फंसे श्रीकृष्ण पर वे करें क्या…?

पेय पदार्थ छाछ
कोल्ड ड्रिक्स के स्वाद पर न जायें, सेहत को देखें
Posted on 25 Aug, 2011 04:48 PM

इन शीत पेयों में मिले कीटनाशी पदार्थों के कारण कैंसर, यौन विकार, डीएनए परिवर्तन, गर्दन एवं स्ना

अगर प्रकृति से प्यार है…तो बनें कुदरती डॉक्टर
Posted on 25 Aug, 2011 04:02 PM

हम दिन पर दिन तकनीकी उन्नति की ओर बढ़ते जा रहे हैं जहां हम कहीं न कहीं खुद को प्रकृति से कटा हुआ महसूस करने लगे हैं। ऐसे में प्रकृति की ओर रूझान बढ़ना कोई हैरानी की बात नहीं है। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि अब हम इलाज के लिए भी प्रकृति का सहारा लेने से पीछे नहीं हट रहे। हालांकि नेचुरोपैथी आज या कल की चिकित्सा पद्धति नहीं है। माना जाता है कि यह चिकित्सा पद्धति सबसे पुरानी पद्धतियों में से एक है

नेचुरोपैथी चिकित्सा
मिट्टी गुणवत्‍ता की जॉच
Posted on 25 Aug, 2011 01:44 PM

मिट्टी गुणवत्‍ता की जॉच
अर्थात
मिट्टी – परीक्षण
क्‍यों – कब – कैसे?
 

अनमोल जैविक खाद
Posted on 25 Aug, 2011 12:14 PM

वर्मीकम्‍पोस्‍ट (केंचुआ खाद)

पर्यावरण के अधिकार की सीमाएं
Posted on 24 Aug, 2011 03:18 PM

पर्यावरण संरक्षण के नाम पर पर्यावरण की सुरक्षा और इसके दूसरे पहलुओं के बीच समन्वय स्थापित करने

खेती को बचाने के तीन उपाय
Posted on 24 Aug, 2011 01:07 PM

भारत को आयात शुल्क बढ़ाने होंगे और तमाम हमलों से अपनी कृषि को बचाना होगा। दुर्भाग्य से भारत अमे

उपाय खेती की लागत कम करने के
Posted on 24 Aug, 2011 12:42 PM

खेती को लाभदायक बनाने के लिए दो ही उपाय हैं- उत्पादन को बढ़ाएँ व लागत खर्च को कम करें। कृषि में लगने वाले मुख्य आदान हैं बीज, पौध पोषण के लिए उर्वरक व पौध संरक्षण, रसायन और सिंचाई। खेत की तैयारी, फसल काल में निंदाई-गुड़ाई, सिंचाई व फसल की कटाई-गहाई-उड़ावनी आदि कृषि कार्यों में लगने वाली ऊर्जा की इकाइयों का भी कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान है। इनका उपयोग किया जाना आवश्यक है, परंतु सही समय पर

Agriculture
अब के बरस सावन में......फिर वृक्षारोपण
Posted on 24 Aug, 2011 08:50 AM

लखनऊ में लगभग सभी प्रमुख मार्गों के विस्तार और चौड़ीकरण के नाम पर सौ-सौ साल पुराने इमली, पीपल,

मानवाधिकार संगठन की नई रिपोर्ट - किसान-आत्महत्या के कुछ अनदेखे पहलू
Posted on 23 Aug, 2011 04:10 PM

जो सरकारी परिभाषा के अनुसार किसान थे, उनके लिए सरकारी मदद पर्याप्त साबित नहीं हो रही क्योंकि ए

किसान आत्महत्या
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