देहरादून जिला

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अमेरीकी तथाकथित उपभोगवादी स्वर्ग से बचें
Posted on 16 May, 2014 08:32 AM ‘सैडेड’ एनजीओं के कर्ताधर्ता श्री विजय प्रताप के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है। उनका यह वक्तव्य 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर दिया गया था।
आज सबकी निगाह हिमालय की संपदा पर है
Posted on 15 May, 2014 03:36 PM ‘प्रदीप टम्टा’ कांग्रेस के सांसद हैं। उनके भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है। उनका यह वक्तव्य 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर दिया गया था।
विकास! किंतु किस कीमत पर
Posted on 10 May, 2014 08:20 AM उत्तराखंड का विकास यहां की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर टिकाऊ वि
पर्वतीय क्षेत्रों में ड्रॉपस्टेयर की उपयोगिता
Posted on 08 Apr, 2014 03:52 PM ड्रॉपस्टेयर क्या है?

ड्रॉपस्टेयरनालों एवं गदेरों में पत्थरों की सीढ़ीनुमा ढंग से चिनाई करके जल निकास के लिए बनाए गए कार्य को ड्रॉपस्टेयर कहते हैं।
उत्तराखंडी भविष्य का पब्लिक रोड मैप
Posted on 01 Mar, 2014 04:24 PM कहना न होगा कि जो समाज अपना भविष्य किसी और को सौंपकर सो जाता है, उ
declaration of redemption
वन एवं पानी को बचाने में उत्तराखंड की अहम भूमिका
Posted on 13 Feb, 2014 12:15 PM रक्षासूत्र आन्दोलन के कारण भागीरथी, भिलंगना, यमुना, टौंस, धर्मगंगा, बालगंगा आदि कई नदी जलग्रहण क्षेत्रों में वन निगम द्वारा किए जाने वाले लाखों हरे पेड़ों की कटाई को सफलतापूर्वक रोक दिया गया है। यहां तक कि टिहरी और उत्तरकाशी में सन् 1997 में लगभग 121 वन कर्मियों को वन मंत्रालय की एक जाँच कमेटी के द्वारा निलंबित भी किया गया था। रक्षासूत्र आन्दोलन ने ‘‘ग्राम वन’’ के विकास-प्रसार पर भी ध्यान दिया। इसके अंतर्गत जहां-जहां पर लोग परंपरागत तरीके से वन बचाते आ रहे हैं और इसका दोहन भी अपनी आवश्यकतानुसार करते हैं। वनों के विनाश को रोकने में भारत सरकार के सन् 1983 के चिपको के साथ उस समझौते का खुला उल्लंघन माना गया है, जिसमें 1000 मीटर की ऊँचाई से वनों के कटान पर लगे प्रतिबंध को 10 वर्ष बाद यानि सन् 1994 में यह कहकर हटा दिया गया कि हरे पेड़ों के कटान से जनता के हक-हकूकों की आपूर्ति की जाएगी। जबकि सन् 1983 में चिपको आंदोलन के साथ हुए इस समझौते के बाद सरकारी तंत्र ने वनों के संरक्षण का दायित्व स्वयं उठाया था।
पानी से बिजली बनाने पर सवाल
Posted on 01 Oct, 2013 10:54 AM

किताब-समीक्षा

आखिरी नहीं यह विध्वंस
Posted on 27 Jun, 2013 11:23 AM “कहते हैं कभी तहजीबे बसती थीं नदियों के किनारे,
आज नदियां तहजीब का पहला शिकार हैं।’’

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