दिल्ली

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सच्चाई को स्वीकारना होगा
Posted on 07 Sep, 2015 04:24 PM
1. इस समस्या के रूप और प्रदूषण के विस्तार- से हमें इसके समाधान के बारे में क्या पता चलता है?
समस्या की जड़
Posted on 07 Sep, 2015 03:49 PM

(क) भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति

पानी : साक्षरता बनाम देशज ज्ञान
Posted on 07 Sep, 2015 11:08 AM

विश्व साक्षरता दिवस 08 सितम्बर 2015 पर विशेष

water sanitation
सुरक्षित क्या है
Posted on 06 Sep, 2015 12:42 PM
1. वर्तमान में, भारत में आर्सेनिक की निर्धारित सीमा क्या निश्चित हुई है?
आर्सेनिक: भयावह विस्तार
Posted on 06 Sep, 2015 10:45 AM
संसद में केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय से जुलाई 2004 में पानी में आर्सेनिक (संखिया) और फ्लोराइड के दूषण के विस्तार पर एक सवाल पूछा गया। मन्त्रालय ने जवाब दिया कि आर्सेनिक से पश्चिम बंगाल के आठ जिले- मालदा, दक्षिण 24-परगना, उत्तर 24-परगना, नादिया, हुगली, मुर्शिदाबाद, बर्धमान और हावड़ा प्रभावित हैं। इनके अलावा बिहार में सिर्फ एक भोजपुर जिला अत्यधिक आर्सेनिक से प्रभावित माना जाता है।
किसानों का हल सत्याग्रह
Posted on 05 Sep, 2015 01:47 PM खेती की लागत बढ़ती जा रही है पर उपज नहीं बढ़ रही है। फसल के दाम नही
kisan andolan
हवा-हवाई सर्वेक्षण
Posted on 05 Sep, 2015 09:55 AM गंगा को साफ करने के लिये तीनों जोन की मैपिंग आवश्यक है और सेटेलाइट
Ganga river
बैराज के पीड़ित
Posted on 05 Sep, 2015 09:36 AM

1992 में मथुरा में गोकुल बैराज के निर्माण के दौरान क्षेत्र के लगभग नौ सौ परिवारों के पच्चीस हजा

आ अब लौट चलें जड़ों की ओर
Posted on 04 Sep, 2015 11:11 AM

इस समय भारत में हर कोई यह समझता है कि हम एक गम्भीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। हमारी ज्यादातर नदियाँ प्रदूषित हैं, अवरुद्ध हैं या फिर मृतप्राय हैं। वर्षा का चक्र लगातार अनियमित होता जा रहा है और आगे इसके बढ़ते रहने का अन्देशा है। हमारा भूजल स्तर निरन्तर कम हो रहा है। झीलें या तो सूख रही हैं या गन्दे पानी से भर रही हैं।

पर्यावरण शिक्षा सभी विषयों में समाहित हो
Posted on 04 Sep, 2015 10:05 AM

विश्व साक्षरता दिवस 8 सितम्बर 2015 पर विशेष


‘प्यासा कौआ’ पानी और पर्यावरण शिक्षा का पहला पाठ है। घड़े के पेंदे में पानी होने, कंकड़ डालकर पानी ऊपर लाने और प्यास बुझाने की यह कहानी कई रूपों में पढ़ाई जाती है। यह रूपक कथा या कविता बच्चों को विवेक, उद्यम और पानी के महत्त्व को एक साथ बताती है। पर वर्तमान परिस्थितियों में कौआ और कंकड़ का रूपक किसी काम का नहीं।

सम्भव है अभी के स्कूली बच्चे ऐसे भी हों जिन्होंने घड़ा भी नहीं देखा हो। क्योंकि तकरीबन हर घर में चापाकल है या फिर नल से पानी आने की सुविधा है। पानी कहीं से लाने, रखने की जरूरत नहीं है। और रखना भी है तो वाटर फिल्टर या फ्रिज में रखना है। ऐसे में जल के बारे में शिक्षण या वाटर लिटरेसी थोड़ा कठिन काम हो गया है।

देश में पहला हरित पाठ्यचर्या तैयार करने वाले प्रोफेसर विनय कंठ ने कहा कि कुछ विकसित देशों में पर्यावरण का ज्ञान भूगोल के अंग के रूप में कराया जाता है,
water education
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