पद्माकर त्रिपाठी

पद्माकर त्रिपाठी
महासागरों में जहर घोल रहा कचरा
Posted on 27 Mar, 2015 04:17 PM
नदियों में जल प्रदूषण को पीछे छोड़कर अब महासागर में भी गन्दगी का खतरा बढ़ता जा रहा है। ब्रिटेन के प्लाईमाउथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर से जुटाए गए तथ्यों पर आधारित एक शोध के जरिये यह साबित किया है कि समुद्र के भीतर मानव निर्मित कचरे में उलझ कर अथवा उसे निगल कर 44 हजार से ज्यादा जानवर और दूसरे जीव जान गंवा रहे हैं। साथ ही समुद्री वनस्पतियों के भ
पर्यावरण मित्र गिद्ध की चिंता
Posted on 19 Aug, 2011 02:27 PM

हमें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन नेचर (आईयूसीएन) का एहसानमंद होना चाहिए जिसने अपनी रेड लिस्ट के जरिये बताया है कि हमारे यहां पक्षियों की 1,228 में से करीब 82 प्रजातियां खत्म हो गई है और अनेक खत्म होने के कगार पर हैं। पक्षी संरक्षण के नाम पर डाक विभाग ने कुछ समय पहले पक्षी दिवस के मौके पर गौरैया पर डाक टिकट जारी कर रस्म निभायी। उत्तर प्रदेश में सारसों की गिनती के बाद अब वहां गिद्ध की गणना करा

पर्यावरण को बचाने वाला गिद्ध अब लुप्त होने के कगार पर हैं
ऐसे तो लहलहा चुके वन
Posted on 07 Jul, 2011 10:45 AM

बीते दिनों अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के नामुमकिन को मुमकिन करने की कोशिशों पर पानी फेरने के लिये सरकारी गुंडागर्दी और हो-हल्ला के बीच इस साल का विश्व पर्यावरण दिवस हवा हो गया।

शुद्ध पानी दे मौला!
Posted on 28 Feb, 2011 09:46 AM

पानी की शुद्धता जांचने के लिए ऐसे किट मुहैया कराये हैं जिनका केमिकल पानी में डालते ही रंग काला हो जाता है। मतलब पानी में भी कुछ काला है। इस कालेपन का थोड़ा पता अभी सोनभद्र, मिर्जापुर और बलिया सरीखे चुनिंदा जिलों में ही लग पाया है। नलों के जरिये पापी पेट में एईएस के पोषकों के अलावा आर्सेनिक और फ्लोराइड भी 5 से 30 फीसद तक जा रहा है। पैमाने पर यह मात्रा 2 फीसद तय है। फ्लोराइड के ज्यादा इस्तेमाल से कैल्शियम कम हो जाती है जिससे हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों की कार्यक्षमता घट जाती है। देश एका-एक उछल कर आर्थिक महाशक्ति बनने को बेकरार है। पर यह इतनी आसानी से कैसे सम्भव है।

दिसम्बर 2010 के दूसरे हफ्ते में बुद्ध की धरती कुशीनगर में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण की एक संगोष्ठी में स्वास्थ्य महानिदेशक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि और बाकी आला स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों के करीब 3 घंटे के तिलिस्मी कार्यक्रम में इतनी रहस्यमयी चर्चा हुई कि खजाने लुटने के डर से अंदरखाने से पत्रकारों को बेदलखल कर दिया गया। महज फोटोग्राफरों पर कृपा कर उन्हें सूटवाले नूरेचश्मों की मेज पर रखी ब्रांडेड शुद्ध पेयजल की बोतलों के साथ तस्वीरें खींचने की इजाजत दी गयी।

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