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देहरादून जिला
प्रकृति के करीब है पहाड़ का लोक पर्व हरेला
Posted on 15 Jul, 2016 05:03 PM“तुम जीते रहो और जागरूक बने रहो, हरेले का यह दिन-बार आता-जाता रहे, वंश-परिवार दूब की तरह पनपता रहे, धरती जैसा विस्तार मिलेे आकाश की तरह उच्चता प्राप्त हो, सिंह जैसी ताकत और सियार जैसी बुद्धि मिले, हिमालय में हिम रहने और गंगा जमुना में पानी बहने तक इस संसार में तुम बने रहो...” - पहाड़ के लोक पर्व हरेेला पर जब सयानी और अन्य महिलाएँ घर-परिवार के सदस्यों को हरेला शिरोधार्य कराती हैं तो उनके मुख से आशीष की यह पंक्तियाँ बरबस उमड़ पड़ती हैं।
घर परिवार के सदस्य से लेकर गाँव समाज के खुशहाली के निमित्त की गई इस मंगल कामना में हमें जहाँ एक ओर ‘जीवेद् शरद शतंम्’ की अवधारणा प्राप्त होती है वहीं दूसरी ओर इस कामना में प्रकृति व मानव के सह अस्तित्व और प्रकृति संरक्षण की दिशा में उन्मुख एक समृद्ध विचारधारा भी साफ तौर पर परिलक्षित होती दिखाई देती है।
पानी एक बड़ी चुनौती
Posted on 02 Jul, 2016 04:18 PMजल-संरक्षण की सीख हमारे यहाँ परम्परा से ही दी जाती रही है। जि
हालात-ए-देहरादून : बिन पानी सब सून
Posted on 27 Jun, 2016 04:02 PMराज्य में पिछले 10 वर्षो में 221 प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके
500 जलधाराओं का होगा पुनर्जीवन
Posted on 25 Jun, 2016 10:33 AM
प्राकृतिक जलधाराओं से ही नदियों का स्वरूप बनता है। नदियों के संरक्षण की बात राज्यों से लेकर केन्द्र तक हो रही है। मगर सूख रही जल धाराओं के प्रति हमारी चिन्ता दिखाई नहीं दे रही है। यही नहीं हमारे पास जलधाराओं का कोई आँकड़ा भी नहीं है।
उत्तराखण्ड के 3100 हेक्टेयर जंगल आग में स्वाहा
Posted on 30 May, 2016 09:56 AM
उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। 1993 के बाद एक बार फिर जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिये सेना का हेलीकाप्टर उतारा गया। जिला प्रशासन ने पहले चरण में उन जगहों को चिन्हीकरण किया है, जहाँ आग आबादी की ओर बढ़ रही है।
पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, नैनीताल, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिलों सहित हरिद्वार और ऋषिकेश के जंगलों में 15 दिनों तक लगातार आग धधकती रही। इस मौसम में अब तक आग की 213 घटनाएँ हो चुकी हैं। राज्य के गढ़वाल और कुमाऊँ कमिश्नरी में 3100 हेक्टेयर जंगल आग लगने से राख हो चुके हैं। यही नहीं राजाजी और कार्बेट पार्क का 145 हेक्टेयर हिस्सा आग ने अपने हवाले कर दिया।
वनाधिकार ही वन आग का समाधान है
Posted on 28 May, 2016 09:31 AMजंगल बचाने की आड़ में वनवासी समुदाय को वनों से बेदखल कर दिया गया। परिणामस्वरूप वन अनाथ हो गए। वन विभाग और वनों का रिश्ता तो राजा और प्रजा जैसा है। यदि वन ग्राम बसे रहेंगे तो उसमें रहने वाले अपना पर्यावास, आवास व पर्यावरण तीनों का पूरा ध्यान रखते हैं। परन्तु आधुनिक वन प्रबन्धन का कमाल जंगलों की आग के रूप में सामने आ रहा है।
जंगल में आग - वनों को मानव-शून्य बनाने का परिणाम
Posted on 17 May, 2016 12:16 PMमनुष्य का जन्म प्रकृति में हुआ और उसका विकास भी प्रकृति के सानिध्य में हुआ। इसीलिये प्रकृति और मनुष्य के बीच हजारों साल से सह-अस्तित्व की भूमिका बनी चली आई। गोया, मनुष्य ने सभ्यता के विकासक्रम में मनुष्येतर प्राणियों और पेड़-पौधों के महत्त्व को समझा तो कई जीवों और पेड़ों को देव-तुल्य मानकर उनके संरक्षण के व्यापक उपाय किये। किन्तु जब हमने जीवन में पाश्
पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवास की समस्या: प्रभाव एवं निराकरण
Posted on 14 May, 2016 11:16 AMउत्तराखंड हिमालय में रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है किन्तु कृषि की न्यून उत्पादकता एवं औद्