विजेन्द्र

विजेन्द्र
जनपद का वृक्ष
Posted on 17 Feb, 2015 01:40 PM
नहीं सुखा पाओगे मुझको
ओ सप्त अश्वधारी भगवान भास्कर
सजल स्रोत जीवन से
गुंथी हुई है
धरती में
जड़ मेरी

झेल चुका हूं
घोर अकाल
वर्षा का अभाव
पूरे जनपद पर मेरे
ग्रीष्म ताप
तेज जलाती किरणें पैनी

तुमने जाना अपने को
रश्मिरथी सम्राट
प्रभु सता का

संकेतों पर चलने वाले
धनपतियों के रक्षक
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