देहरादून जिला

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सिकुड़ती जलधाराओं को मिलेगा पुनर्जीवन
Posted on 30 Aug, 2016 12:40 PM
उच्चतम न्यायालय की मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में नदियों को अतिक्रमण से मुक्त करने की कार्ययोजना

देहरादून। मेकिंग ए डिफरेंस बाई बीइंग द डिफरेंट (मैड) ने उम्मीद जताई है कि दून की सिकुड़ती जलधाराओं को पुनर्जीवित करने के लिये शासन और प्रशासन की ओर से ठोस कदम उठाए जाएंगे।
नब्बे फीसदी शौचालय के बावजूद भी प्रदूषण का अम्बार
Posted on 27 Aug, 2016 12:49 PM
उत्तराखण्ड में कभी गाँव को स्वच्छता का प्रतीक माना जाता था। तब गाँव में शौचालय नहीं हुआ करते थे और लोग खुले में ही शौच जाते थे, किन्तु गाँव में सीमित जनसंख्या थी। अब कहीं गाँव खाली हो रहे हैं तो कहीं गाँवों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। उन दिनों सरकारी सेवा या ठेकेदारी के कामों से जुड़े व्यक्ति के घर-पर ही शौचालय हुआ करते थे जो गिनती मात्र के थे।
सुसवा नदी के पानी से कैंसर होने की प्रबल सम्भावना
Posted on 12 Aug, 2016 11:17 AM


मसूरी की पहाड़ियों से निकलनी वाली सभी छोटी-बड़ी नदियाँ देहरादून से होकर गुजरती हैं। यही वजह थी कि देहरादून का मौसम वर्ष भर सुहावना ही रहता था। हालांकि यह अब बीते जमाने की बात हो चुकी है। इसलिये कि देहरादून की सभी छोटी-बड़ी नदियाँ अतिक्रमण और प्रदूषण की भेंट चढ़ गई हैं।

देहरादून में एक और गंधकयुक्त पानी का चश्मा
Posted on 09 Aug, 2016 04:19 PM
वैसे तो हिमालय के शिवालिक क्षेत्र में गंधकयुक्त पानी के चश्मे मिलते ही है परन्तु उत्तराखण्ड की अस्थायी राजधानी देहरादून में इन चश्मों ने अपनी सुन्दरता के बरख्त लोगों को सरेआम अपनी ओर आकर्षित किया है। अब हालात इस कदर है कि ये गंधकयुक्त पानी के चश्में अपने प्राकृतिक स्वरूप खोते ही जा रहे हैं। भले देहरादून से 10 किमी के फासले पर सहस्त्रधारा जैसे पर्यटन स
पहाड़ों में विकास, आपदा का सवाल
Posted on 28 Jul, 2016 04:42 PM
समय के साथ पहाड़ के लोगों ने भी अपनी परम्परा भूला दी। अब पहाड़
आपदाओं को आमंत्रण
Posted on 24 Jul, 2016 10:06 AM
उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदाओं पर चंद्रशेखर जोशी के विचार
पहाड़ों में बरसात का कहर
Posted on 23 Jul, 2016 11:20 AM
हिमालय के मध्य क्षेत्र उत्तराखण्ड में बरसात के मौसम में अक्सर बादल फटना, अतिवृष्टि, निरंतर बारिश होना आम बात हो गई है। आखिर क्यों हो रहा है यह बदलाव, सोचने को विषय है? पहाड़ों का सीना चीरकर सीमेंट-कंक्रीट का बोझ लादकर उनके प्राकृतिक स्वरूप को बिगाड़कर हम अपने आप को शाबाशी तो दे रहे हैं, किन्तु उससे होने वाले दुष्प्रभावों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
हिमालय पर संकट बनती जल-विद्युत परियोजनाएँ
Posted on 23 Jul, 2016 11:12 AM
हिमालय पर्वत पूर्व में म्यांमार से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान तक फैला है। हिमालय दुनिया के नवीनतम पर्वतों में से एक है। हिमालय में अन्दरूनी एवं बाहरी बदलाव की प्रक्रिया जारी है। प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक बीएस कोटलिया के अनुसार “हिमालय की रचना लगभग 50 हजार वर्ष पूर्व हुई है तथा विभिन्न प्लेटों/सतह से बने हुए पहाड़ के अंदर वर्तमान में भी परिवर्तन हो रहा है।”
आखिर इस दावानल का जिम्मेदार कौन
Posted on 22 Jul, 2016 12:19 PM
इस साल ही नहीं हर साल ही यह देखने को मिलता है कि फायर सीजन शुरू होते ही वन विभाग इंद्र भगवान की स्तुति करना शुरू कर देता है। इंद्र भगवान जितने देर तक रूष्ठ रहेंगे वन विभाग उतना ही परेशान और सभी की नजरों में घिरा रहता है। लेकिन जैसे ही इंद्र भगवान मेहरबान हुए वैसे ही वन विभाग भी चैन की साँस लेता है और फिर लाखों का खर्चा दिखाता है फायर लाइन के संरक्षण व सफाई में।
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