जल संकट : नीचे गिरता भूजल

दिल्ली जल बोर्ड का ही रिकार्ड बताता है कि लगभग 25 फीसद घरों तक जल बोर्ड की पाइप लाइनें नहीं हैं यानी 32.53 लाख लोग नलों से पानी नहीं पी रहे हैं। ऐसे में न केवल ये लोग ज़मीन से निकला पानी पी रहे हैं, बल्कि जिन इलाकों में पाइप तो हैं पर पाइपों में पानी नहीं, उन इलाकों में भी भूजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। जल बोर्ड का कहना है कि जिन इलाकों में पाइप लाइन नहीं हैं, वहां टैंकरों से पानी की आपूर्ति कराई जाती है, लेकिन टैंकरों से कितना पानी लोगों को मिल रहा है, इसकी एक झलक कैग की रिपोर्ट में देखने को मिलती है। बेशक सरकारी आकड़ों के मुताबिक मात्र 100 मिलियन गैलन पानी ज़मीन से निकाला जा रहा है, लेकिन हकीक़त कुछ और है। राजधानी दिल्ली में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जहां ज़मीन से पानी न निकाला जा रहा है। इसकी वजह यह है कि दिल्ली जल बोर्ड लोगों को पूरा पानी नहीं दे पा रहा है। हालात यह है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा बसाई जा रही नियोजित कॉलोनियों में भी लोगों को भूजल पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इसके चलते दिल्ली में हर साल दस फुट भूजल स्तर गिरता जा रहा है। प्रस्तुत है राजधानी में पानी के संकट की तीसरी कड़ी में भूजल पर फोकस करती यह रिपोर्ट :

25 फीसद घरों में पाइपलाइन नहीं


दिल्ली जल बोर्ड का ही रिकार्ड बताता है कि लगभग 25 फीसद घरों तक जल बोर्ड की पाइप लाइनें नहीं हैं यानी 32.53 लाख लोग नलों से पानी नहीं पी रहे हैं। ऐसे में न केवल ये लोग ज़मीन से निकला पानी पी रहे हैं, बल्कि जिन इलाकों में पाइप तो हैं पर पाइपों में पानी नहीं, उन इलाकों में भी भूजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। जल बोर्ड का कहना है कि जिन इलाकों में पाइप लाइन नहीं हैं, वहां टैंकरों से पानी की आपूर्ति कराई जाती है, लेकिन टैंकरों से कितना पानी लोगों को मिल रहा है, इसकी एक झलक कैग (निरीक्षक एवं लेखा परीक्षक) की रिपोर्ट में देखने को मिलती है। कैग के मुताबिक जल बोर्ड ने वर्ष 2011-12 में 1000.94 मिलियन गैलन पानी टैंकरों के माध्यम से दिया, जो औसत प्रति व्यक्ति 3.82 लीटर प्रति दिन प्रति व्यक्ति बैठता है। अनुमान लगाइए कि एक आदमी को चार लीटर पानी भी पूरा न मिले तो वह कितना पिएगा और कितने से बाकी काम करेगा? ऐसे में लोग निजी टैंकरों के भरोसे रहते हैं, जो रोज़ाना लाखों गैलन पानी ज़मीन से निकाल रहे हैं।

तेजी से नीचे जा रहा है भूजल स्तर


जल बोर्ड की विफलता के चलते दिल्ली में भूजल का इस्तेमाल बढ़ने पर भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में औसतन हर साल लगभग दस फुट पानी नीचे जा रहा है। बोर्ड के मुताबिक यमुना से सटे पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो लगभग सभी इलाकों में हर साल भूजल स्तर गिर रहा है। दक्षिण दिल्ली के मदनगीर, साकेत, पुष्प विहार में भूजल स्तर सबसे अधिक गिरा है। यहां भूजल स्तर 67 मीटर नीचे पहुंच गया है। सबसे नई बसावट वाले उपनगर द्वारका में एक साल के भीतर दो से पाच मीटर भूजल स्तर गिर गया। ध्यान रहे कि यहा जल बोर्ड पानी की सप्लाई नहीं कर पा रहा है, जिसके चलते लोग समर्सिबल पंप लगाकर पानी निकालते हैं।

पीने लायक नहीं है भूजल


मार्च में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में जल संसाधन मंत्रालय ने कहा कि पूर्वी, नई दिल्ली, उत्तर पश्चिम, दक्षिण पश्चिम, उत्तरी व पश्चिमी दिल्ली में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई। इन्हीं जिलों में नाइट्रेट की मात्रा 233 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई, जबकि यह 50 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं, भारी धातुएं जैसे सीसा, क्रोमियम व कैडमियम की मात्रा भी कई इलाकों में पाई गई।

बोरिंग पर 2006 से है प्रतिबंध


राजधानी दिल्ली में गिरते भूजल स्तर से चिंतित केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने वर्ष 2006 में अधिसूचना जारी कर उत्तरी दिल्ली, नई दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली व पश्चिमी दिल्ली में बोरिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बेहद जरूरी होने पर उपायुक्त राजस्व से अनुमति ली जानी थी, लेकिन इसके बावजूद बोरिंग का सिलसिला जारी है।

प्रमुख इलाकों का भूजल स्तर


पूर्वी दिल्ली
चिल्ला 7.4 मीटर
मयूर विहार 2.10 मीटर
शाहदरा 7.4 मीटर

नई दिल्ली
इंडिया गेट 5.55 मीटर
प्रेजिडेंट एस्टेट 16.37 मीटर
बिरला मंदिर 5.91 मीटर
महावीर वनस्थली 23.46 मीटर
सफदरजंग टोंब : 13.83 मीटर

उत्तरी दिल्ली
कश्मीरी गेट 2 मीटर
चंद्रावल 3.87 मीटर

दक्षिण दिल्ली
साकेत 60.55 मीटर
पुष्प विहार 66.53 मीटर
किदवई नगर 23.23 मीटर
फतेहपुर बेरी 51.02 मीटर

पश्चिम दिल्ली
मायापुरी 33.52 मीटर
विकास पुरी 10.32 मीटर
टिगरी कलां 7.59 मीटर

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