खगेन्द्र ठाकुर
खगेन्द्र ठाकुर
तैलचित्र का स्रोत
Posted on 17 Feb, 2015 01:28 PMउसके मटमैले गालों परऊपर से नीचे उतरतीं
मोटी-मोटी टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं
देख रहे हैं आप
वह नहीं हैं वाटर पेंटिंग
और न हैं वे भित्तिचित्र
उसकी खुशहाली के
नहीं हैं निशान वे
किसी उत्सव के
समाज के आखिरी आदमी का सच
बतातीं वे रेखाएं
बनी हैं उसकी आंखों से
ढलकते आंसुओं से
उसके नंगे धुरियाये पेट पर
देख रहे हैं आप जो चकत्ते