देहरादून जिला

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पर्यावरण के छेड़छाड़ से हमें भारी नुकसान होगा : सुंदर लाल बहुगुणा
Posted on 25 May, 2014 02:12 PM हमारी भारतीय संस्कृति अरण्य संस्कृति थी। हमारे शिक्षा के केन्द्र, अर्थात आश्रम अरण्य में थे। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अरण्यों को पुर्नजीवित करने के लिए शांति निकेतन की स्थापना की। कमरों के अंदर पढ़ने का चलन तो अंग्रेजों ने पैदा किया था क्योंकि उनका देश ठंडा था और घरों से बाहर बैठकर पढ़ाई नहीं हो सकती थी। इसलिए उन्होंने ये सारा जाल बुना। उनके आने से पहले
उत्तराखंड के जल, जंगल और जमीन के लिए लोगों का संघर्ष मौजूद रहेगा : रघु तिवारी
Posted on 24 May, 2014 02:10 PM आप अपना थोड़ा सा परिचय दीजिए।
मेरा जन्म अल्मोड़ा में रानीखेत जिले के गंगोली गांव में हुआ। जहां तक शिक्षा का सवाल है, वो तो मैंने समाज से प्राप्त की और वो अब भी जारी है। स्कूल काॅलेज के बारे में कहूं तो मैंने राजनीति विज्ञान से एम.ए. करने के बाद एल.एल.बीकिया। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ मैं, सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़ा रहा। आज भी मैं, देश में घूम-घूमकर शिक्षा प्राप्त कर रहा हूं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वयं जागरूक होना होगा : कुंवर प्रसून
Posted on 23 May, 2014 11:34 AM सैडेड द्वारा कुंवर प्रसून से हुए बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।

आप अपना थोड़ा परिचय दीजिए?
मैं, सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ पत्रकारिता से भी जुड़ा हूं।

अपने आंदोलनों के बारे में कुछ बताइए।
प्रारंभ में मैं, शराब बंदी, चिपको और खनन विरोधी आंदोलन से जुड़ा रहा। आजकल मैं बीज बचाओ आंदोलन चला रहा हूं।
निजी कंपनियों के दबाव में बिकाऊ हुए प्राकृतिक संसाधन
Posted on 23 May, 2014 10:21 AM सैडेड द्वारा कामेश्वर बहुगुणा की ली गई साक्षात्कार पर आधारित बातचीत।

आप अपना परिचय दीजिए?
जंगल के दावेदार
Posted on 22 May, 2014 01:55 PM

पी.सी. तिवारी से भुवन पाठक द्वारा लिए गए साक्षात्कार का कुछ अंश।

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एक बार फिर देशवासियों को कुर्बानी देनी होगी : हरीश मैसूरी
Posted on 22 May, 2014 11:07 AM

भुवन पाठक द्वारा हरीश मैसूरी का लिया गया साक्षात्कार पर आधारित लेख।

हरीश जी आप अपना पूरी परिचय दीजिए?
मै गोपेश्वर में रहता हूं। वर्तमान में उत्तरांचल के चमोली जिले में न्यूज रिपोर्टिंग का काम करता हूं। इसके अलावा मैं, जल, जंगल, जमीन, महिलाओं तथा शराब से जुड़े जन आंदोलनों में भी भाग लेता रहता हूं जिससे मुझे कई व्यवहारिक अनुभव प्राप्त हुए हैं।

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क्षेत्रीय विकास की अवधारणा एवं उत्तराखंड
Posted on 17 May, 2014 08:47 AM अंततः मैं ये कहना चाहूंगा कि उत्तराखंड को किसी भी विकास की पद्धति स
उत्तरांचल राज्य के गठन पर कुछ विचार
Posted on 16 May, 2014 02:53 PM हमारे इन प्रदेशों में जो पुनरर्चना होगी, उसमें सौंदर्य, स्वच्छता
उत्तराखंड का विकास वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप हो
Posted on 16 May, 2014 10:23 AM सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर सैडेड द्वारा ‘हिमालय बचाओ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में उत्तराखंड में दशकों से पंचायती व्यवस्थाओं पर काम कर रहे जोत सिंह बिष्ट के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
हिमालय आज भी लोगों के लिए पर्यटन स्थल ही है
Posted on 16 May, 2014 09:44 AM सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर सैडेड द्वारा ‘हिमालय बचाओ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में हिंदी दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्रवण गर्ग के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
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