चंद्रशेखर तिवारी

चंद्रशेखर तिवारी
प्रकृति के करीब है पहाड़ का लोक पर्व हरेला
Posted on 15 Jul, 2016 05:03 PM

“तुम जीते रहो और जागरूक बने रहो, हरेले का यह दिन-बार आता-जाता रहे, वंश-परिवार दूब की तरह पनपता रहे, धरती जैसा विस्तार मिलेे आकाश की तरह उच्चता प्राप्त हो, सिंह जैसी ताकत और सियार जैसी बुद्धि मिले, हिमालय में हिम रहने और गंगा जमुना में पानी बहने तक इस संसार में तुम बने रहो...” - पहाड़ के लोक पर्व हरेेला पर जब सयानी और अन्य महिलाएँ घर-परिवार के सदस्यों को हरेला शिरोधार्य कराती हैं तो उनके मुख से आशीष की यह पंक्तियाँ बरबस उमड़ पड़ती हैं।

घर परिवार के सदस्य से लेकर गाँव समाज के खुशहाली के निमित्त की गई इस मंगल कामना में हमें जहाँ एक ओर ‘जीवेद् शरद शतंम्’ की अवधारणा प्राप्त होती है वहीं दूसरी ओर इस कामना में प्रकृति व मानव के सह अस्तित्व और प्रकृति संरक्षण की दिशा में उन्मुख एक समृद्ध विचारधारा भी साफ तौर पर परिलक्षित होती दिखाई देती है।
बूंद-बूंद पानी
Posted on 20 Nov, 2010 07:30 AM
उत्तराखंड के चंपावत जिले से 45 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है, तोली। जौलाड़ी ग्रामसभा के इस गांव में करीब 24 परिवारों का बसेरा है। आज से दो दशक पहले यहां पानी की बहुत किल्लत थी। लोगों को बहुत दूर से पानी ढोना पड़ता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब हर आंगन में पानी पहुंच चुका है। गांव वालों को यह सुविधा किसी सरकारी योजना से नहीं, बल्कि इसी गांव के निवासी कृष्णानंद गहतोड़ी और पीतांबर गहतोड़ी की सूझबूझ औ
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