दिल्ली

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पानीदार समाज ; पढ़ने–लिखने से ज्यादा गुनना जरूरी
Posted on 04 Sep, 2015 09:54 AM

विश्व साक्षरता दिवस 08 सितम्बर 2015 पर विशेष

traditional water resource
देश को पीछे धकेलता बाढ़
Posted on 04 Sep, 2015 09:50 AM अजीब विडम्बना है कि देश के बड़े हिस्से में मानसून नाकाफी रहा है, लेकिन जहाँ जितना भी पानी बरसा है, उसने अपनी तबाही का दायरा बढ़ा दिया है। पिछले कुछ सालों के आँकड़ें देखें तो पाएँगे कि बारिश की मात्रा भले ही कम हुई है, लेकिन बाढ़ से तबाह हुए इलाके में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है।
Flood
जैव विविधता के संरक्षण में सहायक धार्मिक मान्यताएँ
Posted on 03 Sep, 2015 12:53 PM

हिन्दू ,जैन एवं बौद्ध सन्यासी ध्यान लगाने के लिये प्राकृतिक एवं शान्त वातावरण का उपयोग करते थे।

दिल्ली के तालाबों में कंक्रीट के जंगल
Posted on 03 Sep, 2015 11:56 AM दिल्ली में पानी की कमी है। दूसरे राज्यों से आने वाला पानी दिल्ली की प्यास बुझाता है। एक समय था जब दिल्ली में पानी की कोई कमी नहीं थी। दिल्ली के शासकों ने भी शहर में बड़े-बड़े तालाब और झील बनवाए थे। नीला हौज, हौज खास, भलस्वा और दक्षिणी दिल्ली रिज में कई बड़े झील थे। तब दिल्ली के तालाबों और झीलों में लबालब पानी भरा होता था जो पीने और सिंचाई के काम आता था। लेक
construction
भारत के संरक्षित वन क्षेत्र
Posted on 01 Sep, 2015 04:19 PM

किसी देश की सम्पन्न्ता उसके निवासियों की भौतिक समृद्धि से अधिक वहाँ की जैव विविधता से आँकी जाती है। भारत में भले ही विकास के नाम पर बीते कुछ दशकों में हरियाली को अन्धाधुन्ध उजाड़ा गया हो, लेकिन हमारी वन सम्पदा दुनियाभर में अनूठी और विशिष्ठ है। वृक्ष हमारे ऐसे मित्र हैं जो जन्म से मृत्यृ तक हमें कुछ-न-कुछ देते रहते हैं। बच्चे के पालने से लेकर मरणोपरान्त चिता तक हम लकड़ी के लिये वृक्षों पर आश्रित

Reserve forests of India
जल समेट क्षेत्र (Recharge Zone) का उपचार
Posted on 01 Sep, 2015 03:34 PM जल स्रोत समेट क्षेत्र की कोई प्रबन्धन व्यवस्था न होने के कारण इन क्षेत्रों पर जैविक दबाव निरन्तर बढ़ा है। इन क्षेत्रों से वानस्पतिक आवरण के ह्रास के साथ ही भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में कमी आई है तथा निरन्तर चराई व आग के कारण भू क्षरण की दर बढ़ी है परिणामस्वरूप अधिकतर वर्षा का जल भूमि की सतह से बह जाता है। वर्षा के जल का भूमि में अवशोषण बहुत कम हो जाने के कारण जल स्रोत का जल चक्र प्रभाव
नमामि गंगे : दक्षिण भारतीय संगीत में भजन
Posted on 01 Sep, 2015 01:12 PM गंगा स्वच्छता राष्ट्रीय मिशन के साथ बातचीत आखिरी दौर में है। मिशन
Ganga
स्रोत अभयारण्य विकास (Spring Sanctuary Development)
Posted on 01 Sep, 2015 12:14 PM प्राकृतिक जल स्रोतों के घटते प्रवाह को बढ़ाने के लिए यह नितान्त आवश्यक है कि जल स्रोत के ऊपरी क्षेत्र में पड़ने वाली सभी प्रकार की भूमि (आरक्षित वन, पंचायती वन, सिविल व निजी भूमि) में पशु चुगान व मानव हस्तक्षेप पूर्ण रूप से बंद करके उक्त भूमि का संरक्षण व संवर्धन किया जाए। जल समेट क्षेत्र में मानव हस्तक्षेप पूर्णरूप से बन्द करके उस क्षेत्र में वर्षा के जल का अवशोषण बढ़ाने के लिए किये गये उपचारों क
भारत अनुभव करेगा जलवायु परिवर्तन का गहरा असर
Posted on 01 Sep, 2015 11:49 AM भूगर्भीय जल के भण्डारों का अतिरिक्त दोहन और धरातल के पानी की मानसून की वर्षा पर निर्भरता के कारण देश में ताजे पानी की उपलब्धता घटेगी। फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) की तरफ से प्रकाशित एक पुस्तक में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा और प्रमुख फसलों के पोषक गुणों में कमी लाएगा। एफएओ के व्यापार और बाजार विभाग के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और क्लाइमेट चेंज एंड फूड सिस्टम
जल स्रोत का जल समेट क्षेत्र
Posted on 01 Sep, 2015 10:50 AM जल स्रोत का जल समेट वह भूक्षेत्र है जिसमें पड़ने वाली वर्षा के अवशोषण से उस स्रोत का पानी प्रवाह निर्धारित होता है। किसी भी स्रोत के जल प्रवाह को निर्धारित करने वाले अनेक कारक होते हैं जिनको मुख्यतः निम्न भागों में बाँटा जा सकता हैः
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