अरुण कुमार ‘पानीबाबा’

अरुण कुमार ‘पानीबाबा’
बिन पानी जीवन कहाँ
Posted on 09 May, 2016 04:19 PM

यह निर्णय सरल नहीं कि वर्तमान जल संकट के विश्लेषण की प्रक्रिया का विषय प्रवेश किस बिन्दु से करें। जल संकट का मुद्दा जितना विकट, विकराल और संवेदनशील है उससे सैकड़ों गुना जटिल है। यह पतंग के माँझे की तरह उलझा हुआ विषय है। जितना सुलझाओ उतना और उलझ जाता है।

देश भर में सरकारी प्रयासों के अलावा, चार-पाँच हजार गैर-सरकारी संस्थाएँ तो अवश्य संलग्न हैं जो जल संकट के निराकरण का सतत अभ्यास कर रही हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले दो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे राष्ट्रीय नेता रहे हैं जिन्होंने ‘जी जान’ लगाकर इस समस्या के ‘निराकरण’ का हर सम्भव प्रयास किया था।
आखिर हिमालय की चिंता किसको है ?
Posted on 16 May, 2014 02:04 PM
हमारे लिए चुनौती यह है कि हिमालय से उभरी चुनौतियों को हम राष्ट्रव्य
भारतीय मानस का भूगोल
Posted on 15 May, 2014 10:12 AM

भारत में भौगोलिक चेतना और जलवायु चेतना अनादि काल से सांस्कृतिक चेतना का मूल अंग थी। कैलाश-मानसर

जल को अविरल बहने दो!
Posted on 11 Aug, 2014 11:26 PM
आज इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि हिंदुस्तान का पानी उतर गया है- पीने का पानी की किल्लत तो बच्चा-बच्चा महसूस कर रहा है, और आंख का पानी भी नहीं बचा, यह भी किसी से छिपा नहीं है। भौतिक पानी की कमी होने से शायद हमारी पानी की समझ भी कमतर हो गई है। हमारे समस्त शास्त्र और आख्यान प्रमाण हैं कि अभी एक डेढ़ सदी पहले तक हमारी पानी की समझ अत्यंत विस्तृत थी। मध्य काल में लोक भाषाओं का प्रचलन बढ़ने लगा त
हिमालय की पुकार
Posted on 11 Jul, 2014 10:21 AM
भारत उपमहाद्वीप की अति विशिष्ट पारिस्थितिकीय की कुंजी हिमालय का भूगोल है। लेकिन पिछले दो सौ बरसों में हिमालय के बारे में हमारे अज्ञान का निरंतर विस्तार हुआ है।
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