दिल्ली

Term Path Alias

/regions/delhi

नदी जोड़ का विकल्प : छोटी जल संरचनाएं
Posted on 17 May, 2014 09:31 AM नदियों में जल की मात्रा और गुणवत्ता हासिल करने के लिए फिर छोटी संरच
water map
लोकतंत्र और हमारा पर्यावरण
Posted on 16 May, 2014 02:50 PM पर्यावरण अभी भी इस देश में मुद्दा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारा पर्यावरण के प्रति जो दृष्टिकोण है, वह ही हमारा अपना नहीं है। जब हम पर्यावरण की बात करते हैं तो हमें आर्थिक नीतियों के बारे में सबसे पहले बात करनी होगी। हमें यह देखना होगा कि हम कैसी आर्थिक नीति पर काम कर रहे हैं। अगर हमारी आर्थिक नीतियां ऐसी हैं जो पर्यावरण को अंततः क्षति पहुंचाती हैं तो फिर बिना उन्हें बदले पर्यावरण संरक्षण की बात का कोई खास मतलब नहीं रह जाता है। हमारा लोकतंत्र और हमारा पर्यावरण- दोनों ही ऐसे विषय हैं, जिनके बारे में एक साथ सोचने का वक्त आ गया है क्योंकि दोनों के सामने एक ही प्रकार की चुनौती है।

हमारा संसदीय लोकतंत्र इंग्लैंड के लोकतंत्र की नकल है जो किसी भी प्रकार से वास्तविक मुद्दों को राष्ट्रीय बनने से रोकता है। मसलन, जर्मनी में न केवल ग्रीन पार्टी की स्थापना होती है बल्कि वह गठबंधन के जरिए सत्ता में भी पहुंच जाती है। वहीं बगल के ब्रिटेन में ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता। ब्रिटेन में पिछले चुनावों में ग्रीन पार्टी को ठीक-ठाक वोट मिले थे। लेकिन आज भी ब्रिटेन में उसे कोई महत्त्व नहीं मिलता है। ग्रीन पार्टी की जरूरत तो ब्रिटेन में महसूस की जाती है लेकिन वहां की चुनाव-प्रणाली ऐसी है जो उसे सत्ता तक पहुंचने से रोकती है। जाहिर सी बात है मुद्दे संसद तक सफर कर सकें, यह ब्रिटेन की संसदीय-प्रणाली में अनिवार्य नहीं है।
गांधी कायम हैं
Posted on 16 May, 2014 02:41 PM हिंसा का जवाब हिंसा नहीं है- इस सचाई को अभी कुछ ही पहले पहचान चुका कोकराझार और बक्सा क्षेत्र का समाज फिर उसी हिंसा का शिकार हुआ है। यहां आज सब समुदाय अल्पसंख्यक से बन गए हैं। चुनाव की राजनीति ने अविश्वास की जड़ों को और सींचा है। ऐसे में शांति, सद्भाव व अहिंसा का पौधा कैसे पनपेगा- इसी की तलाश में लगे कामों का लेखा-जोखा।
Mohandas Karamchand Gandhi
हाथ से छूटा पारस
Posted on 16 May, 2014 02:30 PM

जो गांधी के साथ के थे- उनके अनुयायी ही नहीं बल्कि उस कोटि के लोग जिनसे गांधी सलाह-मशविरा करते थ

आखिर हिमालय की चिंता किसको है ?
Posted on 16 May, 2014 02:04 PM हमारे लिए चुनौती यह है कि हिमालय से उभरी चुनौतियों को हम राष्ट्रव्य
हिमालयी देश साथ मिलकर लड़ें हिमालय की लड़ाई
Posted on 16 May, 2014 11:06 AM सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर सैडेड द्वारा ‘हिमालय बचाओ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में ‘गांधी पीस संस्थान, नेपाल’ के अध्यक्ष अर्जुन थापा ने अपने विचार रखे उनके वक्तव्य का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
हिमालय सिर्फ हिमालयी लोगों के चिंता का विषय नहीं है
Posted on 16 May, 2014 09:14 AM ‘हैस्को’ एनजीओं के प्रमुख अनिल जोशी के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है। उनका यह वक्तव्य 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर दिया गया था।
Himalaya
गंगा प्रश्न
Posted on 16 May, 2014 09:03 AM

ऐ नए भारत के दिन बता...
ए नदिया जी के कुंभ बता!!
उजरे-कारे सब मन बता!!!
क्या गंगदीप जलाना याद तुम्हें
या कुंभ जगाना भूल गए?
या भूल गए कि कुंभ सिर्फ नहान नहीं,
गंगा यूं ही थी महान नहीं।
नदी सभ्यताएं तो खूब जनी,
पर संस्कृति गंग ही परवान चढ़ी।
नदियों में गंगधार हूं मैं,
क्या श्रीकृष्ण वाक्य तुम भूल गए?
ए नए भारत के दिन बता...

Ganga
गंगा तट से बोल रहा हूं
Posted on 16 May, 2014 08:42 AM

गंगा तट पर देखा मैंने
साधना में मातृ के
सानिध्य बैठा इक सन्यासी
मृत्यु को ललकारता
सानंद समय का लेख बनकर
लिख रहा इक अमिट पन्ना
न कोई निगमानंद मरा है,
नहीं मरेगा जी डी अपना
मर जाएंगे जीते जी हम सब सिकंदर
नहीं जिएगा सुपना निर्मल गंगा जी का
प्राणवायु नहीं बचेगी
बांधों के बंधन में बंधकर
खण्ड हो खण्ड हो जाएगा

Ganga
राष्ट्रवाद के नाते भी नकारें नदी जोड़
Posted on 15 May, 2014 03:45 PM

नदी जोड़ घातक - मेनका गांधी

river linking
×