देहरादून जिला

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विकास और विनाश का रिश्ता
Posted on 17 Mar, 2012 12:44 PM हिमालय क्षेत्र में अक्तूबर 1991 में भीषण भूकंप आया था। उस त्रासदी के बाद तैयार की गई यह रिपोर्ट भूकंप से हुए भारी विनाश के लिए जिम्मेवार गलत नीतियों की पड़ताल करती है और अंधाधुंध विकास के दुष्परिणामों को लेकर चेताती है लेकिन जैसा कि जाहिर है, तब से लेकर आज तक हालात में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
अवैध खनन से खोखली होती भूमि
Posted on 13 Jan, 2012 04:27 PM

बरसात में बजरी निकालो और बाकी समय में नदी को प्रदूषित करो, इस दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता ह

छन्ने ने बदली जिंदगी
Posted on 30 Dec, 2011 09:38 AM

इन फिल्टरों के लगने का सबसे अधिक फायदा महिलाओं को है। राज्य के अन्य भागों की तरह इन गांवों में महिलाओं की आबादी अधिक है, जिन्हें बरसात में पानी के लिए दूर-दूर भटकना पड़ता था लेकिन अब उन्हें साफ पानी घर के दरवाजे पर ही मिल रहा है। इससे न सिर्फ इनका स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है बल्कि पानी को लेकर होने वाला श्रम भी घट गया है।

तीन गांवों में स्लो सैंड फिल्टर लगने से गंदे पानी की समस्या तो कम हुई ही, जलजनित बीमारियां भी कम हो गई हैं। उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल के चोपड़ियाली गांव की राजी देवी रावत इन दिनों बहुत खुश हैं। उनके गांव में जबसे स्लो सैंड फिल्टर लगा है, सभी परिवारों को गंदे पानी की समस्या से निजात मिल गई है। गांव में महिला मंगल दल की भी अध्यक्ष रावत का कहना है, “फिल्टर लगाए जाने के बाद गांव में पानी से फैलने वाली बीमारियां कम हो गई हैं।” ऐसी खुशी टिहरी के इंडवाल और साबली गांवों में भी दिखती है। तीनों गांवों में लगाए गए फिल्टरों से 188 परिवारों को फायदा मिल रहा है।
वनों से ग्लेशियर तक फैला प्रदूषण का प्रभाव
Posted on 07 Dec, 2011 03:55 PM

अवैध खनन की मार प्रदेश की नदियों पर ऐसी पड़ी है कि गंगा, यमुना, टोंस, कोसी, रामगंगा आदि नदियों

चीड़ की पत्तियां कोयले का विकल्प
Posted on 29 Sep, 2011 09:52 AM

पहले इसको विशेष खास ड्रम के भीतर कम आक्सीजन की स्थिति में जलाया जाता है। तारकोल जैसे रूप में पर

हिमालय को चाहिएं हमदर्द
Posted on 26 Sep, 2011 11:05 AM

भारतभूमि के मस्तक हिमालय का भला महज सम्मान से ही नहीं हो सकता, उसे अलग नीति चाहिए जो उसके दुख-दर्द को ध्यान में रखकर बनाई गई हो। पर्वतीय राज्यों के लिए अलग हिमालय नीति की मांग जोर-शोर से उठ रही है।

हिमालय और हिमालय से जुड़े सवालों को जानने-समझने और उठाने से जुड़ी मुहिम धीरे-धीरे रंग लाने लगी है। हिमालयी परिवेश को सुरक्षित-संरक्षित रखने की लड़ाई लड़ रहे कार्यकर्ताओं ने पिछले साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। दूसरे ही साल यह इतना लोकप्रिय हो गया कि अकेले देहरादून शहर में छह से अधिक स्थानों पर हजारों लोगों ने अपने-अपने तरीके से हिमालय दिवस मनाया। हिमालय दिवस असल में उस पूरी प्रक्रिया और लड़ाई की एक कड़ी के रूप में है जहां देश-दुनिया के हिमालय प्रेमी भौगोलिक रूप से भिन्न इस भूभाग के लिए अलग रीति-नीति की बात कर रहे हैं।
बचे रहें जंगल
Posted on 22 Sep, 2011 05:20 PM

चीड़ के जंगलों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं का असर पर्यावरण और जल स्रोतों पर भी पड़ा। इससे सिंच

हिमालय को स्थिर ही रहने दीजिए
Posted on 12 Sep, 2011 01:50 PM

पहले वनों को आग के हवाले झोंका जा रहा है फिर वनीकरण का खेल खेला जा रहा है। पानी का संग्रहण करने

हिमालय का संकट
Posted on 10 Sep, 2011 10:28 AM

पहाड़ी क्षेत्रों में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार और प्राकृतिक संपदाओं की लूट को रोकने के लिए स

जल मंगल की रचयिता हैं बसंती बहन
Posted on 08 Sep, 2011 11:09 AM

इस दल की महिलाओं ने उस समय कोसी के जल में खड़े होकर संकल्प लिया- ‘कोसी जीवन दायिनी है, हम इसको

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