दिल्ली

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प्रकृति से छेड़छाड़ न करें
Posted on 07 Jun, 2014 04:24 PM प्रकृति ने हमें कितना कुछ दिया है। उपजाऊ जमीन जो हमारे भोजन और आवास का आधार बनी पानी- जिसके बिना जीवन की कल्पना असंभव लगती है, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और जीवन को सरल सुगम बनाने के अनगिनत साधन। ...लेकिन इस नेमत के बदले हमने क्या लौटाया...
बांध का विरोध कर रहे आदिवासियों पर लाठीचार्ज, कई घायल
Posted on 07 Jun, 2014 04:01 PM सिलवानी तहसील अंतर्गत ग्राम सनाईढार के पास बन रहे नगपुरा नगझिरी बांध का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस ने बुधवार को आंसू गैस के गोले छोड़े और हल्का लाठीचार्ज किया, जिसमें लगभग डेढ़ दर्जन प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं। इनमें एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जाती है।
एंटीबायोटिक: अपने पैरों पर कुल्हाड़ी
Posted on 07 Jun, 2014 11:54 AM उस स्थिति की कल्पना ही डरावनी है जब साधारण चोट से हुए संक्रमण से म
साथ चलना संभव, चलाने वाला हो
Posted on 06 Jun, 2014 10:45 AM

देश की हर नदी का गंगा जैसा हाल है। या तो तिलतिल खत्म हो रही है या खत्म हो चुकी है। इनके किनारे

अच्छा संकेत है पर्यावरण जागरूकता
Posted on 06 Jun, 2014 10:09 AM

देश के करीब 650 जिलों के 158 इलाकों में भूजल खारा हो चुका है, 267 जिलों के विभिन्न क्षेत्रों मे

बढ़ती दिल्ली की बड़ी प्यास
Posted on 05 Jun, 2014 05:02 PM जल संकट पर जल बोर्ड की जंग
water crisis
दोहन नहीं संरक्षण जरूरी
Posted on 05 Jun, 2014 01:05 PM जब हम पर्यावरण की बात करते हैं तो यह एक व्यापक शब्द है, जिसमें पेड़
पर्यावरण और जीवन
Posted on 05 Jun, 2014 12:27 PM

निरंतर बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण, वाहनों द्वारा छोड़ा जाने वाला धुंआ, नदियों, तालाबों में गिरता ह

पृथ्वी के जीवन अस्तित्व पर मंडराता खतरा
Posted on 05 Jun, 2014 11:59 AM

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष


आज विश्व की आबादी का छठा हिस्सा शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है। प्रदूषित जल पीने से असाध्य बीमारियों का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिससे हैजा, आंत्रशोध, पीलिया, मोतीझरा, ब्लड कैंसर, त्वचा कैंसर, हड्डी रोग, हृदय एवं गुर्दे के रोग सैकड़ों नागरिकों को चपेट में लेते हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण जीव अपने परिवेश से विस्थापित हो रहे हैं। विश्व में प्रतिवर्ष 1.1 करोड़ हे. वन काटा जाता है। जिसमें भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख हे. वनों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है। जनसंख्या की विस्फोटक बाढ़ और मनुष्य की भौतिक जीवनशैली ने मिलकर प्राकृतिक संसाधनों का इतना अंधाधुंध दोहन किया व आर्थिक विकास का माध्यम बनाया कि विश्व में गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रहीं हैं।

शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, जंगलों का नष्ट होना, कल-कारखानों से धुआं उगलती चिमनियों से प्रवाहित कार्बन डाइऑक्साइड, कचरे से भरी नदियां, रासायनिक गैसों से भरा प्रदूषित वातावरण, सड़कों पर वाहनों की भरमार, लाउड स्पीकरों की कर्कश ध्वनि, रासायनिक हथियारों का परीक्षण एवं संचालन आदि ने पर्यावरणी समस्याओं को उत्पन्न करके मानव को आशंकित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण असंतुलन के कारण पृथ्वी पर जीवन अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है।
गंगा के साथ ही सुधारनी होगी यमुना की दशा
Posted on 05 Jun, 2014 10:28 AM

यमुना की सभी सहायक नदियां बुरी तरह हो चुकी हैं प्रदूषित

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